Jharkhand:हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद का निधन,कई दिनों से अस्पताल में कोरोना वायरस का इलाज चल रहा था

राँची।झारखण्ड हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद नहीं रहे।उनका निधन हो गया है. वे झारखण्ड आंदोलनकारी चिन्हितीकरण आयोग के अध्यक्ष व कॉमर्शियल टैक्स ट्रिब्यूनल के चेयरमैन रहे थे।मिली जानकारी के अनुसार आज सोमवार अहले सुबह सवा तीन बजे राँची में उनका निधन हो गया।वे राँची के मोरहाबादी में रहते थे।हरमू के मुक्ति धाम में इनका अंतिम संस्कार आज किया जाएगा।बताया जा रहा है कि वे पिछले तीन-चार दिनों से अस्पताल में भर्ती थे। जिंदगी की जंग लड़ रहे थे।आखिरकार वे जिंदगी की जंग हार गये. उन्होंने आज अंतिम सांस ली. अहले सुबह सवा तीन बजे राँची में उनका निधन हो गया।राँची के हरमू स्थित मुक्ति धाम में इनका अंतिम संस्कार आज किया जायेगा।

झारखण्ड हाईकोर्ट के रिटायर्ड जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद ने कई अहम पदों को सुशोभित किया था। न सिर्फ झारखण्ड आंदोलनकारियों के चिन्हितीकरण के लिए गठित आयोग की कमान संभाली थी, बल्कि कॉमर्शियल टैक्स ट्रिब्यूनल के चेयरमैन भी रहे थे. इतना ही नहीं, इन्होंने बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में हुए नियुक्ति घोटाले की जांच भी की थी।झारखण्ड विधानसभा में हुए नियुक्ति घोटाले की भी जांच इन्होंने की थी।

जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद कोरोना महामारी से संक्रमित हो गये थे। इसके बाद इन्हें राँची के बरियातू स्थित पल्स हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था, जहां इनका इलाज चल रहा था. इसी क्रम में आज अहले सुबह इन्होंने आखिरी सांस ली।

जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद झारखण्ड आंदोलनकारी चिन्हितीकरण आयोग के अध्यक्ष थे. झारखंड विधानसभा नियुक्ति घोटाले की जांच भी की थी. ये बहुत ही अच्छे इंसान थे. इनकी ईमानदारी की चर्चा होती थी. इन्हें साहित्य से गहरा जुड़ाव था. इन्होंने भगवान बिरसा की जीवनी को काव्य में लिखा था।

उनके निधन पर झारखंड हाई कोर्ट के सभी जज, रजिस्ट्रार जनरल अंबुजनाथ, प्रोटोकॉल ऑफिसर मिथिलेश कुमार, वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार, बार काउंसिल चेयरमैन राजेंद्र कृष्णा, एडवोकेट एसोसिएशन के पदाधिकारी धीरज कुमार सहित अन्य अधिवक्ता ने शोक जताया है। जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद का पार्थिव शरीर अभी अस्पताल में रखा गया है। जहां से कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। जस्टिस विक्रमादित्य प्रसाद हाई कोर्ट से सेवानिवृत्ति के बाद कई मामलों की जांच की है। इसमें झारखंड विधानसभा नियुक्ति की जांच का मामला भी शामिल है।