छठ पूजा को लेकर जारी सरकारी आदेश के बाद चौतरफा घिरी हेमन्त सरकार, राज्यभर में विरोध शुरू
राँची।झारखण्ड सरकार की ओर से तालाब, जलाशय व नदी में छठ पूजा ना कर घरों में छठ करने के आदेश का पूरे राज्य में उबाल।खासकर महिलाओं में जबरदस्त गुस्सा है सरकार के खिलाफ।राजधानी राँची समेत कई जिलों में विरोध प्रदर्शन किया गया है।सरकार के इस तुगलकी फरमान पर नेताओ में भी गुस्सा फूटा है।सत्ता पक्ष के भी नेताओं ने सरकार ने उस फैसले को पुनः विचार करने का आग्रह किया है।
वहीं झरिया के लोगों ने सोमवार को किया। शहर की महिलाओं व लोगों ने सरकार के खिलाफ बाटा मोड़ गणेश चौक से राजा तालाब तक हाथ में स्लोगन लिखी तख्तियां लेकर आक्रोश व्यक्त करते हुए विरोध जुलूस निकाला। जुलूस में काफी संख्या में छठ करने वाली महिलाएं भी शामिल हुईं। कार्यक्रम का नेतृत्व कर रहे पूर्व पार्षद अनूप कुमार साव ने कहा कि देश के विभिन्न क्षेत्रों में चुनाव व उपचुनाव हुए। बिहार में भी चुनाव हुआ।झारखण्ड में भी दो सीटों पर उपचुनाव हुआ। नेताओं ने लाखों की भीड़ जुटा कर रैलियां की। उस समय कोरोना का संक्रमण नहीं हुआ। आस्था के महापर्व छठ को परंपरा के अनुसार मनाने पर सरकार ने रोक लगाई है। यह तुगलकी फरमान है। सरकार इस पर पुनर्विचार करें। निर्णय को वापस लें। उन्होंने कहा कि हम लोग अपना पर्व उसी तरह मनाएंगे जैसा वर्षों से मनाते आएं हैं। महिलाओं ने कहा कि कोरोना का भय दिखाकर चैत माह में भी हमें छठ पर्व करने नहीं दिया गया। अब कार्तिक माह के छठ को भी सरकार परंपरागत तरीके से नहीं मनाने दे रही है। सरकार का निर्णय जन विरोधी है। इस मौके पर त्रिलोकी प्रमाणिक, बलिराज गुप्ता, रंजीत गुप्ता, संतोष सिंह, संतोष शर्मा, दीपक साव, धर्मवीर साव, गणेश रजक, धर्मेंद्र साहू, मिथिलेश यादव, मुन्नी देवी, सरिता देवी, शांति देवी, सुशीला देवी, ब्यूटी देवी, प्रियंका सिंह, बबीता देवी, बसंती देवी, सुनीता देवी, विमला देवी हेमंती देवी आदि मौजूद थे।
तोरपा में भी लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर सरकार की ओर से जारी गाइडलाइन का तोरपा में महिलाओं ने विरोध किया है। महिलाओं ने झारखण्ड में तालाब, नदी, डैम आदि घाटों पर छठ महापर्व के आयोजन पर पाबंदी लगाने के आदेश की निंदा करते हुए इसे लोक मान्यताओं और परंपराओं पर कुठाराघात बताया। हिदुओं के इस महत्वपूर्ण त्योहार को घाटों पर नहीं होने देने का निर्देश सरकार की मानसिकता उजागर कर रही है। कोरोना महामारी के बीच कई राज्यों ने नदी व जलाशयों में छठ पूजा के आयोजन की अनुमति दी है। महिलाओं ने कहा कि चुनाव या अन्य राजनीतिक आयोजनों से कोरोना नहीं फैल रहा है, सिर्फ पर्व-त्योहारों में ही कोरोना फैल रहा है। सरकार का यह धारणा गलत है।
सरकार के इस निर्णय से छठव्रती काफी परेशान हैं। राज्य सरकार को चाहिए कि वह स्थानीय तालाबों को साफ-सफाई एवं व्यवस्थित कर मोहल्ला व वार्ड का निर्धारण अलग-अलग टोलियों में महापर्व छठ पर भगवान भास्कर को अर्घ्य देने की व्यवस्था करें।
भाजपा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सह कोडरमा सांसद अन्नपूर्णा देवी ने एक बयान जारी कर कहा है कि हेमंत सरकार तुष्टीकरण की राजनीति बंद करें। उन्होंने सरकार के आदेश को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि लोकआस्था के पर्व पर इस तरह की बंदिशें बर्दास्त नहीं होगी। सरकार का यह फरमान तुगलगी है। इसे अविलंब वापस लेना होगा।
विधायक नीरा यादव ने की मुख्यमंत्री से बात:
वहीं स्थानीय विधायक नीरा यादव ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से इस मुद्दे पर टेलीफोन से बात की। उन्होंने मुख्यमंत्री से गाइडलाइन पर पुनर्विचार करने की मांग की है। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा है कि लाखों व्रती ऐसे हैं, जिनके घरों में अर्घ्य देने के लिए पानी की समुचित व्यवस्था नहीं है। ऐसे में वे लोग क्या करेंगे? विधायक ने छठ घाटों में फैली गंदगी की भी युद्धस्तर पर साफ-सफाई के निर्देश देने का आग्रह सीएम से की।