काशी विश्वनाथ धाम:प्रधानमंत्री ने गंगा में लगाई डुबकी,पवित्र गंगाजल लेकर पहुँचे बाबा मंदिर,किया जलाभिषेक,काशी विश्वनाथ धाम का किया लोकार्पण

काशी विश्वनाथ धाम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज काशी विश्वनाथ धाम वाराणसी में के पहले चरण का उद्घाटन किया। अपने निर्वाचन क्षेत्र आने के बाद नरेंद्र मोदी ने पहले काल भैरव मंदिर में पूजा अर्चना की और गंगा नदी में डुबकी लगाई।वह वहां से पवित्र गंगाजल लेकर भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए काशी विश्वनाथ मंदिर आए। काशी विश्वनाथ धाम के उद्घाटन से पहले पीएम ने काशी विश्वनाथ मंदिर में पूजा अर्चना की। 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक प्रतिष्ठित मंदिर के गर्भगृह के अंदर,काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी श्रीकांत मिश्रा ने पूजा कराई।इसके बाद उन्होंने इस परियोजना में कार्य करने वाले मजदूरों पर उनके कार्य के लिए आभार व्यक्त करने के लिए गुलाब की पंखुड़िया बरसाई।वह समूह तस्वीर के लिए उनके साथ बैठे।काशी विश्वनाथ धाम परियोजना करीब पांच लाख वर्ग फीट में फैली हुई है और गंगा नदी को काशी विश्वनाथ मंदिर से जोड़ती है और इसके अलावा श्रद्धालुओं के लिए कई सुविधाओं का विकास किया गया है। इस मौके पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और देशभर से आए साधु संत भी मौजूद थे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन समारोह में कहा-

भारत 130 करोड़ देशवासियों के प्रयासों से, सबके प्रयास से आगे बढ़ रहा है।महादेव की कृपा से, हर भारतवासी के प्रयास से हम आत्मनिर्भर भारत का सपना सच होता देखेंगे।

मैं आज आपसे अपने लिए नहीं, देश के लिए कुछ मांगता हूं।मैं आपसे तीन संकल्प चाहता हूं- 1- स्वच्छता2- सृजन3- आत्मनिर्भर भारत के लिए निरंतर प्रयास

आज का भारत सिर्फ अयोध्या में प्रभु श्रीराम का मंदिर ही नहीं बना रहा है, बल्कि हर जिले में मेडिकल कॉलेज भी बना रहा है।आज का भारत सिर्फ बाबा विश्वनाथ धाम को भव्य रूप ही नहीं दे रहा बल्कि गरीब के लिए करोड़ों पक्के घर भी बना रहा है।

आज का भारत सिर्फ सोमनाथ मंदिर का सौन्दर्यकरण ही नहीं करता बल्कि समुद्र में हजारों किमी ऑप्टिकल फाइबर भी बिछा रहा है।आज का भारत सिर्फ बाबा केदारनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार ही नहीं कर रहा बल्कि अपने दम पर अंतरिक्ष मे भारतीयों को भेजने की तैयारी में जुटा है।

आज का भारत अपनी खोई हुई विरासत को फिर से संजो रहा है।यहां काशी में तो माता अन्नपूर्णा खुद विराजती हैं।मुझे खुशी है कि काशी से चुराई गई मां अन्नपूर्णा की प्रतिमा, एक शताब्दी के इंतजार के बाद अब फिर से काशी में स्थापित की जा चुकी है।

याद रखिये जैसी दृष्टि से हम खुद को देखेंगे, वैसी ही दृष्टि से विश्व भी हमें देखेगा।मुझे खुशी है कि सदियों की गुलामी ने हम पर जो प्रभाव डाला था, जिस हीन भावना से भारत को भर दिया गया था।अब आज का भारत उससे बाहर निकल रहा है।

हर भारतवासी की भुजाओं में वो बल है, जो अकल्पनीय को साकार कर देता है।हम तप जानते हैं, तपस्या जानते हैं, देश के लिए दिन रात खपना जानते हैं।चुनौती कितनी ही बड़ी क्यों ना हो, हम भारतीय मिलकर उसे परास्त कर सकते हैं।

काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण, भारत को एक निर्णायक दिशा देगा, एक उज्जवल भविष्य की तरफ ले जाएगा।ये परिसर, साक्षी है हमारे सामर्थ्य का, हमारे कर्तव्य का।अगर सोच लिया जाए, ठान लिया जाए, तो असंभव कुछ भी नहीं।

जिस तरह काशी अनंत है वैसे ही काशी का योगदान भी अनंत है।काशी के विकास में इन अनंत पुण्य आत्माओं की ऊर्जा शामिल है।इस विकास में भारत की अनंत परंपराओं की विरासत शामिल है।इसलिए हर मत-मतांतर के लोग, हर भाषा वर्ग के लोग यहां आते हैं।

आप यहाँ जब आएंगे तो केवल आस्था के दर्शन नहीं करेंगे।आपको यहाँ अपने अतीत के गौरव का अहसास भी होगा।कैसे प्राचीनता और नवीनता एक साथ सजीव हो रही हैं,कैसे पुरातन की प्रेरणाएं भविष्य को दिशा दे रही हैं,इसके साक्षात दर्शन विश्वनाथ धाम परिसर में हम कर रहे।

विश्वनाथ धाम का ये पूरा नया परिसर एक भव्य भवन भर नहीं है।ये प्रतीक है हमारे भारत की सनातन संस्कृति का।ये प्रतीक है हमारी आध्यात्मिक आत्मा का।ये प्रतीक है भारत की प्राचीनता का, परंपराओं का, भारत की ऊर्जा का गतिशीलता का। 

हमारे पुराणों में कहा गया है कि जैसे ही कोई काशी में प्रवेश करता है, सारे बंधनों से मुक्त हो जाता है।भगवान विश्वेश्वर का आशीर्वाद, एक अलौकिक ऊर्जा यहाँ आते ही हमारी अंतर-आत्मा को जागृत कर देती है।