इंस्टिट्यूट ऑफ़ हेल्थ साइंस रांची में मनाया गया विश्व फिजियोथेरेपी डे

इंस्टिट्यूट ऑफ़ हेल्थ साइंस रांची में 8 सितम्बर 2022 को विश्व फिजियोथेरेपी डे मनाया गया। कार्यक्रम हरमू हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के फिजियोथेरेपी विभाग में आयोजित किया गया। वर्ल्ड फिजियोथेरेपी डे 1951 से विश्व फिजियोथेरेपी कम्युनिटी की एकता व इसके प्रति जागरूकता के लिए मनाया जाता है। कार्यक्रम की मुख्य अतिथि डॉ० उमा सेन गुप्ता ने कहा के फिजियोथेरेपी में महिलाओ की भागीदारी पहले बहुत मुश्किल थी, परन्तु अब परिस्थितिया बदल रहीं हैं। युवा पीढ़ी इसके महत्वा को समझ रहे हैं। परन्तु अभी भी लोगो में फिजिओथेरपी के प्रति जागरूकता की भारी कमी दिखती है।

हरमू हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेण्टर के डायरेक्टर डॉ० सुहास तेतरवे ने कहा के शहरी इलाकों के साथ साथ ग्रामीण इलाकों में फिजियोथेरेपी की जागरूकता की सख्त जरुरत है। फिजियोथेरेपी की जागरूकता को गती देने के लिए सरकार , प्राइवेट संस्था , कॉलेजेस , हॉस्पिटल्स , एन० जी० ओ०, आई० ए० पी० व फिजियोथेरेपी कॉउन्सिल सबको मिलकर साल भर जगरूकता अभियान चलने की आवश्यकता है।

इंस्टिट्यूट ऑफ़ हेल्थ साइंस रांची के डायरेक्टर दीपक झा ने संस्था के अकादमिक प्लान की चर्चा की और कहा की किस तरह रांची में एक स्टेट ऑफ़ द आर्ट फिजियोथेरेपी फैसिलिटी की व्यवस्ता की जाएगी। उन्होंने पहले और आज के इन में अंतर को रेखांकित किया।

इंस्टिट्यूट ऑफ़ हेल्थ साइंस रांची के डायरेक्टर एडमिनिस्ट्रेशन डॉ० धीरज ने विभिन्न प्रकार के स्कालरशिप की चर्चा की , और बताया के किस तरह छात्र सात अलग अलग प्रकार के स्कालरशिप का आवेदन दे सकते हैं। उन्होंने कहा के इंस्टिट्यूट का उद्देश्य हर जिले से एक छात्र को ट्रैन करने का है , ताकि ग्रामीण इलाकों में फ़िज़ियोथेरेपिस्ट की उपलब्धता के सपने को पूरा किया जा सके।

ज्ञात हो के इंस्टिट्यूट ऑफ़ हेल्थ साइंस, रांची में बैचलर ऑफ़ फिजियोथेरेपी और मास्टर ऑफ़ ऑफ़ फिजियोथेरेपी का कोर्स शुरू कर रही है। जिसका कैंपस नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी कांके के बगल में है। संस्था का उद्देश्य अगले तीन वर्षो में स्टेट ऑफ़ द आर्ट फिजियोथेरेपी फैसिलिटी को डेवेलप करना है।

कार्यक्रम में प्रदेश के कई जाने मने फ़िज़ियोथेरेपिस्ट, इंस्टिट्यूट ऑफ़ हेल्थ साइंसेज से सिस्टम एनालिस्ट अलोक कुमार, हरमू हॉस्पिटल से फ़िज़ियोथेरेपिस्ट श्रिष्टि संगम, चंद्रवंशी मेडिकल कॉलेज की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ० रेखा व अन्य उपस्थित थे।