Jharkhand:चारा घोटाला में सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव को फिर लगा झटका,हाइकोर्ट ने जमानत देने से इनकार किया,जमानत याचिका खारिज
राँची।झारखण्ड हाईकोर्ट ने लालू यादव को जमानत देने से इनकार कर दिया है.चारा घोटाला के अलग अलग मामलों में सजायाफ्ता लालू प्रसाद यादव को हाईकोर्ट से बड़ा झटका लगा है।हाईकोर्ट ने लालू यादव को जमानत देने से इनकार करते हुए उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी है।अब लालू प्रसाद यादव को फिलहाल जेल की सलाखों के पीछे ही रहना होगा।उम्मीद की जा रही है कि लालू प्रसाद यादव अब अपनी जमानत के लिए देश की शीर्ष अदालत ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं।
बेल के लिए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष गुहार लगा सकते हैं।झारखण्ड हाईकोर्ट के न्यायाधीश अपरेश कुमार सिंह की अदालत में सुनवाई के बाद कोर्ट में अपना फैसला सुनाया है।दोनों पक्षों की ओर से बहस पूरी सुनने के बाद अदालत ने जमानत याचिका पर फैसला सुनाया है।
लालू की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अदालत को बताया कि इसी तरह के मामलों में हाईकोर्ट ने चारा घोटाले के कुछ सजायाफ्ता लोगों को जमानत की सुविधा प्रदान की है।सीबीआई के अधिवक्ता ने अदालत में कहा कि लालू यादव ने सजा की आधी अवधि पूरी नहीं की है, और यह केस दूसरे मामलों से अलग है क्योंकि जिस मामले में लालू प्रसाद यादव जमानत मांग रहे है इसमें 7- 7 साल की सजा हुई है और कुल सजा की अवधि 14 वर्ष है।
12 जनवरी को सुनवाई के दौरान लालू यादव की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में लालू ने 11 जुलाई 1997 को सरेंडर किया और 29 अक्टूबर 1997 को जमानत मिली।इसका मतलब 3 महीने से ज्यादा दिनों तक वह जेल में रहे. लेकिन सीबीआइ इस पर विवाद कर रही है.वहीं उन्होंने यह भी कहा कि चारा घोटाले में लालू जब जब जेल गए हैं।उनकी तरफ से प्रोडक्शन दिया गया है।इसलिए अब लालू द्वारा जितनी भी अवधि न्यायिक हिरासत में बिताई गई है उसे जोड़ा जाए।
दोनों पक्षों के द्वारा बतायी गयी अवधि में 28 दिनों का अंतर दिखा
वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अदालत को बिंदुवार विस्तृत जानकारी दी कि कब कब लालू जेल गए और कब कब उनके द्वारा प्रोडक्शन दिया गया।अब तक लालू ने 28 महीने 29 दिन जेल की सलाखों के पीछे बिताए हैं.वहीं सीबीआइ ने अदालत में कहा कि 1997 में लालू सिर्फ 91 दिनों तक ही जेल में रहे थे.और अब तक सिर्फ 27 महीने 6 दिन की अवधि ही लालू के द्वारा न्यायिक हिरासत में बिताई गई है। दोनों पक्षों द्वारा अदालत को बताई गई हिरासत अवधि में 28 दिनों का अंतर दिखा।
दुमका कोषागार में भी एक दिन की सजा नहीं काटी- सीबीआइ
इसके आधार पर सीबीआइ का कहना है कि दुमका कोषागार से जुड़े मामले में लालू एक दिन भी जेल में नहीं रहे है.सीबीआई ने सीआरपीसी की जिस धारा 427 का जिक्र किया है उसके तहत किसी व्यक्ति को अगर एक तरह के मामले में कई बार सजा मिली है तो निचली अदालत द्वारा अपने आदेश में यह स्पष्ट किया जाता है कि उक्त सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी, जबकि सीबीआई का दावा है कि लालू प्रसाद की ओर से निचली अदालत में इस तरह कोई आदेश नहीं दिया गया है।इसी आधार पर सीबीआइ का कहना है कि लालू प्रसाद यादव ने दुमका कोषागार में भी एक दिन की सजा नहीं काटी है।