जमीन घोटाला:राँची पुलिस ने पहले जांच में दीवानी मामला बताया,अब फिर से इस केस की जांच राँची पुलिस करेगी…..

–चेशायर होम रोड में एक एकड़ जमीन की खरीद बिक्री मामले में हुए फर्जीवाड़ा की जांच राँची पुलिस ने दोबारा शुरू की

राँची।राजधानी राँची के चेशायर होम रोड स्थित प्लॉट नंबर 28,खाता नम्बर 37 में एक एकड़ जमीन की खरीद बिक्री मामले में हुए फर्जीवाड़ा मामले में सदर थाना में दर्ज कांड संख्या 399/22 की दोबारा राँची पुलिस करेगी। सोमवार को राँची पुलिस ने इस संबंध में कोर्ट को लिखित जानकारी दी है। कोर्ट को बताया गया है कि इस मामले में ईडी की ओर से पत्राचार किया गया था। ईडी द्वारा किए गए पत्राचार में कई तथ्य सामने आए हैं जिनका सत्यापन और साक्ष्य संकलन के लिए अनुसंधान जरूरी है। इसलिए इस मामले की फिर से अनुसंधान जरूरी है। उल्लेखनीय हो कि इस मामले में राँची पुलिस ने कोर्ट में क्लोजर रिपोर्ट दे दी थी। राँची पुलिस ने कोर्ट को बताया था कि मामला जमीन विवाद का है। मामले में आवश्यक तथ्यों का अनुसंधान किया।जिसमें पाया गया कि मामला जमीन विवाद से संबंधित है,इसलिए केस को दीवानी मामला बताते हुए क्लोज किया जाता है।

इधर जब ईडी ने इस मामले में फर्जीवाड़ा का खुलासा किया तो राँची पुलिस को भद पिटने लगी। इसके बाद ही ईडी के पत्राचार के बाद मामले में फिर से अनुसंधान शुरू हुआ है।राँची पुलिस ने कोर्ट को लिखित में दी जानकारी।थानेदार होगे मामले में अनुसंधान पदाधिकारी,वहीं सिटी डीएसपी दीपक कुमार को बनाया गया है पर्यवेक्षणकर्ता।

ईडी ने राँची पुलिस को बताया केमिकल से धोया गया रेकर्ड

ईडी ने पुलिस को किए गए पत्राचार में बताया है कि जमीन की खरीद बिक्री के लिए रेकर्ड में छेड़छाड़ की गई है उसमें कई तथ्य सामने आए है। रेकर्ड में फर्जीवाड़ा करने के लिए केमिकल से पूर्व में लिखे गए दस्तावेजों को मिटाया गया। फिर उसकी जगह दूसरे काम नाम लिखा गया। यह फॉरेंसिक की जांच में खुलासा हुआ। वहीं यह भी पाया गया कि उक्त दस्तावेज में कोलकाता को पश्चिम बंगाल में दिखाया गया था, जबकि 1932 में पश्चिम बंगाल था ही नहीं, तब सिर्फ बंगाल हुआ करता था। पश्चिम बंगाल 1947 में अस्तित्व में आया था। दस्तावेज में कोलकाता का पिन कोड भी लिखा हुआ था, जबकि पिन कोड भी 15 अगस्त 1972 को अस्तित्व में आया था। उक्त दस्तावेज में एक गवाह का मूल जिला आरा, भोजपुर बिहार बताया गया है। बिहार का भोजपुर जिला भी 1972 में अस्तित्व में आया था। इससे पूर्व वह जिला शाहाबाद था। शाहाबाद ही दो भागों में बंटा था, जिसमें एक जिला आरा-भोजपुर व दूसरा रोहतास बना था।