चौकियें मत ! जब यह पता चलेगा कि सैकड़ों बच्चों का पिता एक है रूपचंद्र गंर्धव

बांका।बिहार के बांका जिले की ये खबर आपको थोड़ा अटपटा लगेगा। जब यह पता चलेगा कि सैकड़ों बच्चों का पिता एक है। जी, हां बजाप्ता एक गांव बसा है। जहां सभी बच्चों की माँ तो अलग है लेकिन पिता एक ही है। कोई भी सुनता है तो एक बार चौक जाता है। ऐसा भी है। बिल्कुल सच है। आइए, हम ले चलते हैं उस गांव में जहां आप किसी बच्चे से उसके पिता का नाम पूछेंगे तो वह बताएगा कि उसके पिता नाम रूपचंद गंर्धव है।

आइए चलते हैं रूपचंद के गांव

झारखण्ड सीमा से लगा बिहार के बांका जिले के बौंसी का चिकनमाटी बस्ती। दशकों से बांका की यह बस्ती बदनाम रही है। कुछ साल पहले तक यह रसिकों का अड्डा हुआ करता था। घुंघरु और मुजरे के कद्रदानों की भीड़ लगी रहती थी। रसिकों के कदम लडख़ड़ाए तो बेनाम पिता वाले बच्चों की फौज खड़ी हो गई। पर समय के चक्र के साथ सब कुछ बदल रहा है। नए जमाने की बेटियां घुंघरु खोल बस्ती पर लगे रुपचंद के कलंक को धो रही है। उनके घर डोलियां भी उठ रही है और दुल्हे का बारात भी सज रहा है। घुंघरु और गायन-वादन की बात सुनते ही उन्हें काले दिन याद आने लगते हैं। गांव में तीन पीढ़ी से बसी बेटियां भी इन्हें टीस दे रही है। इस बस्ती की सबसे बुजुर्ग श्यामा देवी पूछने पर फफक पड़ती है। कहती है कि इस देहरी पर किसके कदम नहीं पड़े। श्यामबाजार हटिया उनके नृत्य और गीत से परवान चढ़ा। हटिया आज लाखों आमदनी कर रहा और उनके परिवारों चवन्नी भी नसीब नहीं है। आठ-दस साल में नई पीढ़ी ने इस कलंक को धोने का प्रण ले रखा है। अब स्थिति पूरी तरह बदल गई है। नाचना-गाना सब बंद हो गया है।

बदलने लगा और विद्यालय पंजी से हटा काला नाम, मतदाता सूची दे रहा टीस

चिकनमाटी और शोभापाथर गंधर्व बस्ती के बच्चे उच्च विद्यालय सिकंदरपुर में पढ़ते हैं। विद्यालय के शिक्षक कैलाश प्रसाद यादव बताते हैं कि पिछले साल तक उनके विद्यालय में दो बच्चे के नाम में पिता की नाम की जगह रूपचंद गंधर्व लिखा था। इस सत्र में रूपचंद वाला कोई छात्र नहीं है। दो-चार साल पहले पास करने वाली लड़कियों की शादी भी हो रही है। प्रोन्नत मध्य विद्यालय बढ़ैत के शिक्षक और चिकनमाटी के बीएलओ नकुल ङ्क्षसह बताते हैं कि उनके इस गांव का सभी बच्चा विद्यालय में नामांकित है। किसी बच्चे के नाम में पिता की पहचान रूपचंद से नहीं है। हां, इस गांव की मतदाता सूची में जरूर दर्जन भर मतदाता के नाम में पिता की जगह रूपचंद गंधर्व लिखा है। खास बात यह कि इस मतदाता सूची में कई मतदाता के पिता की जगह उनकी माता का नाम लिखा है।

बेनाम बच्चों के पिता बनते रहे रुपचंद

स्थानीय लोग बताते हैं कि रुपचंद का मतलब रुपये का औलाद होता है। देह व्यापार से जुड़ी गंधर्व परिवार की महिलाओं को संतानें हैं, मगर उन्होंने किसी पुरूष से विधिवत शादी नहीं की। ऐसे संतानों की पहचान ही रुपचंद से होती है। रुपचंद नाम कोई इंसान नहीं है। बस यह केवल एक संकेत है। पहले हर चेहरे के पिता की पहचान रुपचंद से होती थी अब उसे नाम मिलने लगा है।
साभार:S.S, DJ