झारखण्ड हाईकोर्ट ने पीड़ित को 4 लाख मुआवज़ा देने की शर्त पर दी अग्रिम जमानत,सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

दिल्ली/राँची।सुप्रीम कोर्ट ने झारखण्ड हाईकोर्ट के उस आदेश पर रोक लगा दी है जिसमें 4 लाख रुपये जमा करने की शर्त पर आरोपी को अग्रिम जमानत की सुविधा प्रदान की गई थी। झारखण्ड हाईकोर्ट के सिंगल बेंच ने 25 नवंबर 2021 को तलत सनवी की अग्रिम जामनत याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया था कि आरोपी को अग्रिम जमानत के लिए मुआवज़ा के तौर पर पीड़ित को 4 लाख रुपये का भुगतान करना होगा। झारखण्ड हाईकोर्ट के इस आदेश को तलत सनवी ने शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी।आरोपी ने अपने अधिवक्ता गणेश खन्ना के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में SLP (क्रिमिनल) याचिका दाखिल की थी।जिसपर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मुआवज़ा का भुगतान करने के आदेश पर रोक लगा दी है।सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस संजय किशन कॉल और जस्टिस अभय एस ओका की बेंच में उक्त याचिका पर सुनवाई हुई।

प्रार्थी तलत सनवी के अधिवक्ता गणेश खन्ना के मुताबिक यह मामला पति पत्नी के विवाद का था।जिसमें पत्नी ने संबंध विच्छेद होने के बाद अपने पति पर दहेज़ उत्पीड़न का केस कर दिया था। राँची सिविल कोर्ट के SDJM की अदालत में आरोपी की पत्नी ने कम्प्लेन केस दर्ज करवाई है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए मौखिक रूप से कहा कि पैसे लेकर बेल देने से आरोपी के मन में यह भावना आएगी कि हम पैसा देकर जमानत ले सकते हैं।इससे पहले भी पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने झारखण्ड हाईकोर्ट के द्वारा विक्टिम कम्पनसेशन के आधार पर जमानत की सुविधा प्रदान किये जाने को गलत बताया था।

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