Jharkhand:बाप को मृत बेटे का मुंह दिखाने के लिए महिला जेल गेट के पास घंटों तड़पती रही,फिर भी जेल अधिकारियों का नहीं पसीजा दिल,नियमों का दिया हवाला

चतरा।झारखण्ड के चतरा स्थानीय मंडल कारा के समीप रविवार को मानवता तड़पती रही और अधिकारी नियम व कानून का हवाला देकर एक विवश महिला को फटकार लगाते रहे। विवश महिला की गोद में नवजात का शव पड़ा हुआ था। उसकी आंखों से जार-कतार आंसू चल रहे थे।बताया जाता है कि अंतिम संस्कार से पूर्व मृत नवजात के चेहरा उसके पिता को दिखाने के लिए महिला मंडल कारा लेकर आई थी। सुबह 8:00 बजे से लेकर दोपहर 2:00 बजे तक महिला और उसका पुत्र दोनों कारा अधिकारियों व कर्मियों से फरियाद लगाते रहे। लेकिन हर बार उन्हें सिर्फ और सिर्फ फटकार मिली। विवश होकर दोनों नवजात का शव को लेकर वापस लौट गए। कारा के अधिकारी नियम का हवाला देकर अपना पल्ला झाड़ते रहे।

मिली जानकारी के अनुसार, वशिष्ठ नगर थाना क्षेत्र के बंदरचुवां गांव निवासी 27 वर्षीय चुमन महतो की पत्नी फूल देवी शुक्रवार की रात एक बच्चे को जन्म दी। प्रसव उसके मायके प्रतापपुर के घोरदौड़ा के निजी क्लिनिक में हुआ था। जन्म के समय जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ थे। शनिवार की रात नवजात अचानक बीमार हो गया। सुदूरवर्ती ग्रामीण क्षेत्र होने के कारण आवागमन की उचित व्यवस्था नहीं थी।परिजन सुबह उपचार के लिए लेकर जाने वाले थे। लेकिन रात में ही उसने दम तोड़ दिया। नवजात के पिता चुमन महतो पिछले सात महीनों से एनडीपीएस एक्ट के एक मामले में मंडल कारा में बंद है। नानी कुलेश्वरी देवी अपने बेटे के साथ बाइक से नवजात का शव लेकर कारा में बंद चुमन का दर्शन कराने के लिए आई थी। सुबह के आठ बजे से वह कारा के मुख्य द्वार पर शव लेकर विलाप करती रही। लेकिन किसी ने नहीं सुना। विवश होकर दोपहर के दो बजे बैरंग वापस लौट गई।

इधर चतरा के जेलर दिनेश वर्मा ने कहा कि रविवार को बंदियों से मुलाकात का कोई प्रविधान नहीं है। नवजात के शव के साथ एक महिला को गेट के समीप होने की जानकारी मिली थी। मंडल कारा अधीक्षक को जानकारी दी गई थी। उन्होंने जेल मैन्युअल का पालन करने का निर्देश दिया। इसी वजह से महिला की मुलाकात नहीं कराई गई।

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