ईडी ने कोर्ट को बताया-संजीव लाल प्रभावशाली लोगों के संरक्षण में करता था टेंडर मैनेज, कमीशन की राशि जाती थी नेताओं और नौकरशाहों तक…

–ईडी ने 13 मई तक संजीव लाल और जहांगीर आलम से करेगा पूछताछ, पीएमएलए कोर्ट ने छह दिन का रिमांड किया स्वीकृत, सोमवार की देर रात छापेमारी के बाद ईडी ने किया था गिरफ्तार

–छापेमारी के दौरान ईडी ने संजीव लाल व उनके करीबियों के ठिकानों से किया था 35.23 करोड़ रुपए बरामद, लेन-देन, ट्रांसफर-पोस्टिंग से संबंधित दस्तावेज,डिजिटल उपकरण भी बरामद

राँची।प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री आलमगीर आलम के निजी सचिव संजीव लाल व उनके नौकर जहांगीर आलम सहित उनके कई करीबियों के ठिकानों पर छापेमारी की थी। छापेमारी के बाद ईडी ने जहांगीर के फ्लैट व अन्य ठिकानों से कुल 35 करोड़ 23 लाख रुपए बरामद किए थे। इतनी बड़ी रकम बरामद होने के बाद ईडी ने सोमवार की रात दो बजे संजीव लाल व जहांगीर आलम को गिरफ्तार किया। ईडी ने नगद के अलावा इनके ठिकानों से भारी मात्रा में लेन-देन, ट्रांसफर-पोस्टिंग से संबंधित दस्तावेज, डिजिटल उपकरण भी बरामद किए गए थे। इन दोनों को ईडी ने मंगलवार को पीएमएलए की विशेष अदालत में पेश किया। जहां से दोनों न्यायिक हिरासत में राँची के होटवार स्थित बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा में भेज दिए गए हैं।आज बुधवार से ईडी दोनों को जेल से ईडी ऑफिस लाकर पूछताछ शुरू करेगी। ईडी ने कोर्ट से दोनों को 10 दिनों तक रिमांड पर पूछताछ की अनुमति मांगी। कोर्ट से ईडी को छह दिनों तक पूछताछ की अनुमति दी है। अब ईडी आठ मई से 13 मई तक दोनों से पूछताछ करेगा।

ईडी को अनुसंधान में कई नौकरशाह व नेताओं के नाम की मिली जानकारी

ईडी ने कोर्ट को दिए रिमांड पिटिशन में बताया है कि संजीव लाल प्रभावशाली लोगों के संरक्षण में टेंडर मैनेज करता था। टेंडर मैनेज करने के लिए इंजीनियरों से वह मोटी रकम वसूलता था। यह कमीशन सरकार में ऊपर तक पहुंचता था। ईडी ने अनुसंधान में पाया है कि टेंडर कमीशन के इस भ्रष्टाचार में कई वरिष्ठ नौकरशाह से लेकर नेता तक शामिल थे। जिनके नाम सामने आ चुके हैं। ईडी ने कोर्ट में बताया है कि ग्रामीण विकास विभाग के नीचे से लेकर ऊपर तक के बहुत से अधिकारी-कर्मी, इस टेंडर कमीशन के नेटवर्क का हिस्सा रहे हैं, जो नकदी वसूली में शामिल थे और उन रुपयों की लाउंड्रिंग की।

आय से भारी मात्रा में चल-अचल संपत्ति अर्जित की गई है अर्जित

ईडी ने कोर्ट को बताया है कि बरामद रुपए, दस्तावेज की छानबीन के लिए संजीव लाल व जहांगीर आलम से पूछताछ की आवश्यकता है। टेंडर कमीशन में ग्रामीण विकास विभाग के नीचे से लेकर ऊपर तक के कई अधिकारियों-कर्मियों, नेताओं की मिलीभगत उजागर हुई है, जिसमें गवाहों व अन्य आरोपियों का बयान लिया जाना है। यह भी आशंका जताई जा रही है कि दोनों ही आरोपियों ने अपराध की आय से भारी मात्रा में चल-अचल संपत्ति अर्जित की है। दोनों ने छापेमारी में बरामद रुपयों के बारे में संतोषजनक जवाब नहीं दिया और न हीं पूछताछ में ईडी को सहयोग ही किया। ईडी ने कोर्ट को बताया इनकी चल-अचल संपत्ति को चिह्नित करने के लिए भी इनसे पूछताछ की आवश्यकता है।

