खूंटी में खराब स्वास्थ्य सेवा का हवाला देकर दुष्कर्म पीड़िता का नहीं हुआ गर्भपात, कोर्ट के आदेश पर अब भेजा गया रिम्स
राँची। खूंटी में 15 वर्षीय नाबालिग से 30-40 बार हथियार के बल पर दुष्कर्म की घिनौनी वारदात हुई थी, जिसके बाद दुष्कर्म पीड़ित नाबालिग को मार्च में गर्भवती पाया गया था। दुष्कर्म पीड़ित नाबालिग के स्वास्थ्य को देखते हुए कोर्ट ने खूंटी पुलिस को मेडिकल टीम गठित कर गर्भपात कराने का आदेश दिया था।
लेकिन खूंटी में सिविल सर्जन के द्वारा बनाए गए मेडिकल बोर्ड ने खूंटी में स्वास्थ्य सेवा की स्थिति बेहतर नहीं होने का हवाला देते हुए गर्भपात कराने से इंकार कर दिया। ऐसे में पुलिस की टीम दुबारा कोर्ट गई। अब पोक्सो एक्ट के स्पेशल जज राजेश कुमार ने आदेश दिया है कि रिम्स में नाबालिग का गर्भपात कराया जाए।
इस संबंध में रिम्स निदेशक से पत्राचार भी किया गया है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि गर्भपात के बाद भ्रूण को संरक्षित किया जाए। केस के अनुसंधानक को आदेश दिया गया है कि भ्रूण की डीएनए जांच कराएं ताकि सामूहिक दुष्कर्म के आरोपियों से डीएनए का मिलान किया जा सके।ज्ञात हो कि खूंटी पुलिस ने इस मामले में आरोपियों को फरवरी महीने में जेल भेजा था।
मेडिकल बोर्ड ने क्यों किया गर्भपात से इंकार
सामूहिक दुष्कर्म की वजह से गर्भवती हुई 15 वर्षीय नाबालिग के गर्भपात का आदेश कोर्ट ने दिया था। कोर्ट के निर्देश पर खूंटी सिविल सर्जन ने जेपीएस तिग्गा, डॉ रश्मि रोमिला सांगा और डॉ संध्या कुमारी के नेतृत्व में मेडिकल टीम गठित की थी। मेडिकल टीम ने 9 मई को नाबालिग का गर्भपात कराने से इंकार कर दिया। मेडिकल बोर्ड का तर्क था कि खूंटी सदर अस्पताल में मेडिकल सुविधाएं वैसी नहीं हैं। टीम का तर्क था कि पीड़िता महज 15 साल की है, गर्भपात कराने में अधिक रक्तस्राव हो सकता है, ऐसे में संभवत: पीड़िता की तबीयत बिगड़ सकती है। जिससे पीड़िता को आईसीयू सुविधा की जरूरत पड़े। ऐसे में मेडिकल बोर्ड ने पीड़िता को रिम्स भेजने की सलाह दी थी।
कोर्ट ने जतायी आपत्ति
खूंटी में मेडिकल बोर्ड के द्वारा गर्भपात नहीं कराने पर पोक्सो कोर्ट ने भी आपत्ति जतायी है। कोर्ट ने 11 मई को अपने ताजा आदेश में लिखा कि यह आश्चर्यजनक है कि सदर अस्पताल ने गर्भपात करने को लेकर खुद को सक्षम नहीं बताया। कोर्ट ने टिप्पणी की है कि कोर्ट के आदेश को पूरा नहीं करने को लेकर अस्पताल की आधारभूत संरचना और अनुभवहीनता को वजह बताना कहीं से सही नहीं लगता। कोर्ट ने आदेश में लिखा है कि पीड़िता नाबालिग है साथ ही साथ हर रोज गर्भ के दिन बढ़ रहे हैं ऐसे में जल्दी कार्रवाई नहीं हुई तो परेशानी ज्यादा बढ़ सकता है। ऐसे में पीड़िता को गर्भपात के लिए रिम्स भेजा जाए।
सरकार उठाएगी सारा खर्च
कोर्ट ने रिम्स निदेशक को पत्र भेज कर सुरक्षित गर्भपात का आदेश दिया है, वहीं राज्य सरकार से सारे खर्च उठाने व डीएनए जांच का खर्च भी उठाने का आदेश दिया गया है। कोर्ट के आदेश के बाद सोमवार की देर रात पीड़िता को रिम्स में भर्ती कराया गया है।
रिम्स में सोमवार को पीड़िता का कोरोना जांच भी कराया गया। एक दो दिन के भीतर पीड़िता का गर्भपात कराया जाएगा।