पटना में पंडित धीरेंद्र शास्त्री के 5 दिन:बिहार के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ जब किसी कार्यक्रम में भीड़ ने रिकॉर्ड तोड़ दिया……करीब 35 लाख लोग आए…..

डेस्क टीम:पटना। श्री बागेश्वर धाम के मठाधीश पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने विरोध के बीच नया कीर्तिमान स्थापित कर दिया है। बिहार के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ जब किसी कार्यक्रम में भीड़ ने रिकॉर्ड तोड़ दिया। अब तक बिहार में किसी पॉलिटिकल या धार्मिक आयोजन में इतना जन सैलाब नहीं उमड़ा।चिलचिलाती धूप वाली गर्मी में कोई बाहर नहीं निकलना चाहता, लेकिन बाबा की कथा में हर तरह का कष्ट सहकर लोग डटे रहे। विरोधियों ने हर कदम पर चुनौती दी, लेकिन बाबा ने सभी का शालीनता से जवाब दिया।

जानिए बिहार में बाबा के लिए इतिहास बनाने वाले 5 दिन की पूरी कहानी…।

बाबा को रोकने की हर तरह से हुई कोशिश

बिहार में जब बागेश्वर धाम के पीठाधीश पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का कार्यक्रम तय हुआ तो हर स्तर से विरोध किया गया। कार्यक्रम के लिए गांधी मैदान को प्रस्तावित किया गया, लेकिन प्रशासन ने सुरक्षा का हवाला देते हुए अनुमति देने से इनकार कर दिया।आयोजन समिति ने काफी प्रयास के बाद किसी तरह से नौबतपुर में स्थित तरेत मठ की जमीन पर कार्यक्रम फाइनल हुआ। जिला प्रशासन ने 13 से 17 मई तक नौबगतपुर में हनुमंत कथा और 15 मई को दिव्य दरबार लगाने की अनुमति दे दी।प्रशासन की अनुमति के बाद पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का पॉलिटिकल विरोध शुरू हो गया। लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे और बिहार सरकार में वन एवं पर्यावरण मंत्री तेज प्रताप यादव से लेकर कई मंत्रियों ने बाबा के विरोध में विवादित बयान भी दिए।वहीं शिक्षा मंत्री डॉ. चंद्रशेखर सिंह के साथ सहकारिता मंत्री सुरेंद्र यादव ने भी विरोध किया। राजद के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह ने तो यहां तक कह दिया कि ऐसे लोगों को जेल में रहना चाहिए। जाप अध्यक्ष पप्पू यादव भी बाबा के विरोध पर उतर आए।रात में लोग पंडाल में सो जाते थे

विरोध की पॉलिटिक्स भी आई सामने

वन एवं पर्यावरण मंत्री तेज प्रताप यादव और सहकारिता मंत्री सुरेंद्र यादव के साथ शिक्षा मंत्री डॉ. चंद्रशेखर सिंह के विरोध के बाद भी प्रशासन ने कैसे कार्यक्रम की अनुमति दे दी, यह बड़ा सवाल है। अपनी ही सरकार में मंत्रियों के विरोध के बीच कार्यक्रम की अनुमति मिलना बिहार में विरोध की पॉलिटिक्स का तड़का रहा।आरजेडी और भाजपा के नेता बाबा को लेकर विवादित बयान देते रहे। पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के बिहार पहुंचने के बाद भी विरोध जारी रहा और पोस्टर वॉर तक चलने लगा। इसके बाद भी कार्यक्रम में कोई परेशानी नहीं आई।

तेज प्रताप ने दिया था विवादित बयान

सरकार की अनुमति के बाद भी बिहार में पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री का विरोध जारी रहा। बिहार सरकार के मंत्री तेज प्रताप यादव ने बाबा का काफी विरोध किया। उन्होंने कहा वह जल्द ही एक वीडियो भी शेयर करेंगे। यह भी कहा कि आयोजक मंडली उनके पास मांफी मांगने भी आई थी और भी न जानें कितनी बातें कही।यहां तक कि तेज प्रताप यादव ने तो पंडित धीरेंद्र शास्त्री को डरपोक और देशद्रोही तक कह दिया। आरजेडी नेता ने कहा कि पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री को हिंदू-मुसलमान को लड़ाने का काम करते हैं। वह यहां हिंदू-मुसलमान कराने आ रहे हैं, उन्हें एयरपोर्ट पर ही घेर लिया जाएगा।इतने पर नहीं रुके तो उन्होंने अपनी नए संगठन DSS को ट्रेनिंग देना शुरू कर दिया। उनका कहना था कि वे अपनी सेना को तैयार कर रहे हैं, बाबा को पटना एयरपोर्ट पर ही रोक लिया जाएगा।

