मधुपुर उपचुनाव 2021:मधुपुर विधानसभा चुनाव इस बार अलग है,गंगा नारायण को साबित करना है वो दूसरे नेताओं से मजबूत क्यों हैं,दूसरी ओर पिता की विरासत बचानी है
राँची।राज्य बनने के बाद से अब तक झारखण्ड में चार बार विधानसभा चुनाव हो चुके हैं। देवघर जिला के मधुपुर विधानसभा सीट पर 2005, 2014 और 2019 में सीधी टक्कर भाजपा और झामुमो के बीच हुई। सिर्फ 2009 में झामुमो का सामना जेवीएम से हुआ। फिर भी अब तक चार चुनावों में दो बार झामुमो तो दो बार भाजपा प्रत्याशी की जीत हुई। 17 अप्रैल को वोटिंग होगी, लेकिन पिछले चार चुनावों के मुकाबले इस बार का चुनाव बिल्कुल अलग है। मैदान में न तो हाजी हुसैन अंसारी हैं और न ही राज पलवार। चेहरे बदल गए हैं। आमने-सामने हैं झामुमो के हफीजुल हसन और भाजपा के गंगनारायण सिंह। बात इतनी है कि हफीजुल को पिता की विरासत बचानी है, तो आजसू से भाजपा में आया गंगा नारायण को यह साबित करना है कि वह राज पलवार से भी मजबूत हैं। दूसरी ओर इस चुनाव में महागठबंधन और एनडीए एकता की भी परीक्षा होनी है।दुमका और बेरमो उपचुनाव में बीजेपी असफलवर्ष 2020 के दुमका और बेरमो उपचुनाव में सेंध लगाने की भाजपा की सारी कोशिश नाकाम हो गई थी। इन दोनों सीटों पर भाजपा ने उन्हीं प्रत्याशियों पर धार लगाई थी, जिनके 2019 के चुनाव में हार हुई थी, लेकिन मधपर में भाजपा ने रणनीति बदल दी थी। आजसू से लाकर गंगा नारायण को प्रत्याशी बनाया गया है। वहीं हेमंत सोरेन ने चुनाव की तारीख घोषित होने से पहले ही हाजी हुसैन के बेटे हफीजुल को मंत्री बनाकर क्षेत्र में संदेश दे दिया है, कि यह सीट झामुमो के लिए कितने मायने रखती है। हालांकि, इस बार का चुनाव बेहद दिलचस्प रहा है, क्योंकि पार्टी के प्रत्याशियों के अलावा बाकी छह प्रत्याशी निर्दलीय हैं। एक और खास बात यह है कि राज्य बनने के बाद मधुपुर में ऐसा पहली बार हो रहा है कि आठ प्रत्याशियों में झामुमो प्रत्याशी को छोड़कर शेष छह निर्दलीय प्रत्याशियों में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार नहीं हैं। इसका अर्थ समझे जा सकते हैं।मुकाबला दिलचस्प है और इस मुकाबले को जो जीतेगा उसकी ही जय जयकार होगी।
वेसे मधुपुर के गांव के गलियारों में चर्चा हो रही है।इस बार वोटरों में ज्यादा उत्साह। और उत्साह इसलिए नहीं कि उपचुनाव हो रहा है तो वोट करेंगे या नहीं करेंगे।चर्चा और उत्साह इसलिए कि गंगा बाबू आजसू: भाजपा- आये हैं। और एक तरफ बिना विधायक के मंत्री बने हैं। चाचा इसी पर।चर्चा तो ये भी है भी। .सेसे जनता ने विधायक के लिए फिक्स किया था और नहीं नहीं किया गया था।लेकिन मुकाबला इस बार बहुत ही दिलचस्प है।