#JHARKHAND:नदी में डूबने से मौत,दो लोगों का शव आज मिला,अचानक नदी में बाढ़ आने से दोनों बह गया,जबकि पाँच लोगों को बचाया गया था।
राँची।चतरा, हंटरगंज में गुरुवार के दिन हंटरगंज के लोगों के लिए अशुभ रहा।एक नहीं दो दो शव लिलांजन नदी के भेंट चढ़ी। एक की पहचान कोबना गांव निवासी भिखारी पासवान का पुत्र मनोज पासवान उम्र करीब 40 बर्ष के रुप में हुई।मनोज कल नदी में फंसे लोगों को बचाने में अपनी जान कुर्बान कर दी। वहीं दूसरी महिला उरैली पंचायत के पांति गांव निवासी स्व. गैन यादव की पत्नी कलिया देवी उम्र करीब 65 वर्ष के रुप में पहचान हुई है। मृतका मवेशी चराते हुए बह गई थी।दोनों का शव आज सुबह नदी के छोर पर ग्रामीणों ने देखा।मनोज पासवान का शव पाती लीलाजन नदी के के छोर पर झड़ी में फंसा हुआ मिला।वही कलिया देवी का शव डोभी थाना क्षेत्र के मंजरी के समीप एवं उरैली सिवाना पर मिला है। दोनों के परिजन घटनास्थल पर पहुंच कर पहचान की हैं।
पानी के बाढ़ से दो को हुई मौत प्रखंडवाशियो में बालू माफियाओं के बिरुद्ध आक्रोश है।
बता दें हंटरगंज थाना क्षेत्र में बुधवार को अचानक नीलांजना नदी में बाढ़ आने से 5 लोगों सहित जानवर बीच नदी में फंस गया था।प्रसाशन को सूचना मिलने पर स्थानीय लोगों औऱ गौतखोरों की मदद से बाहर निकाला गया था।वहीं बचाने गए मनोज भी पानी की तेज धार में बह गया था।काफी खोजबीन करने पर भी नहीं मिला। आज सुबह मनोज का शव बरामद हुआ है।आज सुबह दो शव मिलने से सनसनी फैल गई।इलाके में बालू माफियाओं के खिलाफ आक्रोश फूटा है।स्थानीय लोगों का कहना है बालू माफिया नदी से बालू निकालकर नदी में बड़ी बड़ी गड्ढा कर दिया है।पानी आने के बाद पता हैं नहीं चलता नदी में पानी कितना है।वहीं बालू उठाकर नदी की धार भी मोड़कर दूसरे ओर कर दिया है।
पुलिस ने दोनो शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।वहीं स्थानीय लोगों की मुआवजे की मांग पर स्थानीय प्रशासन ने लोगों को समझाया जो भी सरकारी प्रावधान है उसे दिया जाएगा।
ये पहली घटना नहीं है
हंटरगंज के लिलाजन नदी में बाढ़ के पानी में फंसे लोगों की यह पहली घटना नहीं है। जिले के तमाम नदियों में अचानक उतरे पानी की वजह से कई जाने जा चुकी है। फिर भी लोग ऐसी घटनाओं से सबक नहीं ले रहे हैं। दो वर्ष पहले इटखोरी के महाने नदी में अचानक पानी आ जाने से पांच मासूम बच्चों की हृदय विदारक मौत हो गई थी। उसी वर्ष महाने नदी में ही सरहेता का एक युवक मौत की भेंट चढ़ चुका था। इसी तरह मयूरहंड में भी नदी में डूबने से दो लोगों की मौत हो गई थी। इसके अलावा तालाब, पोखर आदि में भी डूब कर कई लोग जान गवा चुकीं हैं। घटना के बाद कुछ दिनों तक तो लोग एहतियात बरतते हैं। लेकिन बाद में सब कुछ भूल कर फिर से गलतियां दोहराने लग जाते हैं। वर्तमान समय में भी जिले की तमाम नदियों में बालू का उठाव करने व मवेशियों को धोने आदि के लिए लोगों का जमावड़ा लगा रहता है। फिर नदी में अचानक पानी आ जाने के बाद ऐसे लोगों की जान जोखिम में पड़ जाती है। दरअसल जिले के अधिकांश नदियों की गिनती पहाड़ी नदी के रूप में होती है। जिनमें बरसात के मौसम में भी हर वक्त पानी नहीं रहता है। लेकिन ऊपरी क्षेत्रों में जब मूसलाधार बारिश होती है तब इन नदियों में अचानक से पानी उतर जाता है। उस वक्त नदी की धार में मौजूद लोगों को भागने तक का मौका नहीं मिल पाता है।