सहाकारिता मंत्री का विवादित बयान

तेज प्रताप ने पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के विरोध किया तो राजद के कई छोटे बड़े नेता विरोध की आग में घी डालने लगे। राजद के प्रदेश प्रवक्ता जगदानंद सिंह, प्रवक्ता भाई वीरेंद्र, मंत्री सुरेंद्र राम, विधायक मुन्ना यादव सहित कई नेताओं ने विरोध किया।

बिहार सरकार के सहकारिता मंत्री सुरेंद्र यादव ने बाबा पर विवादित बयान दे दिया। उन्होंने यहां तक कह दिया कि धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री भूत के नाम पर महिलाओं को नचाने का काम करते हैं। मंत्री ने कहा- नाचते हुए महिलाओं के कपड़े खुल जाते हैं। बिहार में बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री के सामने जो भी जाता है वह डूब मरे, मां-बहन को नचाने वालों को ही ऐसी जगह जाना चाहिए।

शिक्षा मंत्री डॉ. चंद्रशेखर ने भी कहा कि बागेश्वर सरकार के दरबार में कोई गड़बड़ी हुई तो सरकार उन्हें गिरफ्तार करने में भी पीछे नहीं रहेगी। उन्होंने कहा कोई बाबा हो गड़बड़ करेगा, कार्रवाई होगी। गंदा काम करने आएंगे तो आडवानी की तरह जेल जाएंगे।कई विरोध के पहचानने से इनकार किया तेज प्रताप ने

तेज प्रताप ने धमकी दी थी कि पटना एयरपोर्ट पर वे धीरेंद्र शास्त्री का विरोध करेंगे, लेकिन मंगलवार को उन्होंने बाबा को पहचानने से इनकार कर दिया। उन्होंने बाबा के पटना आने के बाद कहा कि वह किसी बाबा ओबा टोबा को नहीं जानते हैं।

हालांकि बाबा का विरोध शुरू हुआ तो भाजपा भी चुप नहीं रही। केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे से लेकर गिरिराज सिंह तक ने विवादित बयान दिया। तेज प्रताप के बयान को दिवालियापन बताया गया। आयोजक समिति के संरक्षक अरविंद ठाकुर ने भी तेज प्रताप यादव के विवादित बयान को निंदनीय बताया।

पोस्टर पॉलिटिक्स से पलटवार

बिहार में पंडित धीरेंद्र शास्त्री के खिलाफ विवादित बयानों का जवाब भी विवादित हो गया। केंद्रीय मंत्री अश्वनी चौबे ने कहा भक्ति भाव से देश को दिशा और दशा दोनों बदलने का संकल्प लेने वाले व्यक्ति के सामने कोई नहीं टिक पाएगा। विवादित बयान के बीच पोस्टर वार शुरू हुआ।

पटना में BJP ने चेतावनी भरा पोस्टर लगाकर लिख दिया- दम है तो बाबा के कार्यक्रम को कोई रोककर दिखाए, हम भी लाठी लेकर तैयार हैं। इस बीच पटना में कई जगह बाबा के पोस्टर भी फाडे़ गए। पोस्टर लगाने वालों का कहना है कि जिस तरह से बिहार सरकार के मंत्री बाबा को रोकने की चेतावनी दे रहे हैं, वह भी अपना पावर देख लें।

बाबा के पोस्टर फाड़ने के साथ पोस्टर में ही बाबा के चेहरे पर कालिख पोती गई और 420 तक लिख दिया गया। हालांकि, बाबा ने भी काफी सालीनता से जवाब दिया- पोस्टर तो फाड़ दोगे, लेकिन लोगों के दिल से बागेश्वर बाला जी सरकार को कैसे निकाल पाओगे।

विरोध के बीच बाबा ने रचा इतिहास

विरोध के बाद भी बाबा ने बिहार में इतिहास रच दिया। 13 को बाबा पटना पहुंचे तो एयरपोर्ट से होटल पनाश तक उनकी गाड़ी दिल्ली के सांसद अभिनेता मनोज तिवारी चलाकर ले गए। कथा के पहले दिन केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे, केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह, पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, विधायक नीरज बबलू, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी, पूर्व सांसद रामकृपाल यादव के साथ मनोज तिवारी ने बाबा की आरती उतारी।

