आठवीं की छात्रा के मां बनने के मामले में मुख्य आरोपी ने शनिवार को गढ़वा न्यायालय में सरेंडर किया

गढ़वा: मझिआंव में सरकारी आवासीय विद्यालय की आठवीं की छात्रा के मां बनने का मामले के मुख्य आरोपी चंदन मेहता ने शनिवार को गढ़वा न्यायालय में सरेंडर कर दिया.
बाद में उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. गढ़वा एसपी अश्विनी कुमार सिन्हा का कहना है कि यह अमानवीय और जघन्य अपराध है और इसमें शामिल किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जायेगा. आरोपी को रिमांड पर लेकर पूछताछ की जायेगी.

मीडिया में समाचार आने के बाद प्रशासन हरकत में

गढ़वा के मझिआंव में सरकारी आवासीय विद्यालय की 8वीं कक्षा की 14 वर्षीया छात्रा की मां बनने से सम्बद्ध प्रकरण में शुक्रवार को पीड़ित छात्रा के बयान पर पांच लोगों पर एफआइआर दर्ज की गयी है.

अपनी मां के साथ मझिआंव थाना पहुंचकर संबद्ध छात्रा ने पुलिस के वरीय अधिकारियों के समक्ष जो बयान दिया, उसी आधार पर एफआइआर दर्ज की गयी है.

छात्रा के बयान के आधार पर आवासीय बालिका विद्यालय की तत्कालीन वार्डेन स्नेहलता सिंह, अस्पताल के चिकित्सा प्रभारी गोविंद सेठ, नर्स निर्मला कुमारी, विद्यालय के अध्यक्ष लालबहादुर और चंदन मेहता पर नामजद प्राथमिकी दर्ज की गयी है. प्रेम से और जबरदस्ती जिस्मानी रिश्ते बनाये
पुलिस के वरीय अधिकारियों के समक्ष छात्रा ने बयान दिया है कि आवासीय विद्यालय में नामांकन से पूर्व (जब वह करीब 11-12 वर्ष की रही होगी) छात्रा का संपर्क अपने गांव के लड़के चंदन से था.
दोनों एक दूसरे से प्रेम करते थे. इसी बीच दोनों के बीच जिस्मानी रिश्ते भी कायम हुये, लेकिन चंदन ने एक बार खेत में ले जाकर उसके साथ जबरदस्ती भी की थी. इन बातों को उसने अपनी मां और घरवालों से छुपाया.

कुछ माह बाद उसके पेट में दर्द होने लगा तो वह कुछ स्कूली छात्राओं के साथ अस्पताल गयी, दवाई लायी, खा ली, और वापस स्कूल चली गयी. जब भी उसे पेट दर्द होता, दवाई लाकर खा लेती. यही क्रम चलता रहा, लेकिन उसे खुद के गर्भवती होने का अहसास कभी नहीं हुआ.

उसे गर्भवती होने का अहसास कभी हुआ ही नहीं

पुलिस के अनुसार छात्रा ने बयान दिया है कि 26 जून को जब उसके पेट में ज्यादा दर्द हुआ तो वह एक बार फिर से अस्पताल पहुंची. उसके पीछे पीछे तत्कालीन वार्डेन स्नेहलता भी आयीं जहां उसके द्वारा एक बच्चे को जन्म दिया गया.

छात्रा ने दिये गये बयान में इसका भी उल्लेख किया है कि बच्चा जनने के बाद विद्यालय के अध्यक्ष और अस्पताल के चिकित्सक भी वहां पहुंचे. वार्डेन तो वहां मौजूद थी ही.

बाकी पहुंचे अन्य लोगों द्वारा मुझसे कहा गया कि तुमने नाबालिग होकर बच्चे को जन्म दिया है यह गलत है. बातचीत के क्रम में ही मैं सो गयी और जब सुबह हुआ तो उस बच्चे को नर्स निर्मला कुमारी द्वारा यह कहते हुए ले जाया गया कि इसका परवरिश मैं करूंगी.

सीडब्ल्यूसी की जांच रिपोर्ट अलग
शुक्रवार को पुलिस के समक्ष छात्रा ने जो बयान दिया है उसे अगर इस पूरे प्रकरण का प्रारंभिक और अंतिम सत्य माना जाये तो यह कहने को विवश होना कि सीडब्ल्यूसी ने इस पूरी घटना के संबंध में पांच सदस्यीय टीम बनाकर जो जांच करवायी थी, वह पूरी जांच अलग इशारा करती है.

उल्लेखनीय है कि उक्त छात्रा के मां बनने की खबर मिलने के बाद चाइल्ड वेलफेयर कमेटी, गढ़वा (सीडब्ल्यूसी) के चेयरमैन उपेंद्रनाथ दुबे ने पांच सदस्यीय टीम गठित कर इस मामले की जांच करायी थी. उस जांच में कमेटी ने उक्त सरकारी आवासीय विद्यालय में सेक्स रैकेट चलाये जाने की ओर इशारा किया है. कमिटी ने विद्यालय की वार्डेन, मझिआंव रेफरल अस्पताल के चिकित्सक सहित डेढ़ दर्जन से ज्यादा लोगों को नाबालिग छात्रा के मां बनने और उसके बच्चे को ले लिये जाने के मामले में आरोपी माना है.