साहिबगंज डीसी नहीं पहुंचे ईडी दफ्तर,अवैध खनन मामले में ईडी ने जारी किया था समन…
राँची।झारखण्ड के साहिबगंज डीसी रामनिवास यादव आखिरकार ईडी के सवालों का सामना करने के लिए एजेंसी के दफ्तर नहीं पहुंचे। गुरुवार को दिन के 11 बजे साहिबगंज डीसी को पूछताछ के लिए ईडी ने तलब किया था।साहिबगंज में हुए 1250 करोड़ के अवैध खनन केस में ईडी ने साहिबगंज डीसी रामनिवास यादव और राँची जेल के हवलदार अवधेश कुमार सिंह को समन जारी कर 11 जनवरी को एजेंसी के दफ्तर तलब किया था,लेकिन दोनों ही एजेंसी के सवालों का सामना करने नहीं पहुंचे। ईडी ने दोनों से पूछताछ की तैयारी कर रखी थी लेकिन ईडी के अधिकारी इंतजार ही करते रह गए।साहिबगंज डीसी और जेलकर्मी दोनों ने ईडी को अपने नहीं आने की कोई सूचना दी है या नहीं यह फिलहाल स्पस्ट नही हो पाया है।
बता दें बीते बुधवार को ईडी ने साहिबगंज डीसी के आवास, कार्यालय और उनके राजस्थान स्थित आवास पर एक साथ रेड किया था।रेड के दौरान साहिबगंज डीसी रामनिवास यादव के पास से रिश्वत में मिले आठ लाख रुपए के साथ साथ नाइन एमएम पिस्टल की 14 कारतूस भी मिले थे।ईडी के मुताबिक, बुधवार को ईडी की टीम ने जब डीसी के ऑफिस में छापा मारा तो फाइल के बीच लिफाफे में आठ लाख रुपए मिले, वहीं दफ्तर में गोलियां भी मिली। ईडी के अधिकारियों के मुताबिक, डीसी से बरामद पैसों और गोलियों के विषय में पूछा तो उन्होंने सीधे अनभिज्ञता जारी की।एजेंसी के अधिकारियों ने मौके पर अन्य कर्मियों से पूछताछ की, तब जानकारी मिली कि मंगलवार को डीसी को आठ लाख रुपए आए थे।ये पैसे किन स्रोतों से आए हैं, ईडी यह जांच कर रही है।ईडी ने अपनी जांच में पाया है कि डीसी रामनिवास यादव ने साहिबगंज में पोस्टिंग के बाद अपने सैलरी अकाउंट से कभी पैसे नहीं निकाले।ईडी ने इस विषय में भी बुधवार से उनसे पूछताछ की है कि बगैर सैलरी खाते से निकासी से वह कैसे गुजारा करते थे। एजेंसी ने जांच में पाया है कि एजेंसी के द्वारा जब उन्हें समन किया गया था, उसके बाद उन्होंने सैलरी खाते से निकासी शुरू की थी।
माना जा रहा है कि साहिबगंज डीसी एजेंसी के सामने हाजिर नहीं होने को लेकर कैबिनेट के फैसले को आधार बना सकते हैं।
गौरतलब है कि पिछले कैबिनेट की बैठक में राज्य के बाहर की एजेंसियों को लेकर प्रस्ताव पारित किया गया था।राज्य सरकार के पदाधिकारी अब राज्य के बाहर की एजेंसियों (ईडी, सीबीआई, एनआईएस, आयकर समेत अन्य) के समन या नोटिस पर सीधे उपस्थित नहीं होंगे।मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में इस संबंध में फैसला लिया गया था। मंत्रिमंडल ने इस संबंध में एसओपी को मंजूरी दी है। फैसले के मुताबिक, अब अगर राज्य सरकार के पदाधिकारियों को राज्य के बाहर की किसी भी एजेंसी से समन या नोटिस मिलता हो तो इसकी सूचना अपने विभागीय प्रधान को देना है। विभागीय प्रधान का यह दायित्व होगा कि बिना किसी विलंब के ऐसे मामलों की तथ्यपरक सूचना मंत्रिमंडल सचिवालय -निगरानी विभाग को उपलब्ध कराए निगरानी विभाग को ऐसे मामलों के लिए नोडल विभाग बनाया गया है।नोडल विभाग सूचना प्राप्त होने पर प्रस्तुत तथ्यों के आलोक में आगे की कार्रवाई के लिए विधि या कानूनी परामर्श लेगा।परामर्श के बाद ही राज्य की बाहर की जांच एजेंसी को वांछित कार्रवाई में राज्य के पदाधिकारी आवश्यक सहयोग दे पाएंगे।