Jharkhand:पुलिस की ओर से कार्रवाई नहीं करने का नतीजा,दूसरे दिन एक और हत्या;लाठी-डंडे से पीटकर एक व्यक्ति की निर्मम हत्या
गुमला।झारखण्ड के गुमला जिला के घाघरा थाना अंतर्गत घुंघरूपाठ निवासी वर्गी उरांव के 52 वर्षीय पुत्र रामचंद उरांव की अज्ञात अपराधियों द्वारा लाठी डंडे से पीटकर बड़ी बेरहमी से हत्या कर दी गई। घटना शुक्रवार सुबह करीब 9:00 बजे की है।थाना से दूर और नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के कारण पुलिस को देर से घटना की जानकारी मिली।
यहां बताते चलें कि 1 दिन पूर्व गुरुवार को गांव के ही मजदूर नेता खदी उरांव की हत्या अपराधियों द्वारा विमरला माइंस के समीप कर दी गई थी। पुलिस उसी हत्याकांड से जोड़कर इसे देख रही है हालांकि अब तक रामचंद उरांव हत्याकांड का खुलासा नहीं हुआ है। शुक्रवार की देर संध्या सदर अस्पताल गुमला में डॉक्टर सुजान मुंडा, डॉक्टर सुनील किस्कू और डॉक्टर अलंकार उरांव के द्वारा मजिस्ट्रेट की निगरानी में शव का पोस्टमार्टम हुआ। वहीं पुलिस ने मृतक के परिजनों सहित आसपास के लोगों से पूछताछ की है। पुलिस को कई अहम सुराग हाथ लगे हैं जिसके आधार पर पुलिस पूरे मामले की छानबीन में जुट गई है
अगर समय से पुलिस ने कार्रवाई की होती तो रामचंद्र उरांव की जान बच सकती थी
बताया जा रहा है कि गुरुवार की दोपहर खादी उरांव की हत्या बीमारला बाक्साइट माइन्स के सुनील होटल के समीप धारदार हथियार से गला काटकर कर दी गई थी। ग्रामीणों ने इसकी सूचना घाघरा पुलिस को दी लेकिन पुलिस मौके पर नहीं पहुंची और चौकीदार को घटनास्थल भेज कर शव को थाने मंगवाया। ग्रामीणों ने खादी की हत्या करने का शक रामचंद्र उरांव पर लगाते हुए उसे गिरफ्तार करने की माग की, लेकिन पुलिस ने रामचंद्र का नाम प्राथमिकी में लिखने से भी मना कर दिया। इससे ग्रामीण आक्रोशित हो गए और खुद ही रामचंद्र उरांव की तलाश कर उसे पकड़ लिया और शुक्रवार को उसकी जमकर पिटाई कर दी। पिटाई करने के बाद पुलिस को इसकी सूचना दी, लेकिन फिर घाघरा थानेदार घटनास्थल नहीं पहुंचे और चौकीदार को भेज दिया। चौकीदार मौके पर पहुंचे और घायल रामचंद्र को गाड़ी में बैठाकर पुलिस पिकेट बीमरला तक ले कर पहुंचे,जहां पर एंबुलेंस से उसे घाघरा भेजा जा रहा था। रास्ते में उसकी मौत हो गई।
इधर खादी उरांव की पुत्री नीलम कुमारी ने बताया कि थाना में हत्या में शामिल लोगों का नाम बताती रही लेकिन पुलिस ने किसी का नाम देने से मना किया।नीलम का आरोप है कि हत्या के बाद अगर पुलिस घटनास्थल में जाकर पूरे मामले की जांच करती तो कई सबूत पुलिस को आसानी से हाथ लग सकते थे। लेकिन पुलिस ने हत्या को गंभीरता से नहीं लिया। पुलिस की इसी लापरवाही से गांव में ही दूसरी हत्या आक्रोशित ग्रामीणों ने कर दी।
नक्सल प्रभावित इलाका है।पुलिस को सोच समझकर मूवमेंट करना होता है। देर सवेर पुलिस घटनास्थल जरुर जाएगी।-कुंदन कुमार थाना प्रभारी घाघरा