Jharkhand:नियोजन नीति मामले में सुप्रीम कोर्ट ने झारखण्ड हाइकोर्ट के उस फैसले पर स्टे लगाने का आदेश दिया है।

राँची।सुप्रीम कोर्ट ने झारखण्ड हाइकोर्ट के उस फैसले पर स्टे लगाने का आदेश दिया है।जिसमें हाईकोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा बनायी गयी नियोजन नीति को गलत करार देते हुए उस नीति के आधार पर हुए 13 जिलों में हुई शिक्षकों की नियुक्तियों को रद्द करने का आदेश दिया था

झारखण्ड हाईकोर्ट के आदेश के बाद पूर्व की नीति के अनुसार नियुक्त लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी और झारखण्ड हाइकोर्ट के आदेश को खारिज करने की मांग की गयी थी. मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सभी पक्षकारों को नोटिस जारी करते हुए झारखण्ड हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दिया है।

क्या है मामला
राज्य सरकार द्वारा लागू नियोजन नीति को चुनौती देने वाली याचिका पर झारखण्ड हाईकोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार के फैसले को गलत करार दिया था. हाईकोर्ट की तीन न्यायाधीशों की बृहद खण्डपीठ ने सर्वसम्मति से यह आदेश पारित किया था. तीन जजों की बृहद खण्डपीठ में जस्टिस एचसी मिश्र,जस्टिस एस चंद्रशेखर और जस्टिस दीपक रोशन शामिल थे.
यहां बता दें कि अब तक सरकार की नियोजन नीति में अनुसूचित जिलों में गैर अनुसूचित जिलों के लोगों को नौकरी के लिए अयोग्य माना गया था. जबकि अनुसूचित जिलों के लोग गैर अनुसूचित जिले में नौकरी के लिए आवेदन कर सकते थे।लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब झारखंड के किसी भी जिले का निवासी राज्य के किसी एक जिले से नौकरी के लिए आवेदन दे सकता है।नियोजन नीति को चुनौती देते हुए प्रार्थी सोनी कुमारी के द्वारा याचिका दायर की गयी थी।जिसमें कहा गया था कि प्रार्थी गैर अनुसूचित जिले की रहने वाली है और उसने दूसरे जिले में हाईस्कूल शिक्षक नियुक्ति की परीक्षा में शामिल होने के लिए आवेदन दिया था. लेकिन उनका आवेदन यह कहते हुए रद्द कर दिया गया कि वह गैर अनुसूचित जिले की हैं. आवेदन रदद् किये जाने के बाद प्रार्थी के द्वारा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए याचिका दायर की गयी थी। अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा है कि उनमें जो अपॉन्यमेंट थे. उनको रद्द करते हुए सरकार दोबारा नीति प्रक्रिया शुरु करें।