रिम्स के डॉक्टर की सफलता: 7 साल की बिटिया हँसती हुई घर पहुँची,कहा-थैक्यू डॉक्टर अंकल,बच्ची के पेट से आर-पार हो गया था सरिया,डॉक्टर ने सर्जरी कर बचाई जान
राँची।हजारीबाग की सात साल की अनीशा खेलने के दौरान सरिया पर गिर गई जिससे सरिया उसके पेट से आरपार हो गया था। इसके बाद बच्ची को रिम्स के पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग में भर्ती कराया गया था। यहां के डॉक्टरों ने सर्जरी कर न केवल सरिया निकाला बल्कि 15 दिन के इलाज के बाद बच्ची को स्वस्थ्य कर शुक्रवार को घर भेज दिया। इलाज के दौरान अभिभावकों को एक भी पैसा खर्च नहीं करना पड़ा है।
इधर पीडियाट्रिक विभाग के सर्जन डॉक्टर अभिषेक ने बताया कि ये सर्जरी इतनी जटिल थी कि अगर इसमें थोड़ी भी देरी होती तो बच्ची की जान जा सकती थी। उन्होंने बताया कि अभिभावकों ने भी होशियारी दिखाई कि बिना समय गवाएं और छड़ को शरीर से निकालने की कोशिश किए बिना बच्ची यहां ले आए। थोड़ी सी लापरवाही महंगी पड़ सकती थी।
वर्टिकल पार्ट्स और नस को पहुंचा था नुकसान
सर्जरी करने वाले डॉक्टर अभिषेक ने बताया कि सरिया के आर-पार हो जाने से बच्ची के वर्टिकल पार्ट्स और नस को काफी नुकसान पहुंचा था। सर्जरी से पहले मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया। इसमें न्यूरो सर्जन और वैस्कुलर सर्जन की राय ली गई। सभी की सलाह और निगरानी में ऑपरेशन को अंजाम दिया गया। सभी अंगों को अच्छी तरह रिपेयर कर दिया गया है। डॉक्टर ने बताया कि बच्ची को भविष्य में कोई परेशानी नहीं होगी।
छत पर खेलने के दौरान फिसला था पैर
अनीशा के पिता केदार नाथ ने बताया कि 29 जनवरी को वह छत पर खेल रही थी। इसी दौरान पैर फिसलने के कारण वह छत पर गड़े सरिया (छड़) पर जा गिरी। सरिया सीधा उसके पेट में घुस कर आर-पार हो गया था। उन्होंने कहा कि बेटी के जिंदा बचने की उम्मीद लगभग खत्म हो चुकी थी। लेकिन अब न केवल उनकी बेटी उनके साथ है बल्कि डॉक्टर ने मेरी बेटी को पहले की तरह स्वस्थ कर दिया है। भविष्य में किसी भी तरह की कोई परेशानी नहीं होगी, इसका भी आश्वासन दिया है।
निजी अस्पताल में 5 लाख रुपए तक आता खर्च
डॉक्टर अभिषेक ने बताया कि रिम्स में यह इलाज फ्री में किया गया है। अगर किसी भी निजी अस्पताल में यह ऑपरेशन होता तो उसका मिनिमम खर्च 5 लाख रुपए तक आता। उन्होंने कहा कि जब यह मामला हमारे पास आया तो बच्ची की जान बचाना हमारी पहली प्राथमिकता थी।
वहीं जाते जाते बच्ची ने डॉक्टरों से कहा थैक्यू अंकल।बच्ची के इस आवाज से डॉक्टरों और वहां मौजूद स्टाफ का मन गदगद हो गई।एक बच्ची को मुस्कराते हुए डॉक्टरों ने अस्पताल से विदा किया।