जेल में बंद सत्ता का दलाल पूरे जांच को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा,जेल से ईडी अफसरों को टार्गेट कर रहा पावर ब्रोकर प्रेम प्रकाश,सीबीआई जांच की मांग–भाजपा प्रवक्ता..

राँची। झारखण्ड में ईडी की जांच तेज है।इस बीच खबर आ रही है कि ईडी के अधिकारियों को धमकाने के लिए बिरसा मुंडा केंद्रीय कारागार में साजिश रची जा रही थी। ईडी के अधिकारियों को जेल से ही टार्गेट करने की खबर सुर्खियों में बनी हुई है।अब इस मुद्दे को उठाते हुए भाजपा ने राज्य सरकार पर निशाना साधा है।बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने प्रेस वार्ता कर राज्य सरकार से सीबीआई जांच की मांग की है। प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि झारखण्ड में एक हजार करोड़ के घोटाले की जांच ईडी कर रही है।इस जांच को रोकने के लिए अब गैंगस्टर, बड़े उग्रवादियों और महिला के जरिये ईडी की जांच को रोकने की कोशिश की जा रही है।

प्रतुल शाहदेव ने कहा कि जेल में बंद सत्ता का दलाल पूरे जांच को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है।जेल से गैंगस्टर और उग्रवादियों को ईडी के अधिकारियों पर नजर रखने को कहा जाता है।इतना ही नहीं अधिकारियों के परिवार के लोग भी असुरक्षित हैं।पूरा सिस्टम ईडी को रोकने की कोशिश कर रही है, लेकिन केंद्र में मोदी की सरकार है।मोदी के नए भारत में भ्रष्टाचार से कोई समझौता नहीं किया जाएगा। राज्य में अराजकता जैसा माहौल बना है।

देश में ऐसा पहली बार हुआ जब ईडी के अधिकारियों के जान-माल नुकसान है या उन्हें झूठे केस में फसाने की कोशिश की जा रही है। पावर ब्रोकर ने राज्य के दुर्दात गैंगस्टर से संपर्क कर ईडी के अधिकारियों को टारगेट करने की योजना बनाई है।वैसे गैंगस्टर जो जेल में बंद हैं लेकिन उनका आतंक झारखण्ड के इलाकों में दिखता है।अब सत्ता के संरक्षण में दलाल नक्सलियों और गैंगस्टर के सहारे जांच को रोकने की कोशिश कर रही है। इस जांच की आंच ऊपर तक जाने वाली है। इससे ही सभी सत्ताधारी लोग घबराहट में है।

ईडी तक नहीं पहुंचे कैदियों के पत्र, जेल प्रशासन पर सवाल

प्रतुल शाहदेव ने कहा कि जेल से अन्य कैदियों ने ईडी को पत्र लिखा है।वह पत्र जेल के रजिस्टर में डिस्पैच दिखा दिया गया, लेकिन वह ईडी के दफ्तर तक नहीं पहुंच पाया है। ऐसे में जेल प्रशासन पर भी सवाल खड़ा होने लगा है।कैसे जेल से ही सत्ता के दलाल तमाम काम को निबटा रहे हैं। जेल में बंद दलालों से कई लोग हर दिन मिलते हैं।उसकी सीसीटीवी फुटेज को हटा दिया जाता है। इससे साफ है कि जेल प्रशासन भी पूरी तरह से दलालों से मिल कर चल रहा है। राज्य में बड़े घोटाले की जांच कर रहे अधिकारियों को नक्सलियों और गैंगस्टर से टार्गेट करने के मामले में राज्य सरकार को सीबीआई जांच की अनुसंशा करने की जरूरत है।