माँ-बाप ने छोड़ दी थी जीने की उम्‍मीद,लेकिन RIMS के डॉक्‍टरों ने अमर को दी नई जिंदगी,अमर को स्‍वस्‍थ देख खुशी से झूम उठे डॉक्‍टर….

राँची।राज्य के सबसे बड़े अस्पताल रिम्स के डाक्टरों ने सात माह पहले आए 17 वर्षीय किशोर अमर कुमार को नई जिंदगी दी है। न्यूरोसर्जरी विभाग के डाक्टरों ने बेड पर पड़े इस बच्चे को आज अपने पैरों पर चलने के काबिल बना दिया, आज यह खेल पा रहा है।रामगढ़ के रहने वाले अमर कुमार को स्पाइन टीबी था, जिसमें शरीर की हड्डियां काफी कमजोर हो जाती हैं। इसी बीच साइकिल चलाने के क्रम में वह जमीन पर गिर गया था, जिसके बाद उसके शरीर के पांच हिस्सों की हड्डियां टूट गईं। परिवार वालों ने कई निजी अस्पतालों में उसका इलाज करवाया, लेकिन कोई लाभ नहीं मिल पाया।कई जगहों पर अमर को बोन कैंसर तक होने की बात डाक्टरों ने कह डाली, जिसके बाद अमर को 24 जून 2022 को रिम्स के न्यूरोसर्जरी विभाग के एचओडी डा. अनिल के यूनिट में भर्ती कराया गया। जहां पर सात माह तक न्यूरोसर्जरी के डाक्टरों ने अमर का इलाज किया और उसे नाजुक स्थिति से निकाल कर एक नया जीवन दिया है।

वेंटिलेटर में रखा गया था अमर

इलाज करने वाली टीम में शामिल डा. विकास ने बताया कि कई महिने पहले जब यह बच्चा उनके पास आया था, तो तब इसकी स्थिति ऐसी थी कि वह अपना हाथ-पैर तक हिला भी नहीं पा रहा था। गले की हड्डी टूट जाने की वजह से सांस लेने में समस्या आ रही थी। सांस लेने में इतनी तकलीफ थी कि उसे वेंटिलेटर पर रखा गया था। वह तकरीबन चार महीने तक न्यूरोसर्जरी वार्ड के एचडीयू में भर्ती रहा।

अमर को स्‍वस्‍थ देख खुशी से झूम उठे डॉक्‍टर

बुधवार को अमर दोबारा पूरी तरह से स्वस्थ्य होकर रिम्स आया, जिसके बाद डाक्टरों में भी खुशी का माहौल दिखा। डा. विकास ने बताया कि आज वह बिल्कुल स्वस्थ हो चुका है और एक नार्मल व्यक्ति की तरह सारे काम कर रहा है।

अमर के माता-पिता ने डाक्टरों को भगवान का दर्जा देते हुए कहा कि अगर वे उनके बच्चे का अच्छा इलाज नहीं करते तो शायद उसे बचा पाना मुश्किल था। अमर का इलाज पूरी तरह नि:शुल्‍क हुआ। इलाज करने वाले टीम में डा. विराट और डा. विवेक भी शामिल थे।