Jharkhand:बेबी देवी ने 11वें मंत्री के रूप में शपथ ली,उन्हें राज्यपाल ने पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई

राँची।झारखण्ड सरकार ने बेबी देवी को अपना 11वाँ मंत्री नियुक्त किया है। नियुक्ति के बाद राज्य के राज्यपाल श्री सीपी राधाकृष्णन ने राजभवन के दरबार हाल में आयोजित समारोह में उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। उक्त अवसर पर राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, कई मंत्री, सांसद, विधायक, पदाधिकारी तथा बेबी देवी के परिजन उपस्थित थे।शपथ ग्रहण के बाद राज्यपाल तथा मुख्यमंत्री ने बेबी देवी को बधाई व शुभकामनाएं दीं। कम पढ़ी-लिखी होने के कारण बेबी देवी ठीक से शपथ पत्र नहीं पढ़ पाईं। उन्होंने टूटी-फूटी भाषा में शपथ पत्र को पढ़ा। इससे पहले राज्य के मुख्य सचिव सुखदेव सिंह ने हिन्दी एवं अंग्रेजी दोनों भाषाओं में नियुक्ति पत्र को पढ़ा।

बेबी देवी को उत्पाद मंत्री बनाया गया

बेबी देवी राज्य के शिक्षा मंत्री रह चुके दिवगंंत जगरनाथ महतो की पत्नी हैं। राज्य सरकार ने उन्हें उपचुनाव जीतने से पहले ही मंत्री बनाया है। इससे पहले इसी सरकार ने हाजी हुसैन अंसारी के निधन के बाद उनके पुत्र हफीजुल अंसारी को उपचुनाव जीतने से पहले मंत्री बनाया था। बता दें कि जगरनाथ महतो के इसी साल छह अप्रैल को निधन के बाद मंत्री का पद रिक्त हो गया था।

नाराज मंत्री मिथिलेश ठाकुर राजभवन के गेट से ही लौट गए

इधर मंत्री मिथिलेश ठाकुर अपने साथ कुछ झामुमो नेताओं को राजभवन में जाने नहीं देने से नाराज होकर वापस लौट गए। वे समाराेह में सम्मिलित नहीं हुए। राजभवन के गेट पर मौजूद पुलिस कर्मियों ने उन्हें मनाने का प्रयास किया, लेकिन वे लौट गए।मंत्री के साथ गाड़ी में प्रवक्ता मनोज पांडेय भी थे। मंत्री ने कहा कि राजभवन ने नेताओं को अंदर नहीं जाने देने का तुगलकी फरमान जारी किया है। ऐसा केंद्र के निर्देश पर किया गया है। कार्यकर्ताओं को भी अंदर जाने नहीं देकर लोकतंत्र का गला घोटा गया है।उनके अलावा मंत्री हफीजुल अंसारी व सत्यानंद भोक्ता काे भी अंदर जाने से रोक गया, लेकिन दोनों दूसरे गेट से राजभवन में प्रवेश कर गए। राजभवन कर्मियों का कहना था कि समारोह में मंत्री अपने साथ किसी अन्य को नहीं ले जा सकते। बता दें कि दरबार हाॅल में जगह छोटी होने के कारण गिने-चुने लोगों को ही बुलाया गया था। मीडिया को भी जाने की अनुमति नहीं थी।

वहीं बेबी देवी पहले अकेले ही राजभवन के गेट तक पहुंच गई थीं। बाद में वह वापस लौट गईं तथा मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ दोबारा आईं। उन्हें मुख्यमंत्री के साथ ही आना था, लेकिन वह गलती से राजभवन के गेट तक पहुंच गई थीं।