प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नए साल 2021 के पहले दिन झारखण्ड को तोहफा दिया,राँची में निर्मित होनेवाले 1008 लाइट हाउस परियोजना का ऑनलाइन शिलान्यास किया ..
राँची/नई दिल्ली।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार नए साल 2021 के पहले दिन दिया झारखण्ड को तोहफा।प्रधानमंत्री श्री मोदी ने राँची में निर्मित होनेवाले 1008 लाइट हाउस परियोजना का ऑनलाइन शिलान्यास किया। इस मौके पर पीएम मोदी ने कहा, राँची में 3D कंस्ट्रक्शन सिस्टम से घर बनेगा, इसमें जर्मनी की टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे ज्यादा सहूलियत और मजबूती के साथ इमारत खड़ी हो सकेगी। कम समय में प्रोजेक्ट पूरे किए जाएंगे। वर्तमान में 6 लाइट प्रोजेक्ट की शुरुआत हो रही है। भविष्य में पूरे देश भर में इसका विस्तार हो सकता है। उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए पीएम ने अलग-अलग राज्यों में शुरू की गई इस योजना के विशेषताओं के बारे में जानकारी दी।
आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा महत्वाकांक्षी ग्लोबल हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज – इंडिया लांच किया गया है। इसके माध्यम से विश्व स्तर पर टिकाऊ, पर्यावरण अनुकूल और आपदारोधी नवीन निर्माण प्रौद्योगिकियों को भारत में मुख्यधारा में लाने में मदद मिलेगी। इस अवसर पर प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री द्वारा अल्टरनेटिव एंड इनोवेटिव कंस्ट्रक्शन सिस्टम फॉर हाउसिंग नामक पुस्तिका का विमोचन भी किया। यह जानकारी निदेशक, नगरीय प्रशासन विजया जाधव ने दी।मौके पर राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन,राँची के सांसद संजय सेठ, मेयर आशा लकड़ा, हटिया विधायक नवीन जायसवाल, नगर विकास एवं आवास विभाग के सचिव विनय कुमार चौबे समेत कई गणमान्य लोग कार्यक्रम स्थल पर मौजूद थे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए छह राज्यों में ग्लोबल हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज इंडिया (GHTC-India) के तहत लाइट हाउस परियोजनाओं की आधारशिला रखी।और उन्होंने सम्बोधन में ये बाती कही:
हर जगह एक साल में 1,000 घर बनाए जाएंगे, इसका मतलब प्रतिदिन 2.5-3 घर बनाने का औसत आएगा। अगली 26 जनवरी से पहले इस काम में सफलता पाने का इरादा है: प्रधानमंत्री
सभी देशवासियों को 2021 की बहुत-बहुत शुभकामनाएं। आज नई ऊर्जा, नए संकल्पों के साथ और नए संकल्पों को सिद्ध करने के लिए तेज़ गति से आगे बढ़ने का शुभारंभ है: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
एक समय में आवास योजनाएं केंद्र सरकारों की प्राथमिकता में उतनी नहीं थीं जितनी होनी चाहिए। सरकार घर निर्माण की बारीकियों और गुणवत्ता पर नहीं जाती थी। आज देश ने एक अलग अप्रोच चुनी है: प्रधानमंत्री
ये 6 प्रोजेक्ट वाकई लाइट हाउस यानी प्रकाश स्तंभ की तरह हैं। ये 6 प्रोजेक्ट देश में हाउसिंग कंस्ट्रक्शन को नई दिशा दिखाएंगे। देश के हर क्षेत्र से राज्यों का इस अभियान में जुड़ना कॉपरेटिव फेडरलिज्म की हमारी भावना को और मजबूत कर रहा है: पीएम मोदी
