Jharkhand:राँची पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किये नक्सली जीवन ने कहा-बहन के साथ हुए दुष्कर्म के बाद हत्या का बदला लेने बना माओवादी

राँची।झारखण्ड के 10 लाख के इनामी नक्‍सली जीवन कंडुलना ने हथियार के साथ राँची पुलिस के समक्ष सरेंडर कर दिया।वहीं जीवन कंडुलना का नक्सली बनने का कहानी भी सामने आई है।जीवन कंडुलना अपनी बहन के साथ हुए दुष्कर्म के बाद हत्या का बदला लेने बना माओवादी बन गया। जीवन कंडुलना ने कहा कि उसकी बहन कॉलेज में पढ़ती थी इसी दौरान एक जनवरी 2009 को उसके गांव के ही तीन-चार लड़का मिलकर उसकी बहन के साथ दुष्कर्म किया,फिर उसकी हत्या कर दी गई।PLFI के डर से केस नहीं किए थे।तीन-चार दिन बाद बहन का शव मिला।उसने बताया कि बहन की हत्या की घटना सुनने के बाद जीवन जालंधर से वापस आ गया। इसी दौरान भाकपा माओवादी संगठन के निर्मल और प्रसाद जी उर्फ कृष्ण अहीर का दस्ता पिडिंग कमडोरा बाजार आता था।जीवन का माओवादी निर्मल से ज्यादा संपर्क था उसने अपनी बहन के साथ हुए दुष्कर्म की सारी बात बताई और इस घटना का बदला लेने के लिए साल 2009 में निर्मल के दस्ते में शामिल हो गया।

माओवादी में शामिल होने के बाद जीवन अपनी बहन के साथ हुए दुष्कर्म की घटना में शामिल मध्यम कुमार और राज किशोर की हत्या कर बदला लिया. इसके अलावा घटना में शामिल दो अन्य लड़का गांव से भाग गया।साल 2010 से लेकर 2012 तक निर्मल के दस्ता में जीवन सक्रिय रहा।साल 2012 में जीवन को एसएलआर हथियार दिया गया। निर्मल के गिरफ्तार होने के बाद जीवन कृष्णा अहीर के दस्ते में शामिल हो गया। इसके बाद माओवादी संगठन में सक्रिय होकर एक के बाद एक कई बड़ी घटनाओं का अंजाम दिया

जीवन कंडुलना को साल 2018 में सूचना मिली की माओवादियों से जुड़ी जानकारी अब्राहम टोपनो पुलिस को देता है।जिसके बाद जीवन ने अमित मुंडा महाराजा प्रमाणित समेत कई अन्य नक्सलियों के साथ अब्राहम की हत्या कर दिया और उसकी गाड़ी में आग लगा दिया।

जीवन कंडुलना ने कहां की पोड़ाहाट जॉन में सक्रिय रहने के दौरान उसकी माँ को कैंसर बीमारी हुआ जिसके इलाज कराने के लिए पैसा और मदद करने की बात कमेटी में रखा लेकिन कमेटी की तरफ से किसी भी तरह का मदद नहीं मिला और जीवन की मां की साल 2019 में मौत हो गई. जिसके बाद कुछ दिनों के बाद जीवन के बड़ा पिताजी का तबीयत खराब हो गया था. जिसका इलाज के लिए संगठन के अमित मुंडा से पैसा का मांग किया, पर संगठन के तरफ से कोई मदद नहीं मिलने के कारण जीवन का संगठन से मोहभंग होने लगा. इसी दौरान संगठन से मोहभंग होने के कारण जीवन सेरेंगदा से बीते 10 फरवरी को पार्टी छोड़कर भाग गया कुछ दिनों तक गांव में इधर-उधर रहने लगा जिसके बाद सरकार की आत्मसमर्पण नीति से प्रभावित होकर पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण करने का विचार कर ही रहा था।

इसी दौरान राँची एसएसपी के द्वारा विशेष दूत के माध्यम से आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में जुड़ने का संदेश भेजा गया।जिसके बाद जीवन में अपने परिजनों से विचार विमर्श कर राँची पुलिस के समक्ष हथियार के साथ आत्मसमर्पण कर दिया।जीवन के ऊपर राज्य के अलग-अलग थानों में कुल 72 मामले दर्ज हैं।