भाजपा की कथनी और करनी में अंतर, निचले स्तर की राजनीति करने में माहिर है भाजपा: सुजीत उपाध्याय
राँची। झारखण्ड के बीजेपी के नेता और केंद्रीय मंत्री रेल मंत्री पीयूष गोयल और अन्य भाजपा सरकार के अन्य मंत्री और उनके सांसद ने मजदूरों के बहाने राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को घेरने की नाकाम कोशिश करते दिखाई दे रहे है।बल्कि हकीकत तो ये है कि झारखण्ड सरकार द्वारा 110 ट्रेनों को एनओसी दिए जाने के बावजूद केंद्र सरकार झारखंड के प्रति उदासीन रवैय्या रखे हुए है।ये बातें झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के राँची जिला प्रवक्ता ने कही।उन्होंने और कहा कि जब 12 मई को केंद्रीय गृह मंत्रालय को झारखंड सरकार की ओर से पत्र लिखा गया है।जिसमे राज्य की हेमंत सरकार ने अंडमान निकोबार द्वीप समूह से झारखंड के प्रवासी श्रमिकों और मजदूरों को चार्टर्ड प्लेन (विशेष विमान) के जरिये लाने की अनुमति मांगी थी, जिसे अबतक केंद्र सरकार ने मंजूर नहीं किया है। सवाल उठता है की झारखण्ड बीजेपी के नेता केंद्र सरकार को सही जानकारी क्यों नहीं देते हैं।बाहर फंसे प्रवासी मजदूरों के साथ अत्याचार क्यों कर रहे है ? झारखण्ड में बीजेपी कोटे से 12 सांसद है, बावजूद इसके एक भी सांसद ने अबतक केंद्र सरकार से क्यों नहीं कहा कि झारखंड सरकार की ओर से विशेष ट्रेनों या विशेष विमान की जो मांग की गयी है, उसे केंद्र सरकार जल्द मंजूरी दे।बीजेपी के नेता सिर्फ राजनीति करना जानते हैं, मजदूरों की बेबसी को सियासी हथियार बनाने की शर्मनाक कोशिश में लगे है।जिसका जवाब निःसंदेह झारखंड की जनता आने वाले दिनों में देगी।उपाध्याय ने कहा कि माननीय मुख्यमंत्री श्री हेमंत सोरेन जी ने रेल मंत्री पीयूष गोयल जी को ट्वीट के माध्यम से कहा कि उनके विभाग का मामला है और उनके विभाग के लोग हैं जब उनको सही जानकारी नहीं दे रहे हैं तब उनको पहले जानकारी का सही से पता करना चाहिए बिना जानकारी किए ही अनर्गल किसी पर आरोप-प्रत्यारोप नहीं करना चाहिए। अभी कोराना वायरस से लड़ना है राजनीति तो हर दिन करना। उन्होंने ने इस संकट में भाजपा नेताओं को नशीहत दी राजनीति बन्द करके केंद्र सरकार से झारखण्ड जनता केलिए मांग रखना चाहिए जो प्रवासी जहां फंसे हैं उन्हें भेजा जाए। उपाध्याय ने कहा कि भाजपा के नेताओं को पता होना चाहिए पूरे भारत में सबसे पहला मजदूरों के लिए स्पेशल ट्रेन झारखंड के लिए ही चला था वह भी माननीय मुख्यमंत्री जी हेमंत सोरेन जी के आग्रह पर भाजपा के नेताओं को अब राजनीतिक करने का कोई दूसरा बहाना नहीं मिल रहा है। झारखंड के मुख्यमंत्री पर फालतू का बयान देना बहुत ही बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है!