हादसा: झोपड़ी में आग लगने से एक वर्षीय बच्ची की मौत, गम्भीर अवस्था में माँ अस्पताल में भर्ती

चाईबासा। पश्चिमी सिंहभूम जिले के किरीबुरु थाना क्षेत्र के सारंडा की गोद में जंगल काट कर बसा रांगरिंग गांव स्थित सागर हस्सा पूर्ति (30 वर्ष) की झोपड़ी में दो जनवरी की रात आग लग जाने से खाना बना रही पत्नी पार्वती हस्सा पूर्ति (25वर्ष) एवं घर में खेल रही एक वर्ष की बेटी बिरसी हस्सा पूर्ति गंभीर रूप से जल गयी हैं। निजी वाहन से जैसे-तैसे इन्हें सुदूरवर्ती गांव से सेल के किरीबुरू जेनरल अस्पताल लाया गया। इलाज के दौरान मासूम बच्ची बिरसी की मौत हो गयी, जबकि नब्बे फीसदी जली पार्वती जीवन और मौत के बीच संघर्ष कर रही है।पत्नी व बेटी को बचाने के क्रम में सागर भी आंशिक रूप से जल गया है।

घटना के बारे में सागर ने बताया कि लकड़ी, मिट्टी व पुआल से बनी झोपड़ी में पत्नी खाना बना रही थी और पास में बेटी खेल रही थी. खेलते-खेलते वह घर में जल रही ढिबरी (दीया) को गिरा दी। इससे आग फैलते हुये बिस्तर, तेल, माचिस का बंडल, प्लास्टिक आदि में पकड़ ली. इससे झोपड़ी में आग लग गयी. इसकी चपेट में आकर दोनों गंभीर रूप से जल गये एवं पूरा घर व घर में रखा सारा समान जलकर पूरी तरह खाक हो गया।पत्नी व बेटी को बचाने में वे भी हल्का जल गये. गरीबी की वजह से वह अपनी पत्नी का बेहतर इलाज कराने में सक्षम नहीं हैं. उन्होंने प्रशासन से मदद की गुहार लगायी है।बताया कि गांव से नदी-नाला काफी दूर था. इसके बावजूद अपने-अपने घरों के बर्तनों में रखे पानी से आग बुझाने की कोशिश की गयी, लेकिन आग बुझा नहीं पाये. सेल अस्पताल को एम्बुलेंस के लिये फोन किये, लेकिन एम्बुलेंस नहीं आया, जबकि एक अन्य कैम्फर चालक को फोन किये, जो कैंफर किरीबुरु से लेकर आया. उससे घायलों को अस्पताल भेजा गया। आपको बता दें कि यह वही रांगरिंग गांव है, जहां मुख्यमंत्री के आदेश के बाद गांव का विकास के लिए कोल्हान आयुक्त, डीआईजी, उपायुक्त, एसपी समेत तमाम प्रशासनिक महकमा आया था एवं शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली, पानी, इंदिरा आवास आदि तमाम प्रकार के विकास के बडे़-बडे़ दावे किये गये थे, लेकिन अब तक हुआ कुछ भी नहीं।