Happy Vishwakarma Puja 2020:आज विश्वकर्मा पूजा,भगवान विश्वकर्मा का आशीर्वाद आप सभी पर सदा बना रहे,आपको हमेशा अपने काम में सफलता और तरक्की मिले…

Vishwakarma Puja 2020: राँची।आज विश्वकर्मा पूजा है ऐसे तो कोरोना काल में इस साल सभी त्यौहार फीका हो गया है।इस बार विश्वकर्मा पूजा सादगी से मनाया जा रहा है।हिंदू धर्म में हम सभी हर त्यौहार को तिथि के मुताबिक मनाते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार ही हम सभी अपने त्यौहार को मनाया जाता है। लेकिन विश्वकर्मा जयंती उन चंद त्यौहारों में से ऐसी है जिस हमेशा से ही 17 सितंबर को मनाया जाता है।इस दिन लोग अपना व्यापार बढ़ाने के लिए दुकानों और कारखानों में स्थित मशीनों की पूजा करते हैं।साथ ही साथ देशभर में हर उस मशीन की पूजा की जाती है जिससे उनका रोजी-रोजगार चलता है. वहीं, आम इंसान अपनी गाड़ियों को भी धोकर पूजते हैं. कुछ स्थानों पर भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमाएं बैठायी जाती है. और भगवान से सुख-समृद्धि देने की मंगलकामना की जाती है।

कौन हैं भगवान विश्वकर्मा

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार देवताओं के अस्त्र-शस्त्र और महलों का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने ही किया था. यही कारण है कि इन्हें निर्माण और सृजन का देवता माना जाता है. भगवान विश्वकर्मा ने सोने की लंका से लेकर पुष्पक विमान, इंद्र का व्रज, पांडवों के लिए इंद्रप्रस्थ नगर, भगवान शिव का त्रिशूल और भगवान कृष्ण की नगरी द्वारिका भी बनाई थी।इसीलिए इन्हें शिल्पकला का जनक भी माना जाता है।हिंदू मान्यताओं के अनुसार, प्राचीन काल में देवताओं के महल और अस्त्र-शस्त्र विश्वकर्मा भगवान ने ही बनाया था। इन्हें निर्माण का देवता कहा जाता है। मान्यता है कि भगवान कृष्ण की द्वारिका नगरी, शिव जी का त्रिशूल, पांडवों की इंद्रप्रस्थ नगरी, पुष्पक विमान, इंद्र का व्रज, सोने की लंका को भी विश्वकर्मा भगवान ने बनाया था। अत: इसी श्रद्धा भाव से किसी कार्य के निर्माण और सृजन से जुड़े हुए लोग विश्वकर्मा भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं।

हर वर्ष 17 सितंबर को ही क्यों मनाई जाती है विश्वकर्मा जयंती:

इस जयंती को लेकर कई मान्यताएं प्रसिद्ध हैं। मान्यता है कि अश्विन कृष्णपक्ष की प्रतिपदा तिथि को भगवान विश्वकर्मा का जन्म हुआ था। लेकिन कुछ लोगों का मानना यह भी है कि भाद्रपद की अंतिम तिथि को विश्वकर्मा पूजा करना बेहद शुभ होता है। ऐसे में सूर्य के पारगमन के मुताबिक ही विश्वकर्मा पूजा के मुहूर्त को तय किया जाता है। यही कारण है कि विश्वकर्मा जयंती 17 सितंबर को मनाई जाती है।

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