Jharkhand:राँची सिविल कोर्ट ने एक केस के सिलसिले में तब्लीगी जमात से जुड़े 17 विदेशी नागरिकों को बरी कर दिया है,विदेशी नागरिकों के अपने वतन लौटने का रास्ता साफ हो गया है।
राँची।राँची सिविल कोर्ट ने तब्लीगी जमात से जुड़े सभी 17 विदेशी नागरिकों एवं एक लोकल जमात से जुड़े को बरी कर दिया है।कोर्ट ने 22-22 सौ रुपये के निजी मुचलके पर इन्हें रिहा करने का आदेश दिया है।वहीं राँची के हाजी मेराज को 6200 रुपये फाइन के साथ बरी कर दिया गया। इन विदेशी नागरिकों को कोरोना फैलाने के आरोप में राँची के हिंदपीढ़ी इलाके से गिरफ्तार किया गया था।करीब तीन महीना राँची के होटवार जेल में बंद रहने के बाद 15 जुलाई को झारखण्ड हाईकोर्ट से इन्हें जमानत मिली थी।अब सिविल कोर्ट के इस फैसले से इन विदेशी नागरिकों के अपने वतन लौटने का रास्ता साफ हो गया है।
15 जुलाई को हाईकोर्ट से मिली थी बेल
बता दें कि 15 जुलाई को झारखण्ड हाईकोर्ट से बेल मिलने के बाद तब्लीगी जमात से जुड़े सभी 17 विदेशी नागरिक राँची के होटवार जेल से बाहर निकले थे।इससे पहले राँची सिविल कोर्ट में सभी 17 जमातियों की ओर से 10-10 हजार का दो बेल बाउंड भरा गया था।
आठ जून को न्यायायुक्त नवनीत कुमार की अदालत से बेल याचिका खारिज होने के बाद जमातियों ने हाईकोर्ट में अपील की थी।हालांकि बेल मिलने के बाद भी केस समाप्त नहीं होने के चलते इन्हें भारत छोड़ने की इजाजत नहीं मिली थी।
30 मार्च को हुए थे गिरफ्तार
तबलीगी जमात से जुड़े 17 विदेशी नागरिकों को राँची के हिंदपीढ़ी इलाके के बड़ी मस्जिद और मदीना मस्जिद से गिरफ्तार किया गया था. छानबीन के बाद 9 अप्रैल को भादवि की धारा 188, 269, 270, 271 ”द फॉरेनर्स एक्ट 1946” की धारा 13 14 (बी)(सी) और ”द नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट” की धारा 51 के तहत इनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
बता दें कि इन्हीं 17 विदेशियों में से एक 22 वर्षीय मलेशियाई महिला कोरोना संक्रमित पाई गई थी, जो झारखण्ड में कोरोना का पहला मामला था।
ये था आरोप
विदेशी नागरिकों पर ये आरोप था कि वे टूरिस्ट वीजा पर भारत आये और यहां आकर धर्म प्रचार करने में जुट गये. देश में कोरोना वायरस संक्रमण की रोकथाम के लिए लॉकडाउन की घोषणा की गई थी।राँची शहर में धारा-144 लागू था. बावजूद इसके विदेशी नागरिक सरकार के आदेश का उल्लंघन कर धर्म प्रचार में लगे रहे।इसके लिए लोगों को एकत्रित किया।