देश में ही आधुनिक हाउसिंग तकनीक से जुड़ी रिसर्च और स्टार्टअप्स को प्रमोट करने के लिए आशा इंडिया प्रोग्राम चलाया जा रहा है। इसके माध्यम से भारत में ही 21वीं सदी के घरों के निर्माण की नई और सस्ती तकनीक विकसित की जाएगी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
घर बनाने से जुड़े लोगों को नई तकनीक से जुड़ी स्किल अपग्रेड करने के लिए सर्टिफिकेट कोर्स भी शुरू किया जा रहा है ताकि देशवासियों को घर निर्माण में दुनिया की सबसे अच्छी तकनीक और मटेरियल मिल सके: प्रधानमंत्री
लोगों के पास अब RERA जैसे कानून की शक्ति है। RERA ने लोगों में ये भरोसा लौटाया है कि जिस प्रोजेक्ट में वो पैसा लगा रहे हैं, वो पूरा होगा, उनका घर अब फंसेगा नहीं: प्रधानमंत्री
जो लोग हमारे मज़दूर के सामर्थ्य को स्वीकार नहीं करते थे कोरोना ने उन्हें स्वीकार करने के लिए मज़बूर कर दिया। शहरों में हमारे श्रमिकों को उचित किराए पर मकान उपलब्ध नहीं होते हैं। हमारे श्रमिक गरिमा के साथ जीवन जिये ये हम सब देशवासियों का दायित्व है: पीएम मोदी
इसी सोच के साथ सरकार उद्योगों के साथ और दूसरे निवेशकों के साथ मिलकर उचित किराए वाले घरों का निर्माण करने पर बल दे रही है और कोशिश ये भी है कि जहां वो काम करते हैं उसी इलाके में उनका मकान हो: पीएम मोदी
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने कहा:
आज लाइट हाउस प्रोजेक्ट कार्यक्रम में आदरणीय प्रधानमंत्री जी के समक्ष बातों को रख, प्रोजेक्ट में आ रही दिक्कतों से उन्हें अवगत कराया। झारखण्ड जैसे पिछड़े राज्य में गरीबों को अधिक मदद देने के लिए उनसे अनुरोध किया।
आशा है राज्य वासियों के हितों के लिए वे सकारात्मक निर्णय लेंगे।
फैक्ट्री में बनेंगे कमरे,बाथरूम व किचन,राँची के बेघरों को प्रधानमंत्री से मिलेगी नव वर्ष की दी सौगात
सुनने में अटपटा जरूर लगता है लेकिन यह सत्य है और बहुत जल्दी राँची के लोग इस नई तकनीक का दीदार करेंगे। इस तकनीक में जहां घर बनेगा वहां न तो बालू पहुंचेगा, न गिट्टी, न सीमेंट और न ईंट। इन तमाम चीजों का इस्तेमाल तो फैक्ट्री में होगा जहां से रेडीमेड बाथरूम, बेडरूम और किचन उठाकर लाए जाएंगे और सीधे बहुमंजिली इमारत के स्ट्रक्चर के ऊपर इन कमरों को सजा दिया जाएगा। इस तकनीक से सिंगापुर और जापान जैसे जगहों पर बहुमंजिला इमारतें तो बनी है लेकिन भारत में नहीं। देश के 5 शहरों में नई तकनीक से भवन निर्माण के लिए प्रधानमंत्री शुक्रवार को ऑनलाइन शिलान्यास किया।
राँची में बनने वाले 1008 फ्लैटों के लिए जिस स्थल का चयन किया गया है वहां सिर्फ पिलर को खड़ा कर छत की ढलाई की जाएगी और बाकी सामग्रियां शहर के बाहर बनी फैक्ट्रियों से लाई जाएंगी और फिर क्रेन के सहारे छत पर रख दी जाएंगी। पहले से तैयार सीमेंट की दीवारों से बने इन कमरों की लागत तो कम होगी ही, मजबूती भी बेमिसाल होगी। सबसे बड़ा फायदा यह है के आसपास के इलाकों में बालू और सीमेंट की धूल का गुबार नहीं उड़ेगा।
1008 बेघरों को आवंटित होंगे फ्लैट
