#ऐतिहासिक रथ यात्रा:प्रभु जगन्नाथ इस बार रथ पर नहीं बिराजेगें,एसडीओ लोकेश मिश्र की अध्यक्षता में हुई बैठक में निर्णय लिया गया,329 वर्ष के इतिहास में यह पहला अवसर है जब भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा का आयोजन नहीं हो पा रहा है।
राँची।ऐतिहासिक रथ यात्रा:प्रभु जगन्नाथ इस बार रथ पर नहीं बिराजेगें।झारखण्ड के ऐतिहासिक,सांस्कृतिक धरोहरों में एक बड़कागढ़ के जगन्नाथपुर मंदिर में आगामी 23 जून (आषाढ़ शुक्ल द्वितीया) को आयोजित होने जा रहे श्री श्री जगन्नाथ महाप्रभु की रथयात्रा के संबंध में एक अति आवश्यक बैठक सदर अनुमंडल पदाधिकारी, राँची लोकेश मिश्र की अध्यक्षता में एसडीओ कार्यालय में शनिवार को सम्पन्न हुई।filefoto-
कोविड-19 संक्रमण के इस वैश्विक दौर में वर्तमान परिस्थितियों को दृष्टिगत करते एवं माननीय सर्वोच्च न्यायालय के पुरी की रथयात्रा संबंधी आदेश के आलोक में जगन्नाथपुर मंदिर से संबंधित पुजारी एवं प्रथम सेवक सेवाईत ठाकुर नवीन नाथ शाहदेव से व्यापक विमर्श के पश्चात सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि जगन्नाथ पुरी की भांति इस वर्ष राँची में भी रथयात्रा का आयोजन नहीं किया जायेगा।जगन्नाथपुरी की भांति यहां भी श्री श्री जगन्नाथ स्वामी की पूजा-अर्चना विधि विधान से की जाएगी।विदित हो कि 329 वर्ष के इतिहास में यह पहला अवसर है जब भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा का आयोजन नहीं हो पा रहा है।पुजारियों से विमर्श कर पूजनादि के कार्यक्रम न्यूनतम उपस्थिति में सम्पन्न कराये जाएंगे।मौके पर ठाकुर नवीन नाथ शाहदेव ने श्रद्धालुओं से करबद्ध निवेदन करते हुए कहा कि इसे दैवेच्छा मानते हुए अपने घरों से ही श्री श्री जगन्नाथ स्वामी की आराधना करें और प्रार्थना करें कि देश-समाज एवं सम्पूर्ण जगत को महामारी से त्राण मिले व हमारे देश भारत का उत्थान हो।बैठक में मंदिर के प्रथम सेवक सेवाईत ठाकुर नवीननाथ शाहदेव,चंद्रकांत रायपत,चित्तरंजन शाहदेव, मनोज तिवारी, शिवेश सिंह शामिल रहे।
दशमी तक प्रभु बाहृय रत्न सिंहासन पर रहेंगे आरुढ़
ठाकुर नवीन ने बताया कि रथ के नहीं चलने से इस बार प्रभु मौसीबाड़ी के स्थान पर मुख्य मंदिर के बाहृय रत्न सिंहासन में आरुढ़ रहेंगे। शैनी एकादशी के दिन प्रभु गर्भ गृह स्थित रत्न सिंहासन में आरूढ़ हो जाएंगे। वहीं प्रभु की रात्रि पूजा व शयन होगी। नियमानुसार प्रथम सेवक ठाकुर नवीन आषाढ़ शुक्ल पक्ष द्वितीय तिथि से शैनी एकादशी तक उपवास पर रहेंगे।