अग्रवाल बंधु हत्याकांड के एक साल :भूल गई राँची पुलिस हत्या के आरोपियों को गिरफ्तार करना….?
–छह मार्च 2019 की शाम में दोनों भाईयों की अशोक नगर स्थित एक न्यूज चैनल के कार्यालय में बुलाकर कर दी गई थी हत्या, सिटी एसपी के नेतृत्व में आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए बनी थी पांच टीम..
–एक साल बाद मुख्य आरोपी लोकेश चौधरी और एमके सिंह राँची पुलिस की गिरफ्त से बाहर, दोनों को राँची पुलिस भगोड़ा घोषित कर गई इत्मिनान..
टाइम लाइन
- छह मार्च 2019 : दोनों भाईयों की हत्या
- सात मार्च 2019 : दोनों भाईयों को शव पुलिस ने बरामद किया
- आठ मार्च 2019 : जांच के लिए एसआईटी और पांच टीमें सिटी एसपी के नेतृत्व में बनी
- नौ मार्च से सात अप्रैल 2019 तक : बिहार, यूपी, बंगाल में छापेमारी
- सात अप्रैल 2019 : लोकेश चौधरी व एमके सिंह के घर की कुर्की
- 30 अप्रैल 2019 : लोकेश चौधरी भगोड़ा घोषित
- 18 मई 2019 : लोकेश चौधरी का कार्यालय न्यूज चैनल की कुर्की
- जून 2019 : मामला शांत हो गया
क्राइम रिपोर्टर राँची- R G
राँची:छह मार्च 2019 का दिन नहीं भूल सकती।उसी दिन दोनों भाई हेमंत अग्रवाल (36) और महेंद्र अग्रवाल (34) स्कूटी से लालपुर स्थित फ्लैट से निकले थे, लेकिन फिर दोबारा लौट कर नहीं आए।एक दिन बाद यानी ठीक एक साल पहले आज के दिन दोनों की अशोक नगर रोड नंबर एक स्थित एक न्यूज चैनल के कार्यालय में दोनों की लाश मिली। दोनों को लोकेश चौधरी ने अशोक नगर स्थित अपने कार्यालय बुलाया था। फिर अपने साथी एमके सिंह के साथ मिलकर दोनों को गोली मार दी थी। इस सदमे में छोटे भाई की पत्नी के पिता की देहांत हो गया। बड़े भाई के दो छोटे बच्चे है जो आज भी अपने पापा को खोजते है। बुजुर्ग पिता अपने दोनों बेटों को हमेशा याद करते करते अवसाद में रहते है। आज घटना के एक साल बीत गए लेकिन पुलिस इन दोनों को गिरफ्तार नहीं कर सकी। ये पीड़ा उन दोनों भाईयों की पत्नियों की है जो अब इस दुनिया में नहीं है। उनके घर की खुशियां चली गई है। गम इतना है कि किसी को बता भी नहीं सकते। लेकिन पुलिस है कि अब इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल चुकी है। हत्या के दोनों आरोपी कहा है पुलिस अब पता तक लगाना नहीं चाहती, क्योंकि पुलिस दोनों के घरों की कुर्की जब्ती करने के बाद भगोड़ा घोषित कर चुकी है।
सिटी एसपी के नेतृत्व में बनी थी पांच टीमें सभी फेल
दोनों भाईयों की हत्या के बाद एसएसपी ने तत्कालीन सिटी एसपी के नेतृत्व में पांच टीमें बनाई थी। पांचों टीमों को अलग अलग कामों में लगाया गया था। लेकिन पुलिस दोनों मुख्य आरोपियों तक नहीं पहुंच सकी। सिर्फ इस घटना में शामिल दोनों बॉडीगार्ड्स धर्मेंद्र तिवारी,सुनील कुमार और ड्राइवर शंकर को ही गिरफ्तार कर सकी। एक महीने तक पुलिस की पांचों टीमें बिहार, यूपी, बंगाल और नेपाल तक छापेमारी करती रही। लेकिन पुलिस के हाथ कुछ भी नहीं लगा। घटना के एक महीने बाद पुलिस ने दोनों आरोपियों के घर की कुर्की जब्ती की। फिर उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया। इस घटना में जिला पुलिस के साथ साथ सीआईडी और स्पेशल ब्रांच की टीम को भी लगाया गया। लेकिन दोनों आरोपियों को न तो पांचों टीम और न ही सीआईडी या स्पेशल ब्रांच की टीम कोई इनपुट दे सकी कि वे कहां है।
अधिकारी बदलते गए मामला दबता चला गया
अग्रवाल बंधु हत्याकांड के बाद मीडिया में रोज छप रही खबर के बाद राँची पुलिस ने पहले तत्परता दिखा। लेकिन घटना के तीन महीने के बाद ही पुलिस की जांच ठंडी पड़ गई। इसके बाद अधिकारी बदलते चले गए और मामला दबता चला गया। पहले तात्कालीन सिटी एसपी, फिर तत्कालीन हटिया डीएसपी, फिर तत्कालीन अरगोड़ा थाना प्रभारी तीनों का तबादला हो गया और इस केस की फाइल पूरी तरह से ठंडे बस्ते में चली गई। पुलिस के वरीय अधिकारियों ने भी दोनों आरोपियों को गिरफ्तार करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई।ना ही पकड़ सकी दोनों हत्या के आरोपियों को ..