चुनावी हलचल के बीच सरायकेला प्रवास पर गये झारखण्ड के मुख्यमंत्री:झामुमो में पावर शिफ्टिंग पॉलिटिक्स ! क्या कल्पना की होगी ताजपोशी ? ….

राँची।झारखण्ड में मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद चंपाई सोरेन जिस एग्रेसन के साथ जनता के बीच जाकर अपनी सरकार की उपलब्धियां गिना रहे थे,उसपर अचानक ब्रेक लग गया है।चुनावी हलचल के बीच सीएम चंपाई सोरेन सरायकेला प्रवास पर चले गये हैं।एक दिन के लिए नहीं बल्कि तीन चार दिन के लिए। इस दौरान सिर्फ अपने विधानसभा क्षेत्र की जनता से मिलेंगे। इस वजह से पार्टी के प्रति उनकी जिम्मेदारी और जवाबदेही पर सवाल उठने लगे हैं।क्योंकि वह ना सिर्फ राज्य के सीएम हैं बल्कि झामुमो के उपाध्यक्ष भी हैं।

 

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चुनावी माहौल में सीएम चंपाई के अचानक शिथिल पड़ने पर चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है।कई तरह के सवाल उठने लगे हैं।इस बात के भी कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या झारखण्ड में पावर शिफ्टिंग की तैयारी हो रही है। क्या गांडेय उपचुनाव से पहले कल्पना सोरेन की बकौल सीएम ताजपोशी हो जाएगी। झामुमो का पैटर्न तो इसी ओर इशारा कर रहा है।

मधुपुर में उपचुनाव से पहले पार्टी ने हफीजुल हसन को मंत्री बना दिया था।बाद में उपचुनाव में उनकी जीत भी हुई। इसी तरह जगरनाथ महतो के निधन के बाद डुमरी उपचुनाव से पहले उनकी पत्नी बेबी देवी को मंत्री पद की शपथ दिला दी गई थी।वहां भी पार्टी को सफलता मिली।जाहिर है कि कल्पना सोरेन को उसी तर्ज पर आगे बढ़ाया जाता है तो पार्टी की जीत की गारंटी और मजबूत हो जाएगी। पिछले दिनों नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी भी कह चुके हैं कि सत्ता की कमान सोरेन परिवार के पास ही है।कोल्हान टाइगर कहे जाने वाले चंपाई जी को सर्कस का टाइगर बना दिया गया है।

उधर सीएम चंपाई के मीडिया सलाहकार धर्मेंद्र गोस्वामी उर्फ चंचल की बातों से यह समझना मुश्किल नहीं है कि पार्टी में क्या कुछ चल रहा है। सीएम के तीन दिवसीय कार्यक्रम के बारे में पूछने पर उन्होंने मीडिया को बताया कि सीएम सिर्फ और सिर्फ अपने विधानसभा क्षेत्र की जनता के बीच रहेंगे। सीएम 16 अप्रैल को राँची लौटेंगे। उनसे पूछा गया कि क्या कोल्हान में झामुमो प्रत्याशी जोबा मांझी के लिए चुनावी सभा या जनसंवाद करेंगे। उनका जवाब था ‘नहीं’। उनका इस तरह का जवाब, अपने आप में एक बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है।

ऐसा इसलिए क्योंकि पिछले दिनों हेमंत सोरेन के करीबी कहे जाने वाले विधायक सुदिव्य कुमार सोनू ने गिरिडीह में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा था कि कल अगर कल्पना मैडम आपकी विधायक होंगी तो जो 75 वर्षों में नहीं हुआ है, वह चार महीनों में होगा। आप एक विधायक नहीं चुनने जा रहे हैं बल्कि सीएम के समकक्ष एक नेता को चुन रहे हैं। यही बात जनता के बीच बोलना है। सुदिव्य का यह बयान बता रहा है कि भीतरखाने खिचड़ी पक चुकी है।

कल्पना सोरेन का वेलम प्लान है तैयार- प्रतुल

इधर पावर शिफ्टिंग की संभावनाओं पर भाजपा प्रवक्ता प्रतुल नाथ शाहदेव ने कहा कि यदि कल्पना सोरेन सीएम बन जाएं तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है। क्योंकि अपने परिवार से बाहर का आदिवासी सोरेन परिवार को हमेशा से खटकता है। झामुमो के नेता ही अपने बयानों से इस ओर इशारा कर रहे हैं।इससे पता चलता है कि चंपाई का एक्जिट और कल्पना का वेलकम प्लान तैयार हो चुका है। क्योंकि पूर्व में भी हफीजुल हसन और बेबी देवी को उपचुनाव के पहले मंत्री बनाया जा चुका है।इससे यह भी साबित हो गया है कि सोरेन परिवार दूसरे आदिवासियों का सिर्फ इस्तेमाल करती है और फिर फेंक देती है।

झामुमों के चार प्रत्याशी घोषित, फिर भी सीएम शिथिल

आमतौर पर प्रत्याशी के नाम की घोषणा के साथ ही संबंधित पार्टी के नेताओं की गतिविधि बढ़ जाती है।इस मामले में एनडीए एक कदम आगे चल रही है। भाजपा के तमाम वरीय नेता बूथ लेबल पर काम में जुटे हुए हैं। जनता से संवाद किया जा रहा है। लेकिन हेमंत सोरेन की जगह सरकार के मुखिया बने चंपाई सोरेन अलग थलग पड़े हुए हैं।

दरअसल, झामुमो की ओर से चार लोकसभा क्षेत्रों में प्रत्याशियों के नाम की घोषणा हो चुकी है। 4 अप्रैल को दुमका और गिरिडीह सीट पर प्रत्याशियों की घोषणा हुई थी। दुमका में नलिन सोरेन और गिरिडीह में मथुरा महतो को प्रत्याशी बनाया गया है।इसके बाद 9 अप्रैल को राजमहल और सिंहभूम सीट पर प्रत्याशियों की घोषणा की गई।राजमहल में विजय हांसदा को तीसरी बार प्रत्याशी बनाया है तो सिंहभूम में पहली बार मनोहरपुर से विधायक जोबा मांझी को भाजपा की गीता कोड़ा के सामने उतारा गया है। लेकिन इसके बावजूद सीएम होने के नाते चंपाई सोरेन, चारों लोकसभा क्षेत्रों में किसी भी स्तर के चुनावी कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए हैं।

पावर शिफ्टिंग के कयासों के पीछे की कुछ और भी वजहें हैं। मसलन, 21 अप्रैल को राँची में आहूत उलगुलान न्याय रैली की तैयारी को लेकर पिछले दिनों गठबंधन दलों की बैठक को कल्पना सोरेन ने ही लीड किया था।यही नहीं राहुल गांधी की मुंबई में न्याय यात्रा के समापन और केजरीवाल की गिरफ्तारी के विरोध में दिल्ली में इंडिया गठबंधन के शक्ति प्रदर्शन में भी कल्पना सोरेन की ब्रांडिंग हुई थी। दोनों कार्यक्रमों में चंपाई सोरेन को तरजीह नहीं दी गई थी।

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