कथा के पहले ही दिन से पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने झंडा गाड़ दिया। पहले ही दिन कथा में 6 लाख की भीड़ ने विराेध करने वालों का जवाब दे दिया। हालांकि, कथा के दौरान बागेश्वर सरकार ने एक विवादित बयान का काफी शालीनता से जवाब दिया। 5 दिन में 30 से 35 लाख के करीब लोग कथा में शामिल हुए। यह बिहार के लिए बड़ा इतिहास रहा है।

भीड़ से गड़बड़ा गई व्यवस्था, बीच में रोकी गई कथा

कथा के दूसरे दिन भीड़ काफी बढ़ गई। पूरी व्यवस्था ध्वस्त हो गई। बाबा ने 14 मई को भीड़ को लेकर कथा को बीच में ही रोक दिया था। साथ ही 15 मई को लगने वाले दिव्य दरबार को कैंसिल करने की भी घोषणा कर दी।

हालांकि, घोषणा के बावजूद होटल में ही VVIP के लिए दिव्य दरबार लगाया गया। बाद में कथा स्थल पर भी उन्होंने अपना दरबार लगाया और पर्ची निकाल कर लोगों की समस्या सुनी। बाबा को अपील करनी पड़ी थी कि श्रद्धालु घर से ही कथा सुने, भीड़ को कंट्रोल करने के लिए लोगों को कई बार यह संदेश दिया था।

होटल में ही लगाना पड़ा दिव्य दरबार

पंडित धीरेंद्र कृष्ण कृष्ण शास्त्री को रहने की व्यवस्था पटना के पनाश होटल में की गई थी। होटल में बाबा के ठहरने से हमेशा होटल के बाहर भारी भीड़ इकट्‌ठा हो जाती थी। VIP की भी काफी भीड़ लगती रहती थी। बाबा को होटल में ही रात में दिव्य दरबार लगाना पड़ा था। बाबा की एक झलक पाने के लिए होटल के बाहर भारी भीड़ इकट्‌ठा हो जाती थी। सुरक्षा को लेकर बाबा के निजी सुरक्षा कर्मियों और मैनेजमेंट के लोगों को काफी मशक्कत करनी पड़ती थी।

अब जानिए कैसे हो बिहार के पागलों के कहने का मतलब

कथा में बाबा की एक बात खूब चर्चा हो रही है। “कैसे हो बिहार के पागलों…अगर हमें पता रहता कि इतने पागल बिहार में हैं तो हम पहले ही चले आते।” इस बयान पर मंत्री तेज प्रताप यादव ने भी विरोध जताया था।

बुधवार को बिहार में कथा के अंतिम शाम में उन्होंने जाते-जाते ‘पागल’ की परिभाषा भी बताई। धीरेंद्र शास्त्री ने कहा- बिहारियों की श्रद्धा को देखकर पागल कहा था। जो प्रभु को पाकर उनमें गल जाएं, उसे ही कहते हैं पागल।

बाबा के दरबार में अर्जी का टूट गया रिकॉर्ड

पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के दरबार में अर्जी का रिकॉर्ड टूट गया। एक दिन में बाबा के दरबार में 10 लाख से अधिक अर्जी लगी। जबकि 5 दिन में यह संख्या 18 लाख से पार हो गई। इससे स्थानीय प्रसाद दुकानदारों ने भी 5 करोड़ से अधिक का कारोबार किया है।

5 करोड़ आबादी के लिए बड़ा संदेश

पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कथा के दौरान कहा कि बिहार की आबादी 13 करोड़ है, अगर 5 करोड़ की आबादी तिलक लगाए और घरों में सनातन का ध्वज फहराए तो हिंदू राष्ट्र बनने का बड़ा अभियान बिहार से शुरू हो सकता है।

हालांकि कथा में श्रद्धालुओं की भीड़ देखकर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री काफी गदगद हुए और यहां तक कह दिया कि बिहार से हिंदू राष्ट्र का सपना पूरा होता नजर आ रहा है।

