#CYBERCRIME:डीएसपी के अकाउंट हैक कर साइबर अपराधी ने क्राइम रिपोर्टर से मांगे पैसे,क्राइम रिपोर्टर का जवाब सुन अपराधी मांगने लगा माफी..

राँची।झारखण्ड साइबर अपराधियों का हब माना जाता जाता है। झारखण्ड का जामताड़ा पूरे देश में साइबर क्राइम प्रसिद्ध है। जामताड़ा के अपराधी बैंक ऑफिसर बन कर देश के कई नामी-गिरामी हस्तियों को भी चूना लगा चुके हैं लेकिन हाल के दिनों में झारखण्ड में साइबर अपराधियों ने ठगने का नया जरिया फेसबुक को बनाया है। फेसबुक पर फेक प्रोफाइल बनाकर मैसेंजर से जरिये पैसे की मांग करते हैं। ये पैसा मदद के नाम पर जान-पहचान वालों से मांगी जाती है।लेकिन राँची में एक साइबर अपराधी तब फंस गया जब उसने एक रिटायर्ड डीएसपी के अकाउंट को हैक कर एक नामी गिरामी अखबार के राज्य हेड क्राइम रिपोर्टर से पैसे की मांग की।

मामला क्या है ?

दरअसल साइबर शातिरों ने डीएसपी के पद से सेवानिवृत्त हो चुके अरविंद कुमार सिन्हा के एकाउंट का एक डमी अकाउंट बना लिया और उससे उनके फ्रेंडलिस्ट में शामिल लोगों से मदद के नाम पर पैसा मांगने लगा। साइबर शातिरों का ये खेल तब पकड़ा गया जब रिटायर्ड डीएसपी के एकाउंट से हिंदुस्तान अखबार के स्टेट क्राइम हेड रिपोर्टर अखिलेश कुमार सिंह को मैसेज कर 20 हज़ार रुपये की मांग की गई। मैसेज आते ही रिपोर्टर समझ गया कि ये मैसेज साइबर अपराधी कर रहे हैं। उसके बाद सिंह ने जो जवाब दिया उससे साइबर अपराधी माफी ही मांगने लगा। क्राइम रिपोर्ट ने शातिर को बताया कि तुम जिस अकाउंट से पैसे मांग रहे हो वह डीएसपी रह चुके हैं और जिससे मांग रहे हो वह स्टेट का सबसे बड़ा क्राइम रिपोर्टर है। उसके बाद शातिर सॉरी भाई लिखने लगा।

कैसे ठगता है अपराधी

साइबर अपराधियों ने झारखण्ड में इन दिनों ठगने का नया तरीका अपनाया है। फेसबुक के मैसेंजर पर ये शातिर किसी का भी डमी अकाउंट बनाते हैं फिर उनके फ्रेंडलिस्ट में शामिल लोगों से जुड़ते हैं। फिर बीमारी या फिर कोई और बहाना बनाकर 2 हज़ार से 20 हज़ार रुपये तक की मदद मांगते हैं। शातिर अक्सर रुपया गूगल पे या फिर ऑनलाइन ट्रांसफर करने को कहते हैं।

आप रहें सावधान

आप मैसेंजर पर मदद के लिए मांगे जा रहे लोगों को एक बार वेरिफाई जरूर कर लें। अगर संभव हो तो पैसा मांगने वाले व्यक्ति से आप फोन कर बात कर सकते हैं। बात करने के बाद आपको लगे कि मदद करनी चाहिए तभी करें। नहीं तो आपका पैसा आपके जानने-पहचानने वाले के पास न जाकर शातिर के एकाउंट में चला जायेगा।

कई मामले अबतक हो चुके हैं दर्ज।
साइबर थाना की अधिकारियों की मानें तो हाल के दिनों में ऐसे मामले की संख्या बढ़ी है। ज्यादातर लोग मामला दर्ज नहीं करवाते जिससे अपराधियों का मनोबल और बढ़ता है।जानकार यह भी बताते हैं कि साइबर की यह नई ठगी भी जामताड़ा और उसके आसपास के इलाकों से शुरू हुई है।