झारखण्ड पुलिस में तैयार हो रहे डिजिटल योद्धा,साइबर अटैक पर ब्रेक लगाने के लिए कर रहे हैं उच्च-स्तरीय ट्रेंनिग…

राँची।देश में साइबर अपराध की बढ़ती चुनौती के बीच झारखण्ड पुलिस डिजिटल योद्धा तैयार कर रही है।ताकि वे साइबर अटैक होने से पहले ही उसका पूर्वानुमान कर सके और उससे बचा जा सके. इसके लिए अलग से पुलिस जवानों का चयन कर उन्हें ट्रेनिंग दी जा रही है। साइबर अपराध होने से पहले ही उसकी जानकारी पुलिस को मिल सके इसे लेकर झारखण्ड पुलिस अपने 41 पुलिसवालों का चयन कर उन्हें साइबर डिफेंस की एडवांस ट्रेनिंग दे रही है।साइबर विद्यापीठ के सौजन्य से इस ट्रेंनिग की शुरुआत की गई है। इस टीम में वैसे तेजतर्रार पुलिसकर्मियों का चयन किया गया है जो आईटी बैकग्राउंड के हैं।इस सम्बंध में डीजी ट्रेनिंग अनुराग गुप्ता ने बताया कि हमने सिपाही से लेकर इंस्पेक्टर स्तर तक के पुलिसकर्मियों की एक ऐसी टीम बनाई है जो साइबर अपराध को लेकर झारखण्ड पुलिस के लिए काम करेंगे। इस टीम में अधिकांश पुलिसकर्मी आईटी ग्रेजुएट हैं।

साइबर विद्यापीठ फरीदाबाद से आए हैं एक्सपर्ट

झारखण्ड पुलिस के चयनित पुलिस कर्मियों को साइबर अटैक कैसे रोका जाए, साइबर अटैक होने से पहले उसका पूर्व अनुमान कैसे लगाया जाए इसकी ट्रेनिंग देंगे।डीजी अनुराग गुप्ता के अनुसार इस ट्रेनिंग में वे लोग मूल रूप से तीन मुद्दों पर अपने अफसरों को ट्रेंड करेंगे उसमे पाइथन प्रोग्रामिंग लैंग्वेज, मशीन लर्निग और ओपन सोर्स इंटेलिजेंस शामिल हैं।डीजी ट्रेनिंग अनुराग गुप्ता के अनुसार फिलहाल हमारे पुलिस अफसरों को ओपन सोर्स इंटेलिजेंस की जानकारी ना के बराबर है,ऐसे में हम लोगों ने अपने 41 वैसे पुलिस कर्मियों को चुना है जो लोग या तो आईटी ग्रेजुएट हैं या फिर आईटी की बेहतर जानकारी रखते हैं।फिलहाल 3 सप्ताह तक ये ट्रेंनिग चलेगा।

गौरतलब है कि साइबर ट्रेनिंग को लेकर 300 पुलिसकर्मियों का आवेदन आया था, जिसमें से 41 पुलिसकर्मियों का चयन किया गया और फिर उन्हें एडवांस ट्रेनिंग दी जा रही है।ट्रेनिंग में साइबर अनुसंधान, साइबर अटैक और कोई अपराधी जो सोशल मीडिया के किसी भी प्लेटफार्म पर एक्टिव है तो वहीं इसके साथ ही कोई मैसेज से लोगों को भड़काने या किसी वारदात को अंजाम को दें उससे पहले सोशल मीडिया पर फ्लोट होती है तो उसकी जानकारी मिल सके और संबंधित व्यक्ति की तुरंत पहचान हो सके और समय रहते कार्रवाई की जाए ताकि अनहोनी से बचा जा सके।

इधर पुलिस कर्मियों को ट्रेनिंग देने पहुंचे साइबर एक्सपर्ट बालाजी वेंकटेश्वर ने बताया कि वर्तमान में जो ट्रेनिंग झारखण्ड के इन 41 पुलिसकर्मियों को दी जा रही है, वो अपने आप में नायाब है. देश भर में आईबी के ऑफिसर्स को ही इस तरह की ट्रेनिंग दी गई है और किसी भी राज्य की पुलिस विभाग में ये अपने तरह की पहली ट्रेनिंग है।वहीं उन्होंने बताया कि वर्तमान में साइबर वार की घटना बढ़ी है और अपराधी भी साइबर हथकंडे का इस्तेमाल करते हैं और अपराध के दौरान काफी डिजिटल फुटप्रिंट छोड़ते हैं।जिस कारण इन्वेस्टिगेशन में पुलिस के लिए डिजिटली साउंड होना जरूरी है. वहीं उन्होंने बताया की इस तरह की ट्रेनिंग विदेश में ही होती है और उसके लिए काफी पैसे भी खर्च करने पड़ते है।लेकिन झारखण्ड पुलिस ने खुद पहल कर इस ट्रेनिंग को अपने यहां करवाने की एक सराहनीय पहल की है, इसका उन्हें भविष्य में काफी फायदा मिलेगा।