बिहार पंचायत चुनाव:जब पता चला अब मुखिया चुनाव नहीं लड़ पाएंगे,झट से कर ली शादी,अब पत्नी लड़ेगी चुनाव …..

पटना।बिहार में पंचायत चुनाव होने जा रहा है।इसके लिए जनप्रतिनिधियों ने जोर लगा दिया है।वहीं अक्सर लोकसभा या विधानसभा चुनाव में ऐसा देखा जाता है कि विरोधी खेमा अगर मजबूत हो तो अपने साथ पत्नी या निकटतम परिजनों का भी नामांकन करा देते हैं, ताकि कुछ वोट कट सके। अब वो दृश्य पंचायत चुनाव में भी देखने को मिलने लगा है।

कागजात में त्रुटि तो शादी कर पत्नी को चुनाव लड़वाएँगे

बताया जा रहा है कि ऐसा ही एक शख्स है जो कागजात में कुछ त्रुटि रहने के कारण जाति प्रमाण पत्र नहीं बना तो सोचा कि समाज की युवती से शादी कर उसे ही पंचायत चुनाव लड़ाया जाए। इसके लिए शादी का लगन भी देखना मुनासिब नहीं समझा और सोमवार को भगवान भाष्कर को साक्षी मानकर विधि विधान से सात फेरे लिए और विदाई कराकर अपने घर ले गए। अब नामांकन कराना और चुनाव जिताना भी पति का फर्ज बन गया है। यह तो समय बताएगा कि इसमें कितनी सफलता मिलती है।

क्या है मामला

गया जिले के खिजरसराय प्रखंड की होरमा पंचायत के बिंदौल गावं का है। यहां के रहने वाले दांगी समाज के युवक आदित्य कुमार उर्फ राहुल इस बार पंचायत चुनाव में मुखिया पद के लिए लडऩा चाहते थे, लेकिन जमीन के खतियान में नाम के साथ दांगी नहीं था, इसलिए इनका जाति प्रमाण पत्र नहीं बन सका। तब इन्होंने प्रखंड के नौडिहा निवासी दांगी समाज की युवती सरिता कुमारी से शादी रचाने की मंशा बनाई और केनी स्थित सूर्य मंदिर पहुंच गए। जहां परिजनों की उपस्थिति में विधि विधान से आदित्य की शादी संपन्न हुई।आदित्य कहते हैं कि आज मंगलवार को गया कोर्ट में जाकर शादी करेंगे। आदित्य व सरिता की यह शादी क्षेत्र में चर्चा का विषय बनी हुई है। अब पत्नी सरिता को पंचायत चुनाव में मुखिया पद से चुनाव लड़ाएंगे और जिताएंगे।

बता दें इसी तरह का मामला सिवान से जदयू सांसद कविता सिंह की 2011 में आनन-फानन में शादी की गई थी। उनकी सास उस वक्‍त विधायक थीं। उनकी मौत के बाद बेटे अजय सिंह ने पतृपक्ष में कविता सिंह से शादी कर ली, क्‍योंकि वो सीट महिला आरक्षित थी। पतृपक्ष काल को हिंदु मान्‍यताओं के अनुसार अशुभ माना गया है। इसको लेकर कई तरह की चर्चाएं भी हुई थीं, लेकिन यह शादी कविता सिंह के लिए शुभ साबित हुई। वे दो बार विधायक रहने के बाद 2019 में सांसद बनीं।