एक करोड़ के इनामी माओवादी नेता अरविंद जी के जंगलों में खास साथी चेतक को झारखण्ड जगुआर ने दी नई जिंदगी
राँची।एक करोड़ के इनामी माओवादी नेता अरविंद जी (मृत) के जंगलों में खास साथी चेतक को झारखण्ड जगुआर ने नई जिंदगी दी है।हम बात कर रहे हैं एक करोड़ के इनामी नक्सली अरविंद जी का घोड़ा जिसका नाम चेतक है।गौरतलब है की साल 2018 में झारखण्ड पुलिस के द्वारा लगातार चलाए जा रहे अभियान से परेशान होकर माओवादी नेता अरविंद जी का पूरा दस्ता बूढ़ा पहाड़ से भागने को मजबूर हो गया था। 2018 के अप्रैल महीने में बीमारी से अरविंद जी की मौत हो गई।अरविंद जी माओवादियों के पोलित ब्यूरो के मेंबर थे उन पर झारखण्ड सरकार ने एक करोड़ का इनाम घोषित कर रखा था।अरविंद जी की उम्र काफी अधिक हो गई थी इस वजह से उनके साथी उन्हें जंगलों और बीहड़ों में भ्रमण करने के लिए चेतक नाम के घोड़े का इस्तेमाल करते थे।
20 अप्रैल 2018 को हुई थी अरविंद की मौत:
माओवादियों के थिंक टैंक माने जाने वाले एक करोड़ के इनामी अरविंद जी का पूरा जीवन बूढ़ा पहाड़ के बीहड़ो में ही बीता. 20 अप्रैल 2018 को लंबी बीमारी के बाद अरविंद जी की मौत बूढ़ा पहाड़ पर ही हो गई थी।अरविंद की मौत के बाद बूढ़ा पहाड़ पर माओवादियों की पकड़ बेहद कमजोर हो गई।इसी बीच झारखण्ड पुलिस का अभियान भी बूढ़ा पहाड़ को लेकर काफी तेज हो गया नतीजा अपने सबसे सुरक्षित माने जाने वाले गढ़ से माओवादियों को भागना पड़ा. इस दौरान सुरक्षाबलों को चेतक सहित एक दर्जन घोड़े मिले थे।इन घोड़े उपयोग माओवादी जंगल और पहाड़ों में सामान और आदमी ढोने के लिए माओवादी किया करते थे।
लातेहार के गारू थाना में रखा गया था
बाद में इन घोड़े को रेस्क्यू करके गारू थाने में रखा गया।इसी बीच इस पर झारखण्ड जगुआर के अधिकारियों की नजर पड़ी, क्योंकि उचित देखभाल के अभाव में सभी घोड़ों की स्थिति खराब हो रही थी इसी वजह से पहले फेज में चेतक सहित चार को झारखण्ड जगुआर के कैंप लाया गया। झारखण्ड जगुआर के कैंप में ना तो घास की कमी है और ना ही चारे की ,साथ ही बेहतर चिकित्सा सुविधा मिलने की वजह से चेतक और उसके बाकी साथी जल्द स्वस्थ हो गए।आज स्थिति यह है कि चेतक और उसके साथी जगुआर कैंपस में फर्राटे के साथ दौड़ लगा रहा है।