राज्यसभा हॉर्स ट्रेडिंग मामला:कोई ऐसी ठोस साक्ष्य नहीं मिला,विभागीय जांच में एडीजी अनुराग गुप्ता को मिला क्लीन चिट,गवाहों ने कहा-योगेन्द्र साव ने अपराधिक मामले हटाने के लिए रची साजिश
राँची।झारखण्ड में राज्यसभा हॉर्स ट्रेडिंग मामले में निलंबित चल रहे एडीजी अनुराग गुप्ता विभागीय जांच में क्लीन चिट मिल गई है। जांच के दौरान अनुराग गुप्ता के खिलाफ कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिला है।विभागीय कार्रवाई संचालन पदाधिकारी डीजी एमवी राव (सेवानिवृत्ति) ने बीते 30 सितंबर 2021 से पहले राज्य सरकार को अपनी अंतिम रिपोर्ट सौंप दी थी। इस रिपोर्ट में एडीजी अनुराग गुप्ता के विरुद्ध कोई ठोस साक्ष्य नहीं मिलने के कारण उन्हें क्लीन चिट दे दी गई है।अब डीजी एमवी राव की रिपोर्ट की राज्य सरकार समीक्षा करने के बाद अंतिम निर्णय लेगी। अदालत में इस मामले पर सुनवाई जारी है।
अपराधिक मामले हटाने के लिए साजिश रची-गवाह
मिली जानकारी अनुसार जांच में जो बात सामने आई है।योगेन्द्र साव के उप्पर कई अपराधिक मामले हैं।जिससे उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा।उसके बाद 2014 में नई सरकार बनी।उसके बाद योगेन्द्र साव अपने उप्पर लगे अपराधिक मामले हटाने के लिए प्रयासरत थे।लेकिन सफल नहीं हो पा रहा था।इसी बीच 2016 में राज्य सभा चुनाव में मनगढ़ंत आरोप लगाकर दबाब बनाने का आरोप लगाया हो
जनप्रतिनिधि होने के नाते कई शिकायतें मिलती है
इस घटना में शिकायतकर्ता पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी ने विभागीय कार्यवाही के संचालन के क्रम में श्री बाबूलाल मरांडी द्वारा सूचित किया गया कि मैं एक जन प्रतिनिधि होने के नाते उन्हें आम जन से रोजाना विभिन्न प्रकार की शिकायतें/सुझाव मिलते रहते हैं।जरूरत के मुताबिक उन्हें संबंधित विभागों को भेजना एवं उन पर जांचोपरान्त समुचित कार्रवाई का अनुरोध करना उन जैसे लोगों की कार्य प्रणाली का हिस्सा है।इसी क्रम में उन्हें राज्य सभा चुनाव 2016 के संदर्भ में एक सीडी की कॉपी उपलब्ध कराई गई थी।जिसे उन्होंने समुचित कार्रवाई के तत्क्षण चुनाव आयोग को भेज दिया था।इसके अलावा इस बारे में अतिरिक्त कोई भी जानकारी उनके पास उपलब्ध नहीं है।उनके द्वारा यह भी कहा गया कि उक्त परिस्थितियों में किसी भी विभागीय जांच की प्रक्रिया में उनकी उपस्थिति का कोई औचित्य नहीं है।अतः उन्हें इससे मुक्त रखा जाये।उन्होंने साफ तौर पर ये कहा कि एक सीडी मिली और मैने जांच के लिए चुनाव आयोग को भेजा।उसके बाद इस सम्बंध में कोई ऐसी जानकारी ना है ना मिला है।
कई गवाहों में अपना पक्ष रखा
इस मामले में कई गवाहों ने अपना पक्ष रखा लेकिन किसी ने भी इस सम्बंध में कोई ऐसी जानकारी नहीं दी जिससे ये प्रतीत होता हो कि एडीजी अनुराग गुप्ता दोषी है।
आरोप लगाने वाले ने कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया
मिली जानकारी के अनुसार विभागीय जांच में एडीजी श्री अनुराग गुप्ता द्वारा प्रस्तुत किये गये गवाहों ने अधोहस्ताक्षरी के समक्ष उपस्थित होकर अपना बयान दिया है। गवाहों ने श्री योगेन्द्र साव द्वारा व्यक्तिगत कारणों से श्री अनुराग गुप्ता के विरुद्ध आरोप लगाये जाने की बात बताई है।बचाव पक्ष द्वारा अपने गवाहों के माध्यम से साक्ष्य की सत्यता पर प्रश्न उठाया गया है।चूँकि जिन दूरभाष नंबरों पर अपचारी श्री अनुराग गुप्ता द्वारा बात करने का आरोप लगाया जा रहा है।वहीं उनका कॉल रिकॉर्ड का सत्यापन हेतु सीडीआर उपलब्ध नहीं हो सका।साथ ही रिकॉर्डिंग में प्रयुक्त होने वाला मूल यंत्र भी विभागीय कार्यवाही के दौरान प्रस्तुत नहीं किया जा सका।जांच में कहा गया है कि उपलब्ध दस्तावेजों,अपचारी द्वारा अपने प्रतिरक्षा में दिये गये बयान एवं अन्य पहलूओं पर विवेचना करते हुए अपचारी के विरुद्ध प्रतिवेदित आरोप वर्णित दस्तावेजों के आधार पर प्रमाणित नहीं होते हैं।
एफएसएल जांच में 27 ऑडियो क्लिप में 21 में छेड़छाड़ पाया गया है
जानकारी अनुसार एफएसएल जांच रिपोर्ट में जो बातें सामने आई है उससे पता चलता है की सीडी में कुल 27 फाइलें थी।जिनमें से 26 फाइलें ऑडियो अर्थात ध्वनि से संबंधित है इन 26 फाइलों में से 21 फाइलों में छेड़छाड़ प्रमाणित होती है और तीन फाइलों में कोई भी बातचीत नहीं है और बाकी 2 फाइलें भी खुली नहीं।स्पष्ट है कि पूरी की पूरी सीडी फर्जी है या इसमें छेड़छाड़ की गई है।इसके अलावा इस सीडी में जो ऑडियो उपलब्ध है उसका समय और तिथि जानना संभव नहीं है यह भी प्रमाणित करता है कि संभवत पूरी की पूरी सीडी फर्जी है।
जांच में सीडी रिपोर्ट का बहुत बड़ा योगदान रहा
विभागीय जांच में सीडी का रिपोर्ट भी अहम रहा है।श्री एम बी राव के द्वारा अनुराग गुप्ता को निर्दोष करार करने में इस सीडी का भी बड़ा योगदान रहा है।
ये था आरोप:
बता दें कि 2016 में हुए राज्यसभा चुनाव के दौरान भाजपा के प्रत्याशी के पक्ष में वोट नहीं देने के लिए उस वक्त बड़कागांव से कांग्रेस विधायक निर्मला देवी के पति योगेंद्र साव पर प्रलोभन देने और दबाव डालने का आरोप लगा था. इस मामले से जुड़ी सीडी बाबूलाल मरांडी ने सार्वजनिक किया था और उन पर कार्रवाई की मांग की थी. इस आरोप में राज्य सरकार ने 14 फरवरी 2020 को उन्हें निलंबित कर दिया था. तब वे सीआइडी के एडीजी थे।