Jharkhand:पत्थर माफियाओं द्वारा नियमों को अनदेखी कर बेधड़क अवैध पत्थर का उत्खनन किया जा रहा है,सरकार को चूना लगाकर प्रतिदिन राजस्व की चोरी.
दुमका।जिले के शिकारीपाड़ा थाना क्षेत्र के कुलकुली डंगाल, गोसाई पहाड़ी, रामजाम, सिल्लीबोना, लिपीडी आदि जगहों में पत्थर माफियाओं ने सारे नियमों को पैरों तले रौंद कर धड़ल्ले से किया जा रहा है अवैध पत्थर का उत्खनन। उक्त स्थानों में खास, गोचर और वन क्षेत्र में बड़ा बड़ा पत्थर खदान बना दिया गया है। यहाँ पहाड़ का अस्तित्व को बदल दिया गया है। यहां लगभग 90% पत्थर माफिया पश्चिम बंगाल का रहने वाला है। जोकि झारखण्ड सरकार को चूना लगाकर प्रतिदिन राजस्व की चोरी कर रहा है। लेकिन प्रशासन की नजर इस पर नहीं पड़ती है। लिपीडी में उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय के दीवार से महज 10 फीट की दूरी पर पत्थर खदान बना दिया गया है। इतना ही नहीं कुलकुली डंगाल में पत्थर खादान उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय से सटे होने के साथ-साथ शमशान घाट को भी बीच में टीला के तरह छोड़कर चारों तरफ से पत्थर का उत्खनन किया जा रहा है। उक्त पत्थर खदानों में प्रतिदिन तीन बार ब्लास्टिंग किया जाता है। ब्लास्टिंग के धमाके से विद्यालयों में भूकंप आ जाता है।
ब्लास्टिंग के धमाके से कभी भी बड़ी दुर्घटना हो सकती है। एक बार स्थानीय लोगों द्वारा विरोध कर खदानों को बंद करवाया गया था लेकिन पत्थर माफियाओं ने स्थानीय लोगों को एक मोटी रकम देकर पुनः खदानों को चालू कर दिया। उक्त पत्थर खदान शिकारीपाड़ा से लगभग 25 किलोमीटर दूर पश्चिम बंगाल के सीमा पर स्थित है। वहां वाहन से जाने के लिए सिर्फ एक ही रास्ता है। एक मात्र मार्ग का लाभ उठाते हुए सभी पत्थर माफियाओं ने एक संगठन बनाया है। पत्थर माफियाओं के संगठन द्वारा एक व्यक्ति को खबरीलाल के रूप में नियुक्त किया गया है। जिसके लिए उस खबरीलाल को संगठन की ओर से प्रति माह एक मोटी रकम दी जाती है। खबरीलाल उक्त स्थानों से (जहां पत्थर खदान चलता है) लगभग 15 किलोमीटर दूर सरसाजोल दरका नदी के पुल के पास प्रतिदिन दिन भर मौजूद रहता है। उसका काम है सिर्फ पत्थर माफियाओं को फोन पर खतरों का खबर देना। ताकि सभी पत्थर माफिया वक्त से पहले सावधान हो सके।
रिपोर्ट:अफजल हुसैन,शिकारीपाड़ा