प्रेमसागर हत्याकांड में टीपीसी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर हत्या से किया इनकार, लगाए पुलिस पर कई आरोप।

राँची: तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमिटी (टीपीसी) के दक्षिण छोटानागपुर जोनल विक्रांतजी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि प्रेमसागर मुंडा से टीपीसी संगठन का कोई विवाद नहीं था। किसी भी विस्थापित की हत्या होती है तो उसकी हत्या का आरोप पुलिस टीपीसी के पर लगा कर पल्ला झाड़ लेती है। पिपरवार थाना के बिलारी निवासी विस्थापित नेता सह सीसीएल कर्मी प्रेमसागर मुंडा की हत्या के मामले में भी ऐसा हो रहा है। बता दें कि तीन मार्च को सीसीएल कर्मी प्रेम सागर मुंडा की रांची के मोरहाबादी में होटल पार्क प्राइम के पास अपराधियों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी।

विज्ञप्ति में कहा है गया कि टीपीसी का गठन माओवादियों में घुसे कुछ गलत तत्वों के खिलाफ हुआ था। माओवाद से संघर्ष में सैकड़ों निर्दोष ग्रामीणों को माओवादियों ने मार दिया। टीपीसी ने संघर्ष कर इस एरिया को माओवाद से मुक्त कराया। जब पूरा इलाका शांत हो गया तो पुलिस का नकारात्मक चेहरा सामने आने लगा और ग्रामीण विस्थापितों को टीपीसी के नाम पर तंग किया जाने लगा। पुलिस के दहशत के कारण कई लोग अपना गांव छोड़ चुके हैं। टीपीसी बैक फुट पर आ गया तो इस एरिया में श्रीवास्तव गिरोह, पाण्डेय गिरोह और अब सुजीत सिन्हा गिरोह के गुंडे पुलिस से सांठ-गांठ कर इस पूरे इलाके की शांति में जहर घोल रहे हैं। हाल ही में इस गिरोह ने कई स्थानीय लोगों की हत्या की है। इस गिरोह के लोग शहरों में रहकर अपना गिरोह चलाते हैं। पुलिस इनका कुछ भी नहीं बिगाड़ पाती है और बिना वजह टीपीसी पर आरोप लगाती है।

पुलिस कह रही है कि प्रेमसागर का टीपीसी से 100 करोड़ रूपए का लेवी के हिसाब का मामला चल रहा था। यह सरासर झूठ और हास्यास्पद आरोप है। इसका खंडन करते हुए संगठन का कहना है कि प्रेमसागर मुंडा से संगठन का कोई विवाद नहीं था। एक विस्थापित युवक की हत्या से टीपीसी संगठन दुखी है। एक-एक कर स्थानीय लोगों की हत्या हो रही है और पुलिस केवल उसकी लीपापोती कर रही है। जबकि वीडियो और पर्चा जारी कर हत्याओं की जिम्मेवारी गुंडा गिरोह के लोग ले रहे हैं। राजधानी में प्रेमसागर की हत्या होती है और पुलिस टीपीसी का नाम ले लेती है। यह सोची समझी चाल है। प्रेम सागर की हत्या से टीपीसी का कोई लेना देना नहीं है। हम मुख्यमंत्री से इस मामले का निष्पक्ष जांच करवाने की मांग करते हैं।

टेरर फंडिंग मामले में फरार था प्रेम सागर मुंडा

कोयला कारोबारी और टीपीसी उग्रवादी प्रेम सागर मुंडा टेरर फंडिंग मामले में फरार चल रहा था। बीते सोमवार की शाम बाइक सवार दो शूटरों ने प्रेम सागर पर छह गोलियां चलाईं थी। प्रेम सागर को चार गोली एक सिर में और तीन सीने में लगी थी। घटना को अंजाम देने के बाद अपराधी एदलहातू के रास्ते फरार हो गए थे। सूचना मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची और प्रेम सागर को रिम्स ले गई थी, जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया।

एसएसपी अनीश गुप्ता ने बताया था कि अब तक पुलिस जांच में जानकारी मिली है कि प्रेम सागर मुंडा काेयला काराेबारियाें से लेवी की वसूली करता था। लेवी के 100 कराेड़ रुपए उसने उग्रवादी संगठन टीपीसी को नहीं दिया था। इसे लेकर ही विवाद चल रहा था।