तारा शाहदेव प्रताड़ना मामले में सजा का एलान:रंजीत कोहली को आजीवन कारावास,उसकी माँ कौशल रानी को 10 साल और मुश्ताक अहमद को 15 साल सश्रम कारावास

राँची।नेशनल शूटर रह चुकी तारा शाहदेव प्रताड़ना मामले में सजा का ऐलान गुरुवार को कर दिया गया है। राँची के सीबीआई कोर्ट ने रंजीत कोहली को आजीवन कारावास की सजा दी है। इसके साथ ही 50 हजार जुर्माना भी लगाया है।रंजीत कोहली की माँ कौशल रानी को 10 साल की सजा देते हुए पचास हजार का जुर्माना लगाया है। हाईकोर्ट के पूर्व रजिस्ट्रार (निगरानी) मुस्ताक अहमद को भी सजा दी है। इसे 15 साल सश्रम कारावास के साथ 50 हजार जुर्माना लगाया है।

सीबीआई कोर्ट के विशेष न्यायाधीश पीके शर्मा की अदालत ने रंजीत कोहली को आईपीसी की धारा 120बी, 376,323,298,506 और 496 के तहत दोषी माना है। वहीं कौशल्या रानी को आईपीसी की धारा 120बी,298,506 और 323के तहत दोषी माना है। वहीं हाईकोर्ट के पूर्व रजिस्ट्रार (निगरानी) मुस्ताक अहमद को आईपीसी की धारा 120बी और 298 में दोषी पाया है।

अदालत ने इससे पहले 30 सितंबर को अपना फैसला सुनाया है। फैसला सुनाते हुए अदालत ने मुख्य आरोपी रणजीत सिंह कोहली उर्फ रकीबुल हसन, उसकी मां कौशल रानी, हाईकोर्ट के पूर्व रजिस्ट्रार (निगरानी) मुस्ताक अहमद को दोषी करार दिया।

सीबीआई की विशेष अदालत ने तीनों को साजिशन जबरन धर्म परिवर्तन करने, धोखे में रखकर शादी करने, मारपीट, कुत्ता से कटवाने और गाली-गलौज करने का दोषी पाया है। इस मामले में ओवरी लोक अभियोजक प्रियांशु सिंह लोक, अभियोजक रवि कुमार ने 26 गवाहों का बयान दर्ज कराया था। इसके आधार पर अभियुक्तों को दोषी पाया गया।

साल 2015 में सीबीआई ने लिया था मामला

झारखण्ड हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने 2015 में इस केस को टेक ओवर किया था। इस मामले की सुनवाई लगभग आठ साल चली है। जिसमें तीनों आरोपियों के खिलाफ तीन जुलाई 2018 को आरोप गठित किया गया था। सीबीआई की ओर से 26 गवाहों को पेश किया गया है। 26 सितंबर को नेशनल राइफल शूटर तारा शाहदेव उत्पीड़न मामले में बचाव पक्ष की ओर से सीबीआई कोर्ट में लिखित बहस प्रस्तुत किया गया।

क्या है तारा शाहदेव मामला

रंजीत सिंह कोहली और तारा शाहदेव की शादी सात जुलाई 2014 को हुई थी। शादी के बाद से ही तारा शाहदेव के साथ पति रकीबुल हसन/रंजीत कोहली द्वारा उत्पीड़न और मारपीट की घटनाएं होने लगी थी। धर्म छुपा कर शादी करने, यौन उत्पीड़न, धर्म परिवर्तन के लिए प्रताड़ित करने का मामला प्रकाश में आने के बाद पुलिस ने जांच शुरू की। बाद में झारखंड हाईकोर्ट के आदेश पर साल 2015 में सीबीआई ने मामले को टेकओवर किया। फिर जांच शुरू की। जांच पूरी होने के बाद आरोपियों के खिलाफ साल 2018 में चार्जशीट दायर की गयी थी।