लोगों को कनेक्ट करने के लिए भोजपुरी अंदाज

बिहार के लोगों को दिल से जोड़ने के लिए बाबा ने भोजपुरी भाषा ही नहीं भोजपुरी अंदाज भी अपनाया। बाबा अमूमन कथा के दौरान खूबसूरत पगड़ी लगाते हैं, लेकिन बिहार में वह ठेंठ बिहारी अंदाज में ही दिखाई दिए। उन्होंने पगड़ी बांधी और इसमें अलग अलग अंदाज भी दिखाए। भोजपुरी भजन पर उन्होंने लोगों को खूब डांस कराया।

श्रद्धालुओं को बाबा ने ऐसे भक्ति रस में डुबोया कि वह सुध-बुध खोकर डांस करने लगे। बाबा ने कथा के दौरान भी भोजपुरी बोली यहां तक समापन समारोह में भोजपुरी गाना भी गाया। इससे उन्होंने खुद को बिहार से जुड़ा हुआ उदाहरण देकर लोगों को खुद से जोड़ने का प्रयास किया। बिना नाम लिए बाबा ने कथा का विरोध करने वालों का भी खूब जवाब दिया।

भारत में रहना होगा तो सीता-राम कहना होगा

पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कथा के दौरान कई बार कहा कि भारत में रहना होगा तो सीता राम कहना होगा। बाबा ने कहा बिहार तपस्वी की धरती है, इस धरती से ही बदलाव की आंधी चलेगी। माता सीता की धरती से राम राज लाने का अभियान चलाया जाएगा। बाबा ने कहा जो लोग विरोध कर रहे हैं, भौंक रहें वह भी राम नाम कहने लगेंगे।

सनातन धर्म की रक्षा के लिए माला भाला चाहिए

पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पांच दिवसीय हनुमंत कथा के समापन के दौरान कहा कि सनातन धर्म की रक्षा के लिए माला और भाला जरूरी है। सनातन धर्म की रक्षा के लिए हर स्तर पर काम करना होगा। उन्होंने कहा हनुमान जी शास्त्र हैं और अंगज जी शस्त्र हैं। सनातन धर्म की रक्षा के लिए शस्त्र और शास्त्र दोनों की जरूरत है। शस्त्र और शास्त्र में बहुत अंतर नहीं है। एक डंडा निकाला तो शास्त्र भी शस्त्र बन जाता है, लेकिन सनातन धर्म की रक्षा के लिए माला और भाला दोनों की जरूरत है।

जब तक शरीर में प्राण रहेगा बिहार आते रहेंगे

कथा के समापन के दौरान पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा कि बिहार में भक्ताें की संख्या काफी अधिक है। जब तक शरीर में प्राण रहेगा वह बिहार आते रहेंगे। कथा के दौरान बाबा ने एक शायरी भी सुनाई कहा- सितारों को आंखों में महफूज रखना…क्योंकि बहुत देर तक रात ही रात होगी, मुसाफिर हो तुम भी…मुसाफिर हैं हम भी, बाला जी ने चाहा तो किसी मोड़ पर फिर मुलाकात होगी।

बिहारियों के दिल में उतरने के लिए बाबा हो गए सरल

बिहारियों के दिल में उतरने के लिए बाबा ने अपना पूरा अंदाज ही बदल दिया। वह कथा के दौरान भोजपुरी भाषा का काफी इस्तेमाल किया। बिहार की बोली को सीखा और अधिकतर इसी बोली में बात किया। कई भोजपुरी भक्ति गाना भी गया जिस पर लोगों को खूब थिरकाया।

बाबा ने बबुआ डीएम होइहें हो.. गाना भी गाकर लोगों से खूब तालियां बजवाई। बाबा के कथा की सबसे बड़ी खासियत यह रही कि गर्मी में पसीने से तर बतर लोग भी कथा समाप्ति तक अपनी जगह से नहीं हिलते थे। कथा में वह इतना रम जाते थे कि बाबा को एक पहल भी नजर के सामने से हटने नहीं दे रहे थे।

बिहार के लोगों में बाबा के प्रति अटूट आस्था

बिहार के लोगों के दिल में बाबा के प्रति अटूट आस्था दिखी। बाबा पर इतना विश्वास था कि वह जिस आसन पर बैठते थे वहां लोग मत्था टेकने के लिए लाइन लगा देते थे। कोई सामान बाबा के हाथ से छू जाता था भक्त उसे लूटने के लिए लग जाते थे।

बाबा एक माला भी अगर फेंक देते थे तो भक्त उसे पाने के लिए टूट पड़ते थे। बाबा की सालीनता भी लोगों के दिल में काफी आस्था बढ़ा दी है।

साभार-डीबी