महाअष्टमी 2021:दुर्गा अष्ठमी के दिन माँ दुर्गा के स्वरूप महागौरी की पूजा-अर्चना,आप सभी को महाअष्टमी की ढेरों शुभकामनाएं

राँची।शारदीय नवरात्रि में महाष्टमी व्रत या दुर्गा अष्टमी व्रत का विशेष महत्व होता है। जो लोग नवरा​त्रि के प्रारंभ वाले दिन व्रत रखते हैं, वे दुर्गा अष्टमी का भी व्रत रखते हैं। दुर्गा अष्टमी के दिन माँ दुर्गा के महागौरी स्वरुप की आराधना की जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव को पाने के लिए कई वर्षों तक माँ पार्वती ने कठोर तप किया था, जिससे उनके शरीर का रंग काला हो गया था। जब भगवान शिव उनकी तपस्या से प्रसन्न हुए तो उन्होंने उनको गौर वर्ण का वरदान भी दिया। इससे माँ पार्वती महागौरी भी कहलाईं। महाष्टमी या दुर्गा अष्टमी को व्रत करने और माँ म​हागौरी की आराधना करने से व्यक्ति को सुख, सौभाग्य और समृद्धि भी मिलती है। सब पाप भी नष्ट हो जाते हैं।

दुर्गा अष्टमी सुकर्मा योग में है:
सुकर्मा योग को मांगलिक कार्यों के लिए उत्तम माना जाता है। दुर्गा अष्टमी के दिन राहुकाल दोपहर 12:07 बजे से दोपहर 01:34 बजे तक है। ऐसे में आप राहुकाल का ध्यान रखते हुए दुर्गा अष्टमी की पूजा और हवन कर सकते हैं।

दुर्गा अष्टमी व्रत एवं पूजा विधि

अष्टमी के दिन स्नान आदि से निवृत होकर आप स्वच्छ वस्त्र धारण करें। उसके बाद हाथ में जल और अक्षत् लेकर दुर्गा अष्टमी व्रत करने तथा मां म​हागौरी की पूजा करने का संकल्प लें। इसके बाद पूजा स्थान पर मां महागौरी या दुर्गा जी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित कर दें। कलश स्थापना किया है, तो वहीं पूजा करें। पूजा में मां महागौरी को सफेद और पीले फूल अर्पित करें। नारियल का भोग लगाएं। ऐसा करने से देवी महागौरी प्रसन्न होती हैं। नारियल का भोग लगाने से संतान संबंधी समस्याएं दूर होती हैं। पूजा के समय महागौरी बीज मंत्र का जाप करें और अंत में माँ महागौरी की आरती करें।

महागौरी का प्रिय फूल

शास्त्रों के अनुसार, मां गौरी दांपत्य प्रेम की देवी हैं। माता महागौरी की पूजा करते समय पीले या सफेद वस्त्र भी धारण कर सकते हैं। महागौरी का पूजन करते समय पीले फूल अर्पित करने चाहिए।

भोग-

महागौरी को हलवा का भोग लगाना चाहिए। मान्यता है कि माता रानी को काले चने प्रिय हैं।

माँ महागौरी की पूजाविधि-

सबसे पहले सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।

इसके बाद चौकी पर माता महागौरी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद गंगा जल से शुद्धिकरण करना चाहिए।

अब महाष्टमी या दुर्गाष्टमी व्रत का संकल्प लें और मंत्रों का जाप करते हुए मां महागौरी समेत समस्त देवी-देवताओं का ध्यान लगाएं।

अब माँ महागौरी का आवाहन, आसन, अध्र्य, आचमन, स्नान, वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, रोली, हल्दी, सिंदूर, दुर्वा, आभूषण, फूल, धूप-दीप, फल, पान, दक्षिणा, आरती, मंत्र आदि करें। इसके बाद प्रसाद बांटें।

महाष्‍टमी की पूजा के बाद कन्याओं को भोजन कराना उत्तम माना गया है। कहते हैं कि ऐसा करने से माँ महागौरी शुभ फल देती हैं।

इन मंत्रों से माँ महागौरी का करें जाप-

1.श्वेते वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचि:।
महागौरी शुभं दद्यान्त्र महादेव प्रमोददो।।

2.या देवी सर्वभूतेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

3.ओम महागौरिये: नम:।

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