Happy Nag Panchmi 2021:नाग पंचमी 2021 की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई

“नागेंद्रहाराय त्रिलोचनाय भस्मांग रागाय महेश्वराय।

नित्याय शुद्धाय दिगंबराय तस्मे न काराय नम: शिवाय:”।।

राँची।सनातन धर्म में नाग पंचमी तिथि भगवान शिव तथा नाग देवता की पूजा के लिए बेहद अनुकूल मानी गई है। सावन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि पर नाग पंचमी का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। हिंदू धर्म शास्त्रों के अनुसार नाग पंचमी पर 12 नागों की पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। नाग पंचमी पर नाग देवता को प्रसन्न करने के लिए भक्त उन्हें दूध अर्पित करते हैं। शिव उपासकों के लिए इस दिन जलाभिषेक करना शुभ माना गया है। नाग पंचमी की तिथि पर जो भक्त नाग देवता तथा भगवान शिव की पूजा-आराधना श्रद्धापूर्वक करता है उसके जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। इस वर्ष नाग पंचमी आज शुक्रवार 13 अगस्त के दिन है।

नागपंचमी का पर्व आज शुक्रवार को पूरे हर्षोल्‍लास से मनाया जा रहा। गुरुवार को दोपहर 3.33 बजे के बाद सावन शुक्ल पक्ष पंचमी तिथि आरंभ हो गई। इस तिथि को नाग पंचमी भी कहा जाता है। नागदेव की पूजा-अर्चना का विशेष दिन है। नाग पंचमी शुक्रवार को दोपहर 1.47 बजे तक रहेगी। नाग देवता के साथ भगवान शिव की पूजा अर्चना हो रही है। संपेरे जगह जगह नाग लेकर घूम रहे हैं। मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन नागदेव की पूजा-अर्चना करने से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। वहीं, आज के दिन महादेव का रुद्राभिषेक की प्रधानता है। महादेव की कृपा से सर्वमंगल की पूर्ति होती है।

हिंदू धर्म में नाग को देवतुल्य माना गया है। दूसरी बात नाग भगवान महादेव को विशेष प्रिय है। यही कारण है कि नाग देव महादेव के गले में विराजमान रहते हैं। पंडित बिपिन पांडेय के अनुसार नागपंचमी के दिन महादेव और नागदेव की पूजा से कालसर्प दोष से तो मुक्ति मिलती ही है सांप काटने का अनावश्यक भय भी समाप्त हो जाता है। महादेव की कृपा से सांप कभी नुकसान नहीं पहुंचाते। वहीं, विधि-विधान से पूजा करने से घर में शांति व समृद्धि आती है।

कुल देवता के रूप में होती नागदेव की पूजा

देश के कई हिस्से में नागदेव को कुलदेवता के रूप में पूजा किया जाता है। यह भी मान्यता है कि धरती का भार नागदेव के फन पर टिका है। पंडित बिपिन पांडेय कहते हैं सनातन संस्कृति में प्रचलित मान्तया के अनुसार धरती पर बड़ी संख्या में विषैले जीव-जन्तु हैं। नागदेव इन विषैले जीव जन्तु से हमारी रक्षा करते हैं। नागदेव की असीम कृपा के कारण ही देवता के रूप में पूजा की जाती है।

पूजा के बाद घर में बनाये जाते हैं नाग-नागिन का चित्र

नागपंचमी पर नागदेव की पूजा अर्चना के बाद घर के प्रवेश द्वार पर नाग-नागिन का चित्र बनाने की भी प्रथा है। वहीं, नागदेव जिनका कुलदेवता है वे आज की रात विशेष पूजन करते हैं। घर में नागदेव की मूर्ति स्थापित कर पूजा करते हैं। पूजा स्थल पर हल्दी और अर्पण का छिड़काव किया जाता है।

सिद्ध योग में करें महादेव व नागदेव की पूजा

पंडित बिपिन पांडेय के अनुसार सावन शुक्ल पक्ष गुरुवार को दोपहर 3.33 बजे आरंभ हो जायेगा जो कि शुक्रवार को दोपहर 1.47 बजे तक रहेगा। सिद्ध योग प्रात:काल से 11.37 बजे तक रहेगा। यह समय पूजा के लिए विशेष उपयुक्त होगा। हालांकि, दोपहर 1.47 बजे तक पूजा कर सकते हैं।

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