नवरात्रि 2021:शारदीय नवरात्र का चौथा दिन,आज माँ दुर्गा के पांचवें स्वरूप माँ स्कंदमाता की पूजा-अर्चना,”या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।”

राँची।हिंदू धर्म में नवरात्रि का बहुत अधिक महत्व होता है। 7 अक्टूबर से नवरात्रि के पावन पर्व की शुरुआत हो गई है। नवरात्रि का पर्व नौ दिनों तक बड़े ही धूम- धाम से मनाया जाता है। नवरात्रि के नौ दिनों में माँ के नौ रूपों की पूजा- अर्चना की जाती है। 10 अक्टूबर को पांचवीं नवरात्रि है। नवरात्रि के पांचवे दिन माँ के पंचम स्वरूप माता स्कंदमाता की पूजा- अर्चना की जाती है। माँ अपने भक्तों पर पुत्र के समान स्नेह लुटाती हैं। माँ की उपासना से नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है। माँ का स्मरण करने से ही असंभव कार्य संभव हो जाते हैं।तीसरे और चौथे पूजा एकही दिन पड़ने के कारण आज चौथे दिन में पांचवे स्वरूप स्कंदमाता की पूजा है

माँ स्कंदमाता का स्वरूप:
स्कंदमाता कमल के आसन पर विराजमान हैं, इसी कारण उन्हें पद्मासना देवी भी कहा जाता है। माँ स्कंदमाता को पार्वती एवं उमा नाम से भी जाना जाता है। माँ की उपासना से संतान की प्राप्ति होती है।माँ का वाहन सिंह है। माँ स्कंदमाता सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं।

माँ की उपासना से परम शांति और सुख का अनुभव होता है।माँ स्कंदमाता को श्वेत रंग प्रिय है। मां की उपासना में श्वेत रंग के वस्त्रों का प्रयोग करें।माँ की पूजा के समय पीले रंग के वस्त्र धारण करें।

स्कंदमाता पूजा विधि…

सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
माँ की प्रतिमा को गंगाजल से स्नान कराएं।
स्नान कराने के बाद पुष्प अर्पित करें।
माँ को रोली कुमकुम भी लगाएं।
मां को मिष्ठान और पांच प्रकार के फलों का भोग लगाएं।
माँ स्कंदमाता का अधिक से अधिक ध्यान करें।
माँ की आरती अवश्य करें।

माँ का भोग-
माँ को केले का भोग अति प्रिय है। मां को आप खीर का प्रसाद भी अर्पित करें।

संतान सुख की प्राप्ति होती है:
माँ स्कंदमाता की कृपा से संतान सुख की प्राप्ति होती है। मां को विद्यावाहिनी दुर्गा देवी भी कहा जाता है। मां की उपासना से अलौकिक तेज की प्राप्ति होती है।

स्कंदमाता की आरती:
जय तेरी हो स्कंद माता, पांचवा नाम तुम्हारा आता.
सब के मन की जानन हारी, जग जननी सब की महतारी.
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं, हरदम तुम्हे ध्याता रहूं मैं.
कई नामो से तुझे पुकारा, मुझे एक है तेरा सहारा.
कहीं पहाड़ों पर है डेरा, कई शहरों में तेरा बसेरा.
हर मंदिर में तेरे नजारे गुण गाये, तेरे भगत प्यारे भगति.
अपनी मुझे दिला दो शक्ति, मेरी बिगड़ी बना दो.
इन्दर आदी देवता मिल सारे, करे पुकार तुम्हारे द्वारे.
दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आये, तुम ही खंडा हाथ उठाये
दासो को सदा बचाने आई, चमन की आस पुजाने आई।

शुभ मुहूर्त-

ब्रह्म मुहूर्त- 04:40 ए एम से 05:29 ए एम
अभिजित मुहूर्त – 11:45 ए एम से 12:31 पी एम
विजय मुहूर्त – 02:04 पी एम से 02:51 पी एम
गोधूलि मुहूर्त – 05:45 पी एम से 06:09 पी एम
रवि योग – 02:44 पी एम से 07:54 पी एम

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