झारखण्ड:कल्पना सोरेन के ट्वीट पर सीता सोरेन का पलटवार- हमने मुंह खोला तो कितनों का सत्ता सुख पाने का सपना हो जाएगा चूर-चूर

राँची।झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सोशल मीडिया ‘एक्स’ को हैंडल कर रहीं उनकी पत्नी कल्पना सोरेन ने बुधवार (20 मार्च) को सीता सोरेन के झारखण्ड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) छोड़ भाजपा का दामन थामने के बाद एक ट्वीट किया था।इस ट्वीट पर अब शिबू सोरेन की बड़ी बहू सीता सोरेन ने पलटवार किया है।जामा विधानसभा क्षेत्र की पूर्व विधायक और अब भाजपा नेता सीता सोरेन ने सोशल मीडिया साइट ‘एक्स’ पर कल्पना सोरेन के पोस्ट के जवाब में एक पोस्ट लिखा।इसमें उन्होंने अपने गुस्से का इजहार किया है। एक के बाद एक 7 ट्वीट करके सीता सोरेन ने अपनी व्यथा भी व्यक्त की है और गुस्से का इजहार भी किया है।

उन्होंने कहा कि स्व दुर्गा सोरेन के नाम की दुहाई देकर घड़ियाली आंसू बहाने वाले लोग मेरे मुंह में उंगली न डालें।मैंने और मेरे बच्चों ने मुंह खोल दिया, तो भयावह सच्चाई उजागर हो जाएगी। फिर न जाने कितने लोगों की राजनीतिक सत्ता सुख भोगने का सपना चूर-चूर हो जायेगा।

सीता सोरेन ने लिखा, ‘मेरे पति स्वर्गीय दुर्गा सोरेन जी के निधन के बाद से मेरे और मेरे बच्चों के जीवन में जो परिवर्तन आया, वह किसी भयावह सपने से कम नहीं था। मुझे और मेरी बेटियों को न केवल उपेक्षित किया गया, बल्कि हमें सामाजिक और राजनीतिक रूप से भी अलग-थलग कर दिया गया।”

उन्होंने लिखा, ‘ईश्वर जानता है कि मैंने इस दौर में अपनी बेटियों को कैसे पाला.मुझे और मेरी बेटियों को उस शून्य में छोड़ दिया गया, जहां से बाहर निकल पाना हमारे लिए असंभव लग रहा था। मैंने न केवल पति को खोया, बल्कि एक अभिभावक, एक साथी और अपने सबसे बड़े समर्थक को भी खो दिया। मेरे इस्तीफे के पीछे कोई राजनीतिक कारण नहीं है।यह मेरी और मेरी बेटियों की पीड़ा, उपेक्षा और हमारे साथ हुए अन्याय के खिलाफ एक आवाज है।’

सीता सोरेन ने आगे लिखा है कि जिस झारखण्ड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) को मेरे पति ने अपने खून-पसीने से सींचा, वह पार्टी आज अपने मूल्यों और कर्तव्यों से भटक गई है।मेरे लिए, यह सिर्फ एक पार्टी नहीं, बल्कि मेरे परिवार का एक हिस्सा था।मेरा निर्णय भले ही दुःखदायी हो, लेकिन यह अनिवार्य था।मैंने समझ लिया है कि अपनी आत्मा की आवाज सुनना और अपने आदर्शों के प्रति सच्चा बने रहना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है।

उन्होंने लिखा कि मैं समस्त झारखण्डवासियों से अनुरोध करती हूं कि मेरे इस्तीफे को व्यक्तिगत संघर्ष के रूप में देखें, न कि किसी राजनीतिक चाल के रूप में। उन्होंने कहा कि झारखण्ड और झारखंडियों के लिए अपने जीवन का बलिदान देने वाले स्वर्गीय दुर्गा सोरेन जी के नाम की दुहाई देकर घड़ियाली आंसू बहाने वाले लोगों से विनती है कि मेरे मुंह में अंगुली न डालें।

उन्होंने कहा कि अगर मैंने और मेरे बच्चों ने मुंह खोलकर भयावह सच्चाई को उजागर कर दिया, तो कितनों का राजनैतिक और सत्ता सुख का सपना चूर-चूर हो जायेगा।उन्होंने इस पोस्ट में आरोप लगाया कि कुछ लोगों ने हमेशा से दुर्गा सोरेन और उनके लोगों को मिटाकर समाप्त करने की साजिश रची है।