धुर्वा के आनी मैदान के निकट 1008 फ्लैट बनाकर बेघरों को आवंटित की जाएगी। जहां फ्लैट का आवंटन होना है वहीं पर कार्यक्रम होगा।राँची में जापानी तकनीक से बनने वाले लाइट हाउस प्रोजेक्ट के बारे में नगरीय प्रशासन निदेशक विजया जाधव ने बताया कि पहले से तैयार फैब्रिकेटेड सैंडविच पैनल सिस्टम के तहत फ्लैट बनाए जाएंगे। फ्लैट के बीम, कॉलम और दीवारों की पेनल पहले ही फैक्टरी से तैयार होकर कार्यस्थल पर आएंगे, जहां उन्हें फिट करना होगा। इस तकनीक से कम खर्च में पूरा फ्लैट तैयार हो जाएगा और इनके लिए केंद्र और राज्य सरकार मिलकर पैसे खर्च कर रही हैं।
1008 फ्लैट बनने में लगेंगे महज 12 महीने
जाधव ने बताया कि परियोजनाएं पारंपरिक तौर पर ईंट व कंक्रीट वाले निर्माण के मुकाबले कहीं अधिक तेजी से महज 12 महीने में तैयार हो जाएंगे। वन बीएचके फ्लैट उच्च गुणवत्ता के साथ किफायती और टिकाऊ भी होंगे। इसका कारपेट एरिया लगभग 350 वर्ग फीट होगा।
मॉडल के रूप में राँची का चयन
लाइट हाउस परियोजना निर्माण के लिए राँची को देश के पांच शहरों (राजकोट, अगरतला, इंदौर, लखनऊ और चेन्नई) पर वरीयता देते हुए मॉडल के रूप में चुना गया है। रांची में निर्मित होने वाले लाइट हाउस में प्रीकास्ट कंक्रीट कंस्ट्रक्शन सिस्टम-3 डी प्रीकास्ट वॉल्यूमेट्रिक को अपनाया जा रहा है। यह भारत में इस्तेमाल की जा रही नवीनतम तकनीकों में से एक है, जिसे झारखंड राज्य में पहली बार अपनाया गया है।
ऐसे होगा निर्माण:
315 वर्गफीट के एक लाइट हाउस में एक हॉल, एक शयन कक्ष, एक रसोई घर, एक बालकनी, एक बाथरूम और एक शौचालय होगा। नई तकनीक से निर्मित होने वाले कमरे को बिङ्क्षल्डग-ब्लॉक रूप में कारखानों में निर्मित किया जाएगा और मल्टी स्टोरी टावर का निर्माण करने के लिए एक के ऊपर एक रखा जाएगा। यह तकनीक प्रौद्योगिकी एवं धूल और प्रदूषण मुक्त वातावरण के साथ पारंपरिक इमारतों की तुलना में घरों का तेजी से और गुणवत्तापूर्ण निर्माण सुनिश्चित करती है। इस परियोजना में बिजली, पानी, आधारपूर्ण संरचना, पार्किंग व्यवस्था, लिफ्ट, अग्निशमन, पार्क इत्यादि की व्यवस्था भी होगी।
133.99 करोड़ में बनेंगे 1008 आवास
1008 लाइट हाउसों की यह परियोजना 133.99 करोड़ की है। इसका निर्माण मेसर्स एसजीसी मेजीक्रेट, मुम्बई द्वारा किया जाएगा। इस परियोजना में प्रति आवास केंद्र के द्वारा 5.5 लाख रुपये, राज्य सरकार द्वारा एक लाख रुपये एवं लाभुक का अंशदान 6.79 लाख रुपए होगा। लाइट हाउस निर्माण में प्लास्टर का उपयोग नहीं होगा। इस निर्माण तकनीक के साथ राज्य और पूरे देश में पहली बार इतने बड़ी परियोजना बनी है।
झारखण्ड को मिलेंगे पांच पुरस्कार
शिलान्यास कार्यक्रम में केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा विभिन्न नगर निकायों एवं लाभुकों को विभिन्न श्रेणियों में पुरस्कृत किया। इसमें झारखंड को पांच पुरस्कार मिलें उत्कृष्ट आवास के लिए जामताड़ा के बादल दास, आदित्यपुर के शंभू सरदार और मानगो के संजय धरा को सम्मानित किया जाएगा। वहीं उत्कृष्ट नगर परिषद् के क्षेत्र में झुमरीतिलैया नगर परिषद को सम्मानित किया जाएगा। साथ ही, झारखण्ड राज्य को बेस्ट कम्युनिटी मोबिलाइजेशन के लिए पुरस्कृत किया।