संजीव लाल के कहने पर जहांगीर आलम करता था रुपयों की वसूली

ईडी ने कोर्ट को यह भी बताया है कि गिरफ्तार जहांगीर आलम संजीव लाल के कहने पर ही प्रभावशाली व्यक्तियों से रुपयों की वसूली करता था। दोनों ने मिलकर अपराध से कई संपत्ति अर्जित की है। ईडी ने छापेमारी के दौरान सभी ठिकानों से भारी मात्रा में संदिग्ध दस्तावेजों की भी बरामदगी की है। जहांगीर आलम के ठिकाने से 32 करोड़ 20 लाख रुपये बरामद किए गए। इसके अलावा उनके अन्य सहयोगी के ठिकाने से दो करोड़ 93 लाख व संजीव लाल के ठिकाने से 10 लाख पांच हजार रुपये की बरामदगी हुई है। संजीव लाल के आवास से दो वाहन भी ईडी ने बरामद किए गए हैं, जिनमें एक वाहन जहांगीर आलम के नाम पर था। ईडी ने कोर्ट को बताया है कि यह साबित होता है कि अपराध में संजीव लाल का नजदीकी सहयोगी जहांगीर आलम रहा है।

वीरेंद्र राम व अन्य इंजीनियरों ने भी संजीव लाल को कमीशन में दिए थे करोड़ों रुपये

ईडी ने यह भी खुलासा किया है कि टेंडर कमीशन घोटाले में गत वर्ष 23 फरवरी 2023 को ग्रामीण कार्य विभाग के तत्कालीन मुख्य अभियंता वीरेंद्र राम को गिरफ्तार किया था। वीरेंद्र राम से छानबीन में ईडी को यह जानकारी मिली थी कि वीरेंद्र राम व अन्य इंजीनियरों ने भी संजीव लाल को टेंडर कमीशन में करोड़ों रुपये दिए। उस समय से ही ईडी की नजर संजीव लाल पर थी।

ईडी ने 17 सितंबर 2020 को दर्ज किया था ईसीआइआर

एसीबी जमशेदपुर में 13 नवंबर 2019 को दर्ज कांड संख्या 13/2019 के आधार पर ईडी ने 17 सितंबर 2020 को ईसीआइआर दर्ज किया था। ईडी की छानबीन में मिले तथ्यों व सूचनाओं के आधार पर दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध इकाई ने तीन मार्च 2023 को कांड संख्या 22/2023 दर्ज की थी। यह एफआईआर वीरेंद्र कुमार राम, मुकेश मित्तल व अन्य अज्ञात पर दर्ज हुई थी। इसमें बंद हो चुके भारतीय नोट की बरामदगी से संबंधित धाराएं भी लगीं थीं। ईडी ने उन सभी कांड को भी अपने ईसीआइआर में जोड़ दिया था। छानबीन के बाद ईडी ने 21 अप्रैल 2023 को वीरेंद्र राम, आलोक रंजन, राजकुमारी व गेंदा राम के विरुद्ध कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया था। इसके बाद 20 अगस्त 2023 को ईडी ने मुकेश मित्तल, तारा चंद, नीरज मित्तल, रामप्रकाश भाटिया, हरीश यादव व हृदया नंद तिवारी के विरुद्ध पूरक आरोप पत्र दाखिल किया था। ईडी ने वीरेंद्र राम को 23 फरवरी 2023 को गिरफ्तार किया था, तब वे ग्रामीण कार्य विभाग में मुख्य अभियंता थे। उस वक्त छानबीन में यह बात सामने आई थी कि वीरेंद्र राम टेंडर के बदले में 1.5 प्रतिशत का कमीशन लेते थे। जो वरिष्ठ अधिकारियों व नेताओं में बंटती थी।