सरकार बदलते ही हाइकोर्ट में दनादन पीआईएल दाखिल, लोकायुक्त के अस्तित्व को खत्म करने का अनुरोध
राँची। रघुवर सरकार के जाते ही हाईकोर्ट में सरकार के अधिकारियों और मंत्रियों के खिलाफ जनहित याचिकाओं की झड़ी लग गयी है. पूर्व सरकार के पांच मंत्री लुईस मरांडी, रणधीर सिंह, अमर बाउरी, नीरा यादव और नीलकंठ सिंह मुंडा के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के बाद राज्य में लोकायुक्त के होने पर ही सवाल उठाया जा रहा है.
इस मामले को लेकर व्यवसायी और सामाजिक कार्यकर्ता आरपी शाही ने हाईकोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की है. जनहित याचिका में मामला खनन विभाग का है. आरपी शाही के अधिवक्ता राजीव कुमार ने कोर्ट के सामने लोकायुक्त के अस्तित्व को लेकर सवाल खड़े किये हैं.
लोकायुक्त के अस्तित्व को ही खत्म करने के लिए कोर्ट से विचार करने का अनुरोध
साल 2002 में खनन विभाग के जियोलॉजिस्ट अरुण कुमार को एसीबी ने रिश्वत लेते हुए ट्रैप किया था. इसी कारण अरुण कुमार को जेल भी जानी पड़ी थी. इनके खिलाफ लोकायुक्त में आय से अधिक संपत्ति को लेकर शिकायत हुई. लोकायुक्त की जांच में शिकायत सही पाया गया. लोकायुक्त ने मामले में एसीबी (एंटी करप्शन ब्यूरो) को मामला दर्ज कर आगे की कार्रवाई करने का निर्देश दिया.
लेकिन अरुण कुमार को हाईकोर्ट से स्टे मिल गया और एसीबी इनके खिलाफ मामला दर्ज नहीं कर पायी. ऐसे ही कई मामले हाईकोर्ट में आकर रुक जाते हैं और लोकायुक्त चाहकर भी कुछ नहीं कर सकता. वहीं पीआइएल में एसीबी की भी भूमिका पर सवाल उठाया गया है.
कहा गया है कि कोर्ट की तरफ से एसीबी में जाकर शिकायत दर्ज करने को कहा जाता है, लेकिन सरकार के इशारे पर शिकायत दर्ज नहीं हो पाती. ऐसे कई मामले हाल के दिनों में सामने आये हैं.
पीआइएल में इन्हीं सारी बिदुंओं की ओर कार्ट का ध्यान आकर्षित करते हुए या तो लोकायुक्त और एसीबी को खुद से मामला दर्ज करवाने की पावर देने की बात कही गयी है. या फिर लोकायुक्त के अस्तित्व को ही खत्म करने देने के लिए कोर्ट को विचार करने का अनुरोध किया गया है.
पुर्व सीएम के प्रधान सचिव सुनील बर्णवाल के खिलाफ उच्च न्यायालय में पीआइएल
आरपी शाही ने एक और जनहित याचिका कोर्ट में दायर की है. ये पीआइएल आइएएस अधिकारी और पूर्व सीएम रघुवर दास के प्रधान सचिव सुनील कुमार के खिलाफ लगायी गयी है. जनहित याचिका में कहा गया है कि सुनील बर्णवाल ने खनन सचिव और सीएम के प्रधान सचिव रहते हुए अपने पद का दुरुपयोग किया। अपनी पत्नी ऋचा संचिता, ससुर टीपी बर्णवाल और रिश्तेदार अरविंद प्रसाद को अहम सरकारी पदों पर रखवाया. आरोप है कि सुनील बर्णवाल ने अपनी पत्नी ऋचा संचिता को ना सिर्फ सरकारी वकील बनवाया. बल्कि खनन मामलों से जुड़े कई निजी कंपनियों में सलाहकार के पद पर रखवाया.
इतना ही नहीं ऋचा संचिता ने सुनील बर्णवाल के सरकारी आवास पर एक निजी कार्यालय खोला. जब सुनील बर्णवाल खनन सचिव थे, तो उनके आवास पर खनन कार्य से जुड़ी कई कंपनियों के अधिकारी आते थे। वहीं सुनील बर्णवाल ने अपने पद के प्रभाव से अपने ससुर त्रिपुरारी प्रसाद बर्णवाल को Jharkhand State Pharmacy council का चेयरमैन बनाया और अपने एक रिश्तेदार अरविंद प्रसाद को Jharkhand State Electricity Regulatory Authority का अध्यक्ष बनवाया.