#सावन मास की अंतिम सोमवारी:बैद्यनाथ की नगरी देवघर के लिए आज का दिन (सोमवार,3 अगस्त,2020) खास बन गया है,श्रावण पूर्णिमा और रक्षाबंधन का दिन होने के कारण वैसे भी खास दिन है लेकिन सुप्रीम कोर्ट से सुझाव ने ऐतिहासिक बना दिया है।
देवघर।बाबा बैद्यनाथ की नगरी देवघर के लिए आज का दिन (सोमवार, 3 अगस्त, 2020) खास बन गया है।श्रावण पूर्णिमा और रक्षाबंधन का दिन होने के कारण वैसे भी खास दिन है लेकिन सुप्रीम कोर्ट से सुझाव ने ऐतिहासिक बना दिया है। सुप्रीम कोर्ट से सुझाव पर सोमवार सुबह आम श्रद्धालुओं के लिए मंदिर को खोला गया। हालांकि जो आम लोग दर्शन कर रहे हैं वह खास बन जा रहे हैं। क्योंकि सिर्फ 100 आम श्रद्धालुओं को ही पूजा की इजाजत है। है न यह खास बात।
देवघर के बाबा बैद्यनाथ मंदिर को आम श्रद्धालुओं के लिए खोलने के सुप्रीम कोर्ट के सुझाव के बाद राज्य सरकार ने श्रावण पूर्णिमा के मौके पर सोमवार को शर्तों के साथ 100 श्रद्धालुओं के दर्शन-पूजन की व्यवस्था करने का आदेश दिया था। इसके बाद सोमवार सुबह 133 दिनों के लंबे अंतराल के बाद आम भक्तों के लिए बाबा बैद्यनाथ के मंदिर का दरवाजा खोला गया। श्रद्धालुओं के दर्शन की पूरी व्यवस्था को सीसीटीवी कैमरे में कैद किया जा रहा है। कोरोना से बचाव के तमाम दिशानिर्देशों का पालन करना भी अनिवार्य है। देवघर के मंदिर प्रभारी विशाल सागर के हवाले से जारी जानकारी के मुताबिक सोमवार को मंदिर का पट सुबह 4:15 बजे खुला। इसके बाद सरदार पंडा की अगुआई मेें चिन्हित पुरोहित और नित्य पूजा में शामिल होने वाले स्थानीय 100 श्रद्धालुओं को प्रशासनिक भवन के रास्ते 150 मीटर लंबे फुट ओवरब्रिज के रास्ते शारीरिक दूरी का पालन कराते हुए मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश कराया गया। गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे ने झारखण्ड हाई कोर्ट में याचिका दाखिल कर श्रावणी मेला व कांवर यात्रा के लिए मंदिर खोले जाने की मांग की थी। बाद में यह मामला हाई कोर्ट से होते हुए सुप्रीम कोर्ट तक गया।
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने ट्विट कर लिखा है,त्रेता युग से चली आ रही परंपरा बाबा बैद्यनाथ जी के आशीर्वाद से बच गई। श्रावण मास के आख़िरी सोमवार ही सही लोगों को पूजा करने का मौक़ा मिला । पुनः माननीय उच्चतम न्यायालय, प्रधानमंत्री @narendramodi जी, गृहमंत्री @AmitShah जी व भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष @JPNadda जी का आभार ।
31 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट का क्या था आदेश
ऑनलाइन दर्शन को वास्तविक दर्शन नहीं कहा जा सकता। सीमित संख्या में शारीरिक दूरी के साथ लोगों को दर्शन की इजाजत दी जानी चाहिए। टोकन जारी करना भी एक तरीका हो सकता है। जब सारी चीजें खुल रही हैं तो ऐसे में धार्मिक महत्व के मंदिर, मस्जिद, चर्च आदि भी खुलने चाहिए। राज्य सरकार आने वाली पूर्णिमा और भादो मास में इस व्यवस्था को लागू करने की कोशिश करे।
3 जुलाई को हाई कोर्ट ने क्या कहा था
हाई कोर्ट ने कोरोना महामारी के चलते मंदिर में दर्शन पर लगाई गई रोक को सही माना था। तीन जुलाई को झारखण्ड हाई कोर्ट ने कहा था कि वर्तमान समय इतने बड़े मेले के आयोजन का नहीं है। अदालत ने कहा था कि वैष्णो देवी और बालाजी की तर्ज पर बाबा मंदिर में ऑनलाइन दर्शन की व्यवस्था होनी चाहिए। इसके बाद सरकार ने ऑनलाइन दर्शन की व्यवस्था कराई थी।
सभी को रक्षाबंधन और सावन की पुर्णिमा के शुभ अवसर पर झारखण्ड न्यूज टीम की ओर से हार्दिक शुभकामनाएं