बकोरिया कांड: सीबीआई की टीम पहुंची पलामू, मुठभेड़ में शामिल अधिकारियों से हो सकती है पूछताछ

रांची: जून 2015 को पलामू के सतबरवा थाना क्षेत्र के बकोरिया में हुई कथित पुलिस मुठभेड़ की जांच तेज हो गई है.सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सीबीआई के एसपी के साथ कई अधिकारी मामले कि जांच करने मंगलवार को पलामू पहुंच चुके है.बताया जा रहा है कि सीबीआई की टीम सतबरवा थाना और घटनास्थल पहुंच कर मामले की जांच करेगी.सीबीआई की टीम मुठभेड़ में शामिल अधिकारियों से भी आज पूछताछ कर सकती है.

झारखंड पुलिस के कई बड़े अफसराें की परेशानी भी बढ़ेगी:-

बहुचर्चित बकाेरिया कांड में एफअाईअार दर्ज कराने वाले तत्कालीन सब इंस्पेक्टर माेहम्मद रुस्तम काे सीबीअाई ने सरकारी गवाह बना लिया है.अब सीबीअाई काे उम्मीद है कि बकाेरिया कांड का सच जल्दी ही सामने अा जाएगा.वहीं झारखंड पुलिस के कई बड़े अफसराें की परेशानी भी बढ़ेगी.क्याेंकि सीबीअाई की पूछताछ में माे. रुस्तम अपने बयान से पलट गया था.सतबरवा अाेपी के तत्कालीन थानेदार हरीश पाठक के बयान का समर्थन करते हुए उन्हाेंने सीबीअाई काे बताया था कि सीनियर अफसराें ने लिखी हुई एफअाईअार दी थी,जिस पर उन्हाेंने सिर्फ हस्ताक्षर किया था. उन्हाेंने कहा कि घटना के बाद पुलिस अफसराें ने हरीश पाठक पर एफअाईअार दर्ज करने का दबाव बनाया था.पाठक ने जब फर्जी मुठभेड़ की एफअाईअार दर्ज करने से इनकार कर दिया ताे उनसे एफअाईअार दर्ज कराई गई थी.

सीबीआई को मिले है पुलिस के खिलाफ कई साक्ष्य:-

जून 2015 को पलामू के सतबरवा थाना क्षेत्र के बकोरिया में हुई कथित पुलिस और नक्सली मुठभेड़ की जांच सीबीआइ के द्वारा तेज कर दी गयी है.बकोरिया कांड की जांच कर रही सीबीआई जल्द ही सच सामने लाने वाली है.सीबीआई और सेंट्रल फॉरेंसिक लैब को जांच के क्रम में कई साक्ष्य पुलिस जांच को गलत ठहराने वाले मिले है.बता दे कि बीते वर्ष इस वर्ष 3 जुलाई को सीबीआई सेंट्रल फोरेंसिक लैब के डायरेक्टर एनबी वर्धन और सीबीआइ के बड़े अधिकारी पलामू पहुंचे थे और सीबीआइ की टीम ने घटना का डेमो किया था. बहुत हद तक सीबीआइ को इस कांड के अनुसंधान में सफलता हाथ लगी है.

जांच के दौरान कई बातें सामने आई जो पुलिस की जांच को गलत ठहराने के लिए काफी है:-

सीबीआई के जांच के दौरान इस कांड से जुड़े पुलिस अफसरों से सीबीआई पूछताछ भी कर रही थी.सीबीआई और एफएसएल टीम को नाट्य रूपांतरण के दौरान ही कई ऐसी बातें सामने आई, जो पुलिस की जांच को गलत ठहराने के लिए काफी है. पुलिस ने अपनी जांच में बताया है कि एक स्कार्पिओ गाड़ी से 12 नक्सली आ रहे थे. जो पुलिस को देखते ही गोलियां चलाने लगे. एफएसएल विंग के सदस्याें ने पाया कि स्कार्पिओ में 12 लोगाें के बैठने के बाद बंदूक से पुलिस पर अंधाधुंध फायरिंग करना संभव नहीं हैं.स्कार्पिओ के अंदर किसी भी सीट पर बंदूक जैसे बड़े हथियार का मूवमेंट संभव नहीं है. 12 लोगों के बैठने के बाद स्कार्पिओ गाड़ी में हाथ-पैर हिलाने में भी परेशानी होगी, ऐसे में अंधाधुंध फायरिंग की बात कही से सही प्रतीत नहीं होती. बकोरियां कांड में मारे गए सभी 12 लोगों को गोली कमर के ऊपर लगी थी.

झारखंड हाइकोर्ट के आदेश के बाद सीबीआइ ने दर्ज की थी प्राथमिकी:-

पलामू के सतबरवा थाना क्षेत्र बकोरिया में आठ जून 2015 को हुई कथित पुलिस-नक्सली मुठभेड़ के मामले में सीबीआइ दिल्ली ने प्राथमिकी दर्ज की थी. यह प्राथमिकी झारखंड हाई कोर्ट के 22 अक्टूबर 2018 को दिए आदेश पर दर्ज की गयी थी. इस घटना में पुलिस ने 12 लोगों को मुठभेड़ में मारने का दावा किया था.

मृतकों के परिजनों ने की थी सीबीआइ जांच की मांग:-

मृतकों के परिजनों ने इसे फर्जी मुठभेड़ बताते हुए हाइकोर्ट में राज्य की जांच एजेंसी सीआइडी की जांच पर सवाल उठाते हुए सीबीआइ जांच की मांग की थी. सीबीआइ ने पलामू के सदर थाना कांड संख्या 349/2015, दिनांक 09 जून 2015 के केस को टेकओवर करते हुए प्राथमिकी दर्ज की थी. इस केस के शिकायतकर्ता तत्कालीन सतबरवा ओपी प्रभारी मोहम्मद रुस्तम हैं.उन्होंने लातेहार के मनिका थाना क्षेत्र के उदय यादव, चतरा के प्रतापपुर थाना क्षेत्र के निमाकातू निवासी एजाज अहमद, चतरा के प्रतापपुर थाना क्षेत्र के मझिगांव निवासी योगेश यादव व नौ अज्ञात मृतक और एक अज्ञात नक्सली के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज करायी थी. हाइकोर्ट ने यह आदेश दिया था कि वादी सहित पुलिस के अधिकारी हरीश पाठक ने भी पूरी जांच पर सवाल खड़े किये थे.