#BIG BREAKING:सुप्रीम कोर्ट ने अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए।

नई दिल्ली।सुशांत सिंह राजपूत मामले में रिया चक्रवर्ती और महाराष्ट्र सरकार को बड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी है। कोर्ट ने कहा कि बिहार सरकार जांच की सिफारिश करने में सक्षम है। कोर्ट ने ये भी माना कि मुंबई पुलिस ने जांच नहीं की। महाराष्ट्र सरकार सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को चुनौती देना चाहती है। कोर्ट ने कहा कि मुंबई पुलिस ने जांच नहीं बल्कि सिर्फ इन्कवॉयरी की है।

सुशांत के पिता और बिहार सरकार की तरफ से केस की जांच सीबीआई को सौंपने की मांग की गई थी।

बता दें कि बिहार सरकार पहले ही पटना में दर्ज एफआईआर की जांच सीबीआई को सौंप चुकी है।जबकि महाराष्ट्र सरकार सीबीआई को जांच को सौंपे जाने का विरोध कर रही थी. महाराष्ट्र सरकार की दलील थी कि मुंबई पुलिस ही मामले की जांच करे क्योंकि वो इस मामले में 56 लोगों के बयान दर्ज कर चुकी है।

उद्धव सरकार की तरफ से ये भी कहा गया कि सुशांत की मौत का मामला मुंबई पुलिस के अधिकार क्षेत्र का है क्योंकि घटना मुंबई में हुई और पीड़ित, आरोपी व गवाह सभी मुंबई के हैं।

गौरतलब है कि सुशांत के पिता ने एफआईआर पटना में दर्ज करवाई थी लेकिन बाद में उन्होंने मामला सीबीआई को सौंपने की मांग की। वहीं सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए गए जवाब में आरोपी रिया चक्रवर्ती ने कहा कि मामले की जांच सीबीआई को सौंपने पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने मांगे थे सभी पक्षों के जवाब

सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में जांच का अधिकार किसे है, इसे लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट में था। सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षों से लिखित जवाब मांगे थे। बिहार सरकार, रिया चक्रवर्ती और सुशांत की फैमिली की तरफ से लिखित जवाब सुप्रीम कोर्ट में दिए गए थे। वहीं सीबीआई की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में लिखित जवाब दिया गया था। जवाब में कहा है कि कोर्ट को सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को अपनी जांच जारी रखने देना चाहिए।

आज सुशांत सिंह राजपूत के परिवार के लिए बड़ी जीत है। सुप्रीम कोर्ट ने आज बड़े स्पष्ट शब्दों में कह दिया है कि मुंबई पुलिस ने जो जांच की थी उसका दायरा बहुत सीमित था: सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर विकास सिंह, सुशांत सिंह राजपूत के पिता के वकील

सुशांत सिंह राजपूत की मौत का मामला: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पटना में दर्ज एफआईआर सही थी। महाराष्ट्र राज्य ने आदेश को चुनौती देने से इनकार किया।