क्या झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन मुख्यमंत्री की छोड़ देंगे ! चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री को भेजा नोटिस
राँची।चुनाव आयोग ने झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को नोटिस भेजकर यह बताने के लिए कहा कि उनके पक्ष में खदान का पट्टा जारी करने के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जानी चाहिए। जो प्रथम दृष्टया लोक जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 9ए का उल्लंघन करती है। धारा 9ए सरकारी अनुबंधों के लिए किसी सदन से अयोग्यता से संबंधित है। बहरहाल, चुनाव आयोग का नोटिस मिलने के बाद झारखण्ड में सियासी भूचाल आ गया है।संभव है कि इस मामले में चुनाव आयोग हेमंत सोरेन को अयोग्य ठहरा सकती है। जिसके आधार पर उनकी विधानसभा की सदस्यता छीन जाएगी। इससे हेमंत सोरेन को मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ सकती है। यह मामला पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने उठाया है। रघुवर ने राज्यपाल रमेश बैस को सीएम हेमंत द्वारा अपने नाम पर खदान लीज लेने का आरोप लगाते हुए दस्तावेज उपलब्ध कराए थे। गवर्नर ने पूरे मामले की जांच के लिए चुनाव आयोग को दस्तावेज भेजा है। भारत निर्वाचन आयोग ने दस्तावेज की सत्यता प्रमाणित करने लिए राज्य के मुख्य सचिव से रिपोर्ट मांगी थी। अब इस पूरे मामले में संभावित कार्रवाई की घड़ी नजदीक आती दिख रही है।
चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और आयोग ने शिकायत कर्ता से भी स्पष्टीकरण पूछा है,दोनों को जबाब भेजने की अंतिम तारीख़ 10 मई है।जानकारी के अनुसार दोनों को हाथ से नोटिस भेजा गया है
बता दें इससे पहले बीते दिन राज्यपाल रमेश बैस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मिलकर झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के खिलाफ लाभ के दोहरे पद के मामले में कार्रवाई के पर्याप्त आधार होने की जानकारी दी थी। हालांकि, राजभवन को अबतक इस मामले में चुनाव आयोग का मंतव्य नहीं मिला है। हालांकि, राज्यपाल की ओर से इस मामले में कड़ी कार्रवाई के संकेत दिए गए हैं।बहरहाल, झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर कानून सम्मत कार्रवाई के लिए भारत निर्वाचन आयोग की ओर से उन्हें नोटिस दी गई है। चुनाव आयोग ने हेमंत सोरेन से अपना पक्ष रखने को कहा है। हेमंत से पूछा गया है कि खदान लीज के मामले में आखिर उनपर क्यों न कार्रवाई की जाए। जनप्रतिनिधत्व अधिनियम की धारा 9ए का हवाला देते हुए निर्वाचन आयोग ने कहा है कि यह कृत्य उन्हें अयोग्य ठहरा सकता है।