Ranchi:साइबर अपराधियों ने संदिग्ध पार्सल आपके नाम से आया है लखनऊ पुलिस ने पकड़ा है,बोल कर 90 हजार ठग लिए….
–गार्डन रीच शिप बिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड धुर्वा में कार्यरत अजीत विक्रम से हुई ठगी, डराने के लिए कहा सीबीआई अधिकारी को मामला जा रहा है
राँची।साइबर अपराधियों ने संदिग्ध पार्सल आपके नाम से आया है यह कह गार्डन रीच शिप बिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड के डीजल इंजन प्लांट धुर्वा में कार्यरत अजीत विक्रम से 90 हजार रुपए की ठगी कर ली। इस संबंध में अजीत विक्रम ने धुर्वा थाना में साइबर ठगी की प्राथमिकी दर्ज कराई है। दर्ज प्राथमिकी में बताया है कि 6 फरवरी को दिन के 12.45 में उन्हें एक कॉल आया। कॉल करने वाले ने कहा कि आपके नाम से एक पार्सल आया है, जिसे लखनऊ पुलिस ने संदिग्ध मानकर पकड़ा है। उसने अजीत विक्रम को कहा कि वह लखनऊ पुलिस का कांस्टेबल दिनेश कुमार बोल रहा है। उसने यह भी कहा कि उनके विरुद्ध अरेस्ट वारंट व एेसेट सीजर का आर्डर कोर्ट से जारी हुआ है। यह सुनकर अजीत विक्रम काफी डर गए। डर से अजीत ने फोन करने वाले को मदद करने के लिए कहा।
डराकर लखनऊ आने को कहा-फिर नोटरी में पैसे जमा करने की सलाह दी
अजीत विक्रम जब डर गए तो उन्होंने फोन करने वाले से मदद मांगी। फोन करने वाले ने डराने के लिए उन्हें कहा कि मामला सीबीआई के अधिकारियों के पास जा रहा है। यह सुनकर वे और डर गए। उसने मदद के नाम पर उन्हें बोला कि वे लखनऊ आए और नोटरी में आकर अपना सारा एसेट जमा कराए, नहीं तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा। यह सुन वे और डर गए। उसे अजीत विक्रम ने कहा कि वे रांची में रहते है। लखनऊ नहीं आ सकते। इसपर उसने कहा कि वे अॉन लाइन एेसेट जमा कर सकते है। इसके लिए नोटरी में पैसा जमा करना होगा। पैसा जमा करने पर उन्हें एक्नॉलेजमेंट स्लीप भी दिया जाएगा। फिर 10 दिन में उन्हें क्लीन चीट मिल जाएगा।
मदद के नाम पर टेलीग्राम एप डाउनलोड करवाया, फिर एकाउंट में पैसे मंगवाए
फोन करने वाले ने उन्हें कहा कि उनकी मदद सीबीआई का अधिकारी ही कर सकता है। इसके बाद उसने अजीत विक्रम से उसने टेलीग्राम एप डाउन लोड करवाया। फिर एक लिंक भेजा। उसने सीबीआई के नाम पर उन्हें काफी डराया। अजीत विक्रम उसके झांसे में आ चुके थे। उसने अजीत विक्रम को एक एकाउंट नंबर भेजा और उसमें पैसे मंगवाए। यह कहा कि यह पैसे नोटरी में जमा होंगे। अजीत विक्रम ने उसे पहले 50 हजार फिर 40 हजार रुपए ट्रांसफर किए। उसने उन्हें एक एक्नॉलेजमेंट भी भेजा। जब अजीत विक्रम को उक्त एक्नॉलेजमेंट पर शक हुआ तो उन्होंने हजरत गंज पुलिस को फोन किया। वहां के अधिकारियों ने उन्हें बताया कि यह मामला साइबर फ्रॉड का है। इसके बाद अजीत विक्रम ने साइबर फ्रॉड कंपलेन नंबर 1930 पर कॉल किया और अपनी शिकायत दर्ज कराई।