#JHARKHAND:जुलाई 2020 को जारी किये गये सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे (एसआरएस) आंकड़ों के अनुसार झारखण्ड में प्रसव के दौरान मातृत्व मृत्यु अनुपात 71 हो गया है।

राँची।जुलाई 2020 को जारी किये गये सैंपल रजिस्ट्रेशन सर्वे (एसआरएस) आंकड़ों के अनुसार झारखण्ड में प्रसव के दौरान मातृत्व मृत्यु अनुपात 71 हो गया है।जो पिछली बार 2015-2017 में जारी आंकड़ों की तुलना में 5 कम है और यह राष्ट्रीय अनुपात 113 से कम है।
इस तरह झारखण्ड देश भर में अनुपात कम करने वाले राज्यों की श्रेणी में छठवें नंबर पर आ गया है।झारखंड में 6.6 प्रतिशत गिरावट दर्ज की गयी है।2015-17 के जारी आंकड़े में झारखंड में मातृत्व मृत्यृ अनुपात 76 दर्ज किया गया था।

गर्भवती महिलाओं के प्रसव के दौरान मृत्यु का अनुपात कम करना एक बड़ी चुनौती माना जाता है।इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग द्वारा लगातार किये जा रहे प्रयासों का नतीजा है कि मृत्यु दर में यह गिरावट दर्ज की गयी है।

चलाये जा रहे कई अभियान
स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव डॉ नितिन कुलकर्णी ने कहा है कि सुरक्षा योजना, जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम, प्रधानमंत्री मातृत्व सुरक्षा अभियान और लक्ष्य कार्यक्रम की लगातार निगरानी और अनुश्रवण का परिणाम है कि मातृ मृत्यु अनुपात में कमी आयी है।उन्होंने कहा है कि हमें और ज्यादा काम करना होगा ताकि झारखंड का मातृत्व मृत्यु दर इससे और बेहतर हो सके।डॉ नितिन कुलकर्णी ने कहा कि इसे और कम करने के लिए और सार्थक प्रयास करने होंगे।प्रधान सचिव ने कहा कि हाई रिस्क प्रेग्नेंसी श्रेणी की महिलाओं की पहचान कर सुरक्षित प्रसव के लिए उन्हें ममता वाहन एवं 108 एंबुलेंस की मदद से फर्स्ट रेफरल यूनिट (एफआरयू) तक पहुंचाने की व्यवस्था की गयी है।

दो बच्चों के जन्म में अंतर रखने की सलाह

उन्होंने कहा कि हर महीने की नौ तारीख को प्रधानमंत्री मातृत्व सुरक्षित अभियान चलाया जाता है जिसमें एनिमिया की जांच कर आयरन और कैल्शियम की गोली दी जाती है. इसके अलावा चिकित्सक महिलाओं की एएनसी जांच करते हैं। एमएमआर कम करने के लिए दो बच्चों के बीच जन्म में अंतर रखने की सलाह देनी होगी ताकि मातृत्व मृत्यु दर में कमी आये।आंकड़ों के संबंध में अभियान निदेशक शैलेश कुमार चौरसिया ने कहा है कि मातृ मृत्यु अनुपात को कम करने में भी झारखंड के सभी जिलों का प्रयास सराहनीय है।हालांकि जिलों में हो रही मृत्यु के अंतर को भी कम करना होगा।उन्होंने कहा कि इन आंकड़ों को कम करने के लिए स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों को और प्रयास करना होगा. आंकड़ों को और कम करने के लिए ज्यादा से ज्यादा क्षेत्र भ्रमण करना होगा और निर्देशों का पालन करते हुए काम